जयपुर | 1 जुलाई 2025:
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की ताज़ा फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (जून 2025) में चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार, देश के हर नागरिक पर औसतन ₹4.8 लाख का कर्ज है। मार्च 2023 में यह आंकड़ा ₹3.9 लाख था। यानी बीते दो वर्षों में कर्ज़ में 23% की बढ़ोतरी हुई है, जोकि लगभग ₹90,000 प्रति व्यक्ति के बराबर है।
क्या कहती है रिपोर्ट?
RBI की रिपोर्ट बताती है कि देश में कर्ज़ का बोझ लगातार बढ़ रहा है। यह कर्ज़ केंद्र और राज्य सरकारों, बैंकों, वित्तीय संस्थानों और निजी स्रोतों से लिया गया कुल औसत ऋण है। रिपोर्ट यह भी इशारा करती है कि सरकारी खर्चों, इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश और सब्सिडी योजनाओं के चलते सरकारों का ऋण भी लगातार बढ़ा है।
आर्थिक जानकारों की राय:
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह ट्रेंड भारत की आर्थिक संरचना के लिए चेतावनी है। जहां एक तरफ महंगाई और बेरोजगारी की मार है, वहीं दूसरी ओर आम नागरिक पर औसतन बढ़ता कर्ज़ उसकी वित्तीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
क्यों बढ़ रहा है कर्ज?
- सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का खर्च
- कृषि ऋण और MSME सेक्टर को राहत पैकेज
- राज्यों की राजस्व में गिरावट
- COVID-19 के बाद से जारी राजकोषीय दबाव
क्या है समाधान?
आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि सरकार को अपने खर्चों की प्राथमिकता तय करनी होगी। साथ ही टैक्स प्रणाली को सरल और निष्पक्ष बनाकर राजस्व संग्रह बढ़ाना होगा। रोजगार सृजन और उत्पादन को बढ़ावा देने से भी ऋण का बोझ कम हो सकता है।
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