-शाहपुरा रिश्वत कांड पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
जयपुर। राजस्थान के चर्चित शाहपुरा रिश्वत प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बड़ा आदेश सुनाया है। तत्कालीन शाहपुरा SDM भारत भूषण पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट से मिली राहत अब समाप्त हो गई है। उच्चतम न्यायालय ने 26 मई 2025 को हाईकोर्ट द्वारा दिया गया FIR रद्द करने का आदेश न सिर्फ रोका बल्कि राज्य सरकार और अभियुक्त को नोटिस भी जारी किया है। अदालत ने साफ किया कि रिश्वतखोरी जैसे गंभीर मामलों में प्राथमिकी को इस तरह से रद्द नहीं किया जा सकता।
पृष्ठभूमि : 2016 का चर्चित रिश्वत प्रकरण
मामला वर्ष 2016 का है। उस समय भारत भूषण शाहपुरा में उपखंड अधिकारी (SDM) के पद पर कार्यरत थे। आरोप है कि उन्होंने परिवादी संजय कुमावत से भूमि उपयोग परिवर्तन (Land Use Change – LUC) कराने के लिए ₹25 लाख की भारी-भरकम रिश्वत मांगी।
- ₹3 लाख की रकम स्वयं ली।
- ₹12 लाख की मांग एक सर्किल अधिकारी के माध्यम से दलालों के जरिए कराई गई।
- शेष रकम बाद में देने की बात कही गई।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को शिकायत मिली और 3 अप्रैल 2016 को एक ट्रैप कार्रवाई की गई। इस कार्रवाई में SDM भारत भूषण को कथित तौर पर रिश्वत की रकम लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया। ACB ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत FIR दर्ज की।
हाईकोर्ट तक पहुंचा मामला
गिरफ्तारी और FIR के बाद भारत भूषण ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। वर्ष 2016 से ही उन्होंने इस FIR को चुनौती दी। लंबी सुनवाई के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने 26 मई 2025 को यह कहते हुए राहत दी कि उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द किया जाता है।
इस फैसले से न केवल परिवादी संजय कुमावत बल्कि भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों में भी असंतोष फैल गया। संजय कुमावत ने हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की।
सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
8 सितंबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ –
- न्यायमूर्ति एम.एम. सुन्दरेश
- न्यायमूर्ति सतीश चन्द्र शर्मा ने इस मामले में सुनवाई की।
परिवादी संजय कुमावत की ओर से अधिवक्ता आदित्य जैन पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट में सुना ही नहीं गया और FIR रद्द करने का आदेश एकतरफा तरीके से पारित कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
- याचिकाकर्ता को सुने बिना हाईकोर्ट ने आदेश पारित किया, जो न्यायिक दृष्टि से उचित नहीं है।
- विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर करने की अनुमति दी जाती है।
- FIR रद्द करने संबंधी राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश स्थगित किया जाता है।
- राज्य सरकार और अभियुक्त को नोटिस जारी किए जाएँ।
- अगली सुनवाई तक हाईकोर्ट का आदेश लागू नहीं होगा।
भ्रष्टाचार पर अदालत की सख़्ती
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश साफ संकेत देता है कि भ्रष्टाचार जैसे गंभीर अपराधों में राहत पाना आसान नहीं होगा। न्यायालय ने माना कि –
- रिश्वत मांगने और लेने की रकम के पूरे सबूत हैं।
- FIR रद्द करना समाज को गलत संदेश देता है।
- भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कठोर न्यायिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
इससे साफ है कि अदालत अब भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसियों की कार्रवाई को मजबूती देने के पक्ष में है।
समाज और राजनीति पर अस
इस फैसले ने राजस्थान की नौकरशाही और राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार इतने ठोस सबूतों के बावजूद हाईकोर्ट ने FIR क्यों रद्द की थी?
जनता के बीच यह संदेश गया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में अगर सुप्रीम कोर्ट कड़ा रुख अपनाता है तो आम नागरिकों को भी न्याय की उम्मीद बढ़ती है। वहीं, भ्रष्ट अधिकारी और दलाल तंत्र पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा।
राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल
इस पूरे प्रकरण का एक अहम पहलू यह भी है कि राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कोई अपील दायर नहीं की थी। यह कदम आश्चर्यजनक माना जा रहा है।
सवाल उठता है कि –
- क्या राज्य सरकार ने जानबूझकर चुप्पी साधी?
- क्या भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही थी?
- या फिर यह प्रशासनिक लापरवाही थी?
अब जब परिवादी की पहल पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है, तो सरकार की चुप्पी और भी सवाल खड़े करती है।
विशेषज्ञों की राय
राजस्थान हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार जैन का कहना है "यह आदेश आने वाले समय में एक मिसाल साबित होगा। FIR रद्द करने जैसे आदेश अब सुप्रीम कोर्ट की कसौटी पर खरे उतरने होंगे।"
वरिष्ठ अधिवक्ता मानते हैं' “भ्रष्टाचार जैसे मामलों में प्राथमिकी रद्द करना तभी संभव है जब आरोप बिल्कुल ही निराधार हों। यहाँ तो ACB की ट्रैप कार्रवाई और साक्ष्य दोनों मौजूद हैं। ऐसे में हाईकोर्ट का आदेश न्यायसंगत नहीं था।”
जनता की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर भी यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग कह रहे हैं कि भ्रष्ट अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। कई यूजर्स ने टिप्पणी की कि सुप्रीम कोर्ट ने समाज में भरोसा जगाने वाला कदम उठाया है।
आगे की राह
अब मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जारी रहेगी। भारत भूषण के खिलाफ FIR बहाल हो गई है। इसका अर्थ है कि –
- ACB की जांच प्रक्रिया फिर से सक्रिय होगी।
- अभियोजन पक्ष को अदालत में ठोस सबूत पेश करने होंगे।
- दोष सिद्ध होने पर भारत भूषण को कठोर सज़ा भी मिल सकती है।
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