Popular

मोदी के 11 साल: देश नई सोच की राह पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 मई 2014 को पहली बार देश की बागडोर संभाली, 30 मई 2019 को दूसरी बार और 9 जून 2024 को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इन 11 वर्षों में मोदी सरकार ने कई ऐतिहासिक निर्णय लिए और अभूतपूर्व योजनाओं को लागू किया, जिनका प्रभाव देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य पर स्पष्ट रूप से देखा गया। 

विदेश नीति में इतना बड़ा बदलाव आया कि जो देश  अब तक गुट निरपेक्ष नीति का बखान करके भी किसी देश का समर्थन हासिल नहीं कर पाया था, उसने शांति का पक्ष लेकर दर्जनों देशों के साथ दोस्ती प्रगाढ़ की है। पहले कार्यकाल में कई देशों की यात्राएं कर मित्रता का हाथ बढ़ाया तो दूसरी और तीसरे कार्यकाल में भी विश्व के अधिकांश देशों के साथ मित्रता को कायम किया गया। हालांकि, इसके बावजूद चीन, पाकिस्तान, तुर्किए जैसे देशों ने भारत के साथ दुश्मनी का भाव बनाए रखा। 

देश के अंदर सरकार ने कई चीजों को लेकर जनता का मानस बदला, लोगों को अपनी सोच बदलने का मार्ग दिखाया, देशभक्ति के सहारे राष्ट्रवाद को चरम तक पहुंचाया, जो काम बरसों तक अटके पड़े रहते थे, उनको तय सीमा में करके सोचने को मजबूर भी किया। मोदी सरकार की प्रमुख उपलब्धियों में जनधन योजना के तहत 46 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोलना, उज्ज्वला योजना के माध्यम से 9.5 करोड़ महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान कर करोड़ों महिलाओं को धूएं से ​मुक्ति दिलाने का काम किया तो साथ ही सौभाग्य योजना के तहत 2.8 करोड़ घरों में बिजली पहुंचाना शामिल है। 

स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 12 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण हुआ, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता में सुधार आया। आयुष्मान भारत योजना के तहत 3.5 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं मिलीं। इसके अतिरिक्त, पीएम किसान योजना के माध्यम से 12 करोड़ किसानों को एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान की गई।

आर्थिक मोर्चे पर भारत ने 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनकर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। मेक इन इंडिया पहल के तहत मोबाइल निर्माण इकाइयों की संख्या 2 से बढ़कर 200 से अधिक हो गई, और मोबाइल निर्यात 1.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया। दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित मोबाइल निर्माता कंपनी एप्पल ने भारत में अपनी प्रोडेक्शन यूनिट लगाकर अपना उत्पादन करके निर्यातक देश बन गया है। 

डिजिटल इंडिया अभियान के तहत यूपीआई लेनदेन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई और भारत ने डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व स्थापित किया। सामाजिक सुधारों में तीन तलाक की प्रथा को अपराध घोषित करना, अनुच्छेद 370 और 35A को हटाकर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा समाप्त करना और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू करना शामिल है। 

इन निर्णयों ने देश की एकता और अखंडता को मजबूत किया। स्वास्थ्य क्षेत्र में कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार ने 215 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज़ उपलब्ध कराई और आयुष्मान भारत योजना के तहत लाखों लोगों को मुफ्त इलाज प्रदान किया। इसके अलावा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से 2020 से 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन प्रदान किया जा रहा है। 

 

हालांकि, इन उपलब्धियों के बावजूद सरकार को कुछ क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पहली, बेरोजगारी की समस्या, जो विशेषकर युवाओं के बीच चिंता का विषय बनी रही। दूसरी, कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन, जिसने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। तीसरी, कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारियों में कमी के आरोप लगे। चौथी, नोटबंदी और जीएसटी के क्रियान्वयन से छोटे व्यापारियों को कठिनाइयां हुईं। पांचवीं, कुछ क्षेत्रों में सामाजिक समरसता को बनाए रखने में चुनौतियां रही हैं। इन 11 वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने कई क्षेत्रों में प्रगति की, लेकिन कुछ मुद्दों पर अभी भी ध्यान देने की आवश्यकता है। आगे बढ़ते हुए, सरकार को इन चुनौतियों का समाधान करते हुए समावेशी विकास की दिशा में प्रयास करने होंगे। राजनीतिक तौर पर, जो काम कभी इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने किया, वैसे आरोप भाजपा पर लगे हैं। कई राज्यों में सरकारों को गिराने के लिए विपक्षी दलों के विधायकों को खरीदने की बातें हुईं। विपक्षी दलों का मानना है कि महाराष्ट्र में दो बड़े दलों को तोड़ने का काम भी सियासी रूप से भाजपा ने ही किया है। मध्य प्रदेश और कर्नाटक में कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे से सरकारें बनाना हो या बिहार में बार—बार नीतिश कुमार का सहयोग बदलना हो, हर बार भाजपा पर आरोप लगे हैं। ईवीएम को लेकर विपक्षी दल आज भी आरोप लगाते रहते हैं। सीबीआई, ईडी और चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर भी सत्ताधारी दल ने प्रहार कम किया अथवा सबूतों की कमी रही है। 

सरकार को अभी चार साल का समय बाकी है। पिछले चुनाव में 400 पार का नारा देकर गच्चा खाने वाली मोदी सरकार इन चार सालों में क्या कमाल कर पाएगी, ये देखने वाली चीजें होंगी। मगर सरकार के सामने दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले जन समुदाय में व्याप्त निराशा के भाव को दूर करना, रोजगार की साधन जुटाना, दुनिया के साथ प्रगति की राह को निर्बाध जारी रखना, पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों के साथ संतुलित रिश्ता रखते हुए दुनिया के बड़े देशों से मित्रता को बढ़ाना जरूरी होगा। आज दुनिया शस्त्रों के बजाए आर्थिक युद्ध की तरफ बढ़ रही है। मिसाइलों और ड्रॉन के बजाए अंतरिक्ष युद्ध में कदम बढ़ाए जा चुके हैं। ऐसे में सरकार को इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ना होगा। देश की जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए देश के भीतर की चुनौतियों से लड़ते हुए, विदेशी समस्याओं को भी याद रखना होगा। मोदी तीसरी बार पीएम बनकर 11 साल पूरे कर चुके हैं, अब उनका निशाना चौथी बार बनकर जवाहर लाल नेहरू के 17 साल तक प्रधानमंत्री बनने के रिकॉर्ड पर होगा। उनको अपने दल में अभी कोई चुनौती नहीं मिल रही, लेकिन 2029 के चुनाव में यदि मोदी अपना जादू बनाए रखना चाहते हैं तो जनता के मानस को तुरंत भांपकर उसके अनुकूल काम करना होगा। सीजफायर का जो घटनाक्रम हुआ, उससे मोदी की छवि को नुकसान पहुंचा है। ऐसा भारत की जनता कतई नहीं चाहती थी, लोगों को देश की सेना पर भरोसा है, लेकिन अमेरिका ने जिस तरह से पंच बनकर काम किया, उसके कारण ब्रांड मोदी को धक्का लगा है। देखना होगा कि मोदी सरकार इसको कैसे डैमेज कंट्रोल कर पाती है। 


Post a Comment

Previous Post Next Post