भारत सरकार की GST काउंसिल ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए कई वस्तुओं पर जीएसटी की दरों में बदलाव किया है। यह फैसला आम आदमी से लेकर बड़े उद्योगपतियों तक सभी को प्रभावित करेगा। केंद्र सरकार का कहना है कि इसका उद्देश्य महंगाई पर काबू पाना और घरेलू खपत को बढ़ाना है, ताकि आर्थिक गति और मजबूत हो सके। वहीं, इस फैसले को विपक्ष ने आम चुनाव से पहले का एक सियासी कदम बताया है। लेकिन, हकीकत यह है कि नई दरों से देश के लाखों उपभोक्ताओं को तत्काल राहत मिलेगी और कुछ चीजें उनके लिए महंगी भी हो जाएंगी।
जीएसटी काउंसिल की 53वीं बैठक में लंबी बहस के बाद दरों पर सहमति बनी। बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बार ध्यान खासकर उन वस्तुओं पर रहा, जो आम आदमी के बजट को सीधे प्रभावित करती हैं। काउंसिल ने यह भी साफ किया कि कई उद्योगों को राहत देने का मकसद निर्यात को बढ़ाना और घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना है।
अब सवाल उठता है कि आखिर कौनसी चीजें सस्ती होंगी और कौनसी महंगी। इस बार काउंसिल ने ज्यादातर रोजमर्रा की चीजों पर राहत दी है। इलेक्ट्रिक वाहन और चार्जिंग उपकरणों पर जीएसटी घटाया गया है। यही नहीं, दूध से बने कुछ उत्पादों पर भी टैक्स कम किया गया है। वहीं, पैक्ड मिनरल वॉटर और लक्जरी होटल सेवाओं पर जीएसटी बढ़ा दिया गया है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, यह कदम न केवल महंगाई को थामने में मदद करेगा, बल्कि ग्रामीण इलाकों में खपत को बढ़ाने में भी योगदान देगा। क्योंकि महंगाई का सबसे ज्यादा असर गांवों पर पड़ता है।
जीएसटी दरों में बदलाव (आंकड़े)👇
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• इलेक्ट्रिक वाहन और चार्जिंग उपकरण: पहले 18%, अब 5%
• दही, पनीर, मक्खन: पहले 12%, अब 5%
• मिनरल वॉटर (पैक्ड): पहले 12%, अब 18%
• मोबाइल फोन: पहले 18%, अब 12%
• कपड़े (1000 रुपये से कम कीमत वाले): पहले 12%, अब 5%
• सोना और ज्वैलरी: पहले 3%, अब 5%
• होटल में 7500 रुपये से ज्यादा किराया: पहले 18%, अब 28%
• ऑनलाइन गेमिंग: पहले 18%, अब 28%
• रेडी टू ईट फूड पैकेट्स: पहले 18%, अब 12%
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इन बदलावों से यह साफ है कि रोजमर्रा की जरूरतों से जुड़ी कई चीजें अब पहले से सस्ती होंगी। खासतौर पर दूध और उससे बने उत्पाद, मोबाइल फोन, कपड़े और इलेक्ट्रिक वाहन आम आदमी के बजट में कुछ राहत देंगे। दूसरी ओर, मिनरल वॉटर, लक्जरी होटल्स और ऑनलाइन गेमिंग अब महंगे हो जाएंगे।
सरकार के मुताबिक, इन बदलावों का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। अगर हम औसत घरेलू खपत देखें तो अनुमान है कि एक मध्यम वर्गीय परिवार को हर महीने 800 से 1200 रुपये की बचत होगी। खासकर बच्चों की पढ़ाई के लिए जरूरी मोबाइल फोन और इंटरनेट आधारित गैजेट्स पर जीएसटी कम होने से अभिभावकों को राहत मिलेगी। इसके अलावा कपड़े और दूध उत्पादों पर टैक्स कटौती से भी सीधे बचत होगी।
जहां तक उद्योगों की बात है, मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों और डेयरी इंडस्ट्री को बड़ा फायदा होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल की बिक्री अगले 6 महीनों में 12 से 15 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। डेयरी सेक्टर में भी खपत का स्तर कम से कम 8 प्रतिशत तक ऊपर जाने की संभावना है। इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सरकार ने पहले ही कई प्रोत्साहन योजनाएं शुरू कर रखी हैं और अब जीएसटी दर में कटौती से इस सेक्टर को और मजबूती मिलेगी।
भारत के निर्यात उद्योग के लिए यह कदम सकारात्मक संकेत है। मोबाइल और कपड़ों पर टैक्स कम होने से विदेशी बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इससे भारत के निर्यातकों को भी फायदा मिलेगा।
अब सवाल यह है कि क्या इन फैसलों से अमेरिका के टैरिफ के असर को कम किया जा सकता है। हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत के खिलाफ 50 फीसदी तक के टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसका असर भारत के स्टील, एल्युमिनियम और कुछ कृषि उत्पादों पर सीधा पड़ने वाला है। जीएसटी में कटौती से घरेलू बाजार में खपत तो बढ़ेगी, लेकिन इसका सीधा असर अमेरिकी टैरिफ से हुए नुकसान को पूरी तरह पाटने में नहीं होगा।
आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी दरों में कटौती से भारत की आंतरिक मांग जरूर मजबूत होगी और कंपनियों को अतिरिक्त बाजार मिलेगा, जिससे कुछ हद तक नुकसान की भरपाई होगी। हालांकि, ट्रंप के टैरिफ से होने वाला अनुमानित नुकसान करीब 12 अरब डॉलर का है, जिसे पूरी तरह संतुलित करना संभव नहीं है।
फिर भी सरकार का यह कदम महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि इससे भारत का उपभोक्ता बाजार और मजबूत होगा और घरेलू उद्योग को गति मिलेगी। अमेरिका के टैरिफ से निर्यात प्रभावित होगा, लेकिन घरेलू खपत बढ़ने से कंपनियों की बैलेंस शीट पर दबाव कुछ कम हो जाएगा।
विपक्षी दलों का कहना है कि यह फैसला चुनावी स्टंट है। उनका आरोप है कि सरकार जनता को केवल थोड़ी राहत देकर असल समस्याओं से ध्यान भटका रही है। लेकिन यह भी हकीकत है कि अगर रोजमर्रा की चीजें सस्ती हों तो आम आदमी की राहत सीधे तौर पर महसूस होती है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जीएसटी काउंसिल के इस बड़े फैसले का असर दो तरफा होगा। एक ओर आम आदमी को राहत मिलेगी और दूसरी ओर उद्योगों की रफ्तार तेज होगी। भले ही अमेरिकी टैरिफ से होने वाले नुकसान को यह कदम पूरी तरह से नहीं भर पाए, लेकिन घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूती जरूर मिलेगी।
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