सोचिए… एक देश जहाँ 140 करोड़ लोग रहते हैं। एक देश जहाँ हर गली में कोई न कोई बच्चा फुटबॉल नहीं, हॉकी नहीं….... क्रिकेट खेलता है। और अब सोचिए — वो दिन, जब आईपीएल का फाइनल होता है….... नरेंद्र मोदी स्टेडियम में एक लाख से ज़्यादा लोग… और मोबाइल पर करोड़ों। जितने लोग पूरी दुनिया में फीफा वर्ल्ड कप नहीं देखते, उससे ज़्यादा लोग सिर्फ एक आईपीएल मैच देख रहे हैं।
सवाल ये नहीं कि क्रिकेट कितना बड़ा है… सवाल ये है कि बाकी खेल अब नज़र क्यों नहीं आते? भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है, एक भावना है। लेकिन क्या ये भावना अब बाकी खेलों को निगलने लगी है? हॉकी, जो कभी हमारा राष्ट्रीय खेल था… फुटबॉल, जिसे दुनिया ‘दुनिया का सबसे बड़ा खेल’ कहती है… कबड्डी, जो हमारी मिट्टी की पहचान है…... सब पीछे छूटते जा रहे हैं।
और आगे है सिर्फ एक नाम — क्रिकेट। और उसमें भी सिर्फ एक ब्रांड — आईपीएल। क्या आप जानते हैं — बीसीसीआई अब सिर्फ भारत का नहीं, पूरी दुनिया का सबसे अमीर खेल संघ है? इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी ICC तक अब उसकी जेब में है। ICC की कमाई का 38% अकेले भारत को जाता है। भारत का शेड्यूल, भारत के खिलाड़ी, भारत की लीग — अब पूरी दुनिया उसी के मुताबिक़ चलती है। क्रिकेट अब खेल नहीं, पावर है… ग्लैमर है….... और सबसे ऊपर पैसा है।
आईपीएल ने खेल और मनोरंजन को इस तरह मिला दिया है कि अब फर्क करना मुश्किल है — ये मैच है या कोई शो? एक खिलाड़ी 25 करोड़ में बिकता है, एक गेंद पर सैकड़ों कैमरे फोकस करते हैं, और हर बाउंड्री पर आतिशबाज़ी होती है। इसमें कुछ गलत नहीं है, लेकिन जब एक ही खेल सबकुछ खा जाए…... तो सवाल तो उठेगा ना? सवाल यह नहीं कि क्रिकेट बड़ा क्यों है…... सवाल यह है कि बाकी खेल छोटे क्यों रह गए? बच्चों से पूछिए — बड़े होकर क्या बनना है? जवाब मिलेगा: विराट कोहली जैसा।
कोई नहीं कहता — नीरज चोपड़ा जैसा, पीवी सिंधु जैसा या ध्यानचंद जैसा बनना है। मीडिया की हेडलाइन हो या खिलाड़ियों की ब्रांड डील — सब क्रिकेट के नाम हो गया है। जबकि बाकी खेलों के खिलाड़ी सोशल मीडिया पर तारीफ तक के लिए तरसते हैं। यह असंतुलन सिर्फ खेल का नहीं….... यह हमारी सोच का है। अगर एक देश में सिर्फ एक ही खेल ज़िंदा रहेगा, तो न तो खिलाड़ियों का विकास होगा, न खेल संस्कृति का विकसित होगी।
ओलंपिक में हमारे खिलाड़ी जान लगाकर मेडल लाते हैं — लेकिन उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता जो आईपीएल के एक छक्का मारने वाले खिलाड़ी को मिलता है। क्या आपको लगता है ये सही है?
आईपीएल एक सपना है, लेकिन अकेला क्रिकेट ही सपना क्यों? क्या हम हॉकी को फिर से जिंदा नहीं कर सकते? क्या कबड्डी को आईपीएल जैसी पहचान नहीं मिल सकती? क्या हम बच्चों को सिर्फ बैट ही नहीं, जैवलिन, शटल और बूट पकड़ने की भी प्रेरणा दे सकते हैं? क्रिकेट को हटाने की बात नहीं है — पर खेलों को बराबरी देने की ज़रूरत है।
क्योंकि जब एक देश सिर्फ क्रिकेट का दीवाना होता है… तो वो खेल राष्ट्र नहीं बन पाता — सिर्फ क्रिकेट राष्ट्र बनकर रह जाता है। अगर आप भी मानते हैं कि खेल सिर्फ एक नहीं, अनेक होने चाहिए — तो इस वीडियो को शेयर कीजिए…..... ताकि अगली पीढ़ी को मैदान सिर्फ चौको-छक्कों से नहीं, हर खेल के जज़्बे से भरपूर दिखे।
4 जून 2025 को बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की पहली आईपीएल जीत का जश्न एक भीषण हादसे में बदल गया..... भीड़ के बेकाबू हो जाने से मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोग घायल हुए।
RCB की 18 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद मिली जीत का जश्न मनाने के लिए तीन लाख प्रशंसक स्टेडियम के बाहर एकत्रित हुए थे..... इवेंट के लिए एंट्री स्कीम नहीं थी, पुलिस कॉर्डिनेशन की कमी और मुफ्त टिकटों की अफवाहों ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। यह घटना एक बार फिर से यह दर्शाती है कि बड़े सार्वजनिक आयोजनों में सुरक्षा और प्रबंधन कितना महत्वपूर्ण होता है....
सरकार ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन देश में एक भी हादसा ऐसा नहीं है, जहां पर आज तक किसी को दोषी मानकर सख्त सजा दी गई हो! यदि ऐसा हुआ होता तो हादसे होने से पहले सुरक्षा को चाक चौबंद किया जाता।
अंत में इस बात पर भी चर्चा करना जरूरी है कि जब एक खेल को सबकुछ मान लिया जाता है, तब चिन्नास्वामी स्टेडियम के हादसे बनकर सामने आते हैं। क्या सरकारों को बिना सुविधा और संसाधनों के इस तरह के आयोजन की अनुमति देनी चाहिए थी..... क्या आरसीबी की टीम कोई देश के लिए ओलंपिक में मेडल जीतकर आई थी?
क्या ये खिलाड़ी कोई क्रिकेट का वर्ल्डकप जीतकर आए थे? आखिर क्यों कर्नाटक सरकार ने बिना सुरक्षा के इंतजाम किए ही एक बिजनेस टीम के लिए जीत पर लाखों लोग एकत्रित कर लिया गया, जहां पर पुलिस की पर्याप्त व्यवस्था ही नहीं थी.....
इस हादसे में जो लोग मरे हैं, उनके परिजनों को आरसीबी के खिलाड़ी अपने इनामी राशि देंगे, या बीसीसीआई, आईपीएल द्वारा उचित सहायता राशि दी जाएगी, ताकी उनके परिजनों के घावों पर महरम का काम किया जा सके..... कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएन ने 10 लाख रुपये देने की घोषणा की है, लेकिन क्या यह राशि एक व्यक्ति के जीवन की कीमत हो सकती है?
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