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इथेनॉल फैक्ट्री आंदोलन की गूंज लोकसभा तक, सांसद बेनीवाल बोले—“सरकार अंग्रेज़ी हुकूमत के नक़्शे पर चल रही है”



—कलक्टर–एसपी को एपीओ करने की उठाई मांग | जल संकटग्रस्त जिलों में कोयला आधारित संयंत्र मंज़ूरी पर भी केंद्र को घेरा


नई दिल्ली, 11 दिसंबर 2025

हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी क्षेत्र में प्रस्तावित इथेनॉल फैक्ट्री के खिलाफ उभर रहा जनआंदोलन बुधवार को लोकसभा में गूंज उठा। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो व नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने शून्यकाल में इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाते हुए सरकार पर किसानों की आवाज़ दबाने का संगीन आरोप लगाया। बेनीवाल ने कहा कि फैक्ट्री के प्रदूषण से उपजाऊ भूमि, भू–जल और जनस्वास्थ्य पर गंभीर खतरा है, और इसके बावजूद शांति से आंदोलन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज कर सत्ता ने अंग्रेज़ी शासन की याद ताज़ा कर दी है।

बेनीवाल ने बताया कि इथेनॉल परियोजना के खिलाफ ग्रामीण, किसान और सामाजिक संगठन मिलकर आंदोलन कर रहे हैं, क्योंकि फैक्ट्री से निकलने वाले रसायन मिट्टी को बर्बाद कर सकते हैं, भू–जल को प्रदूषित कर सकते हैं और पहले से जल संकट झेल रहे इलाके में खतरा कई गुना बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि “जिस भूमि ने हमें अनाज, पानी और जीवन दिया, उसी पर ज़हर उगलने वाली फैक्ट्री थोपना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।”

सांसद ने आरोप लगाया कि फैक्ट्री को मंजूरी देने के पीछे स्थानीय सरकार पर उद्योगपतियों का दबाव है, और प्रशासन आंदोलन को बलपूर्वक दबाने में जुटा है। उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज में 50 से अधिक किसान, एक विधायक और कई नेता घायल हुए, जो बताता है कि सरकार जनभावना को दबाने पर आमादा है। उन्होंने टिब्बी के कलक्टर और एसपी को तुरंत एपीओ करने की मांग करते हुए कहा कि “रामधुन करने वालों पर भी अंग्रेजों ने इतनी बेरहमी नहीं दिखाई, जितना आज की सरकार किसानों पर कर रही है।”

बेनीवाल ने ये गंभीर दावा भी किया कि प्रस्तावित इथेनॉल फैक्ट्री में राजस्थान से आने वाले एक केंद्रीय मंत्री की हिस्सेदारी है, इसलिए स्थानीय विरोध को intentionally नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।

जल–संकट वाले जिलों में कोयला आधारित संयंत्रों को अनुमति पर भी सरकार को घेरा

सांसद हनुमान बेनीवाल द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय विद्युत राज्य मंत्री श्रीपाद नाईक ने यह स्वीकार किया है कि राजस्थान के बारां, हरियाणा के यमुनानगर और उत्तरप्रदेश के कानपुर नगर जिले में कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों को अनुमति दी गई है—जबकि ये जिले जल–संकट और अत्यधिक भू–जल दोहन की श्रेणी में आते हैं।

उत्तर में बताया गया कि बारां जिले में अडानी पावर, यमुनानगर में एचपीजीसीएल और कानपुर नगर में एनयूपीपीएल को मंजूरी दी गई है। बेनीवाल ने कहा कि जब सरकार कई परियोजनाओं में जल–अभाव के कारण उत्पादन में देरी और संकट पर कोई अध्ययन तक नहीं करवाती, तब ऐसे जिलों में नए संयंत्रों को अनुमति देना “विकास नहीं, विनाश की मंजूरी” प्रतीत होता है।

सांसद ने केंद्र से मांग की कि वह जल–संकटग्रस्त जिलों की स्थिति पर तत्काल समीक्षा करे और प्रदूषण व भू–जल दोहन बढ़ाने वाली परियोजनाओं पर रोक लगाए, ताकि आने वाली पीढ़ियों को पानी के संकट का दंड न भुगतना पड़े।

यह मुद्दा लोकसभा में जोरदार राजनीतिक टकराव का कारण बना रहा, और बेनीवाल ने साफ कहा कि “किसानों की लड़ाई सिर्फ इथेनॉल फैक्ट्री के खिलाफ नहीं, बल्कि शासन के उस रवैये के खिलाफ है जो जनता की आवाज़ को पुलिस के डंडों से दबाने की कोशिश करता है।”


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