तनख्वाह के लिये तरस रहे पाकिस्तानी सैनिक दैनिक भाड़े पर बने गार्ड्स

Ram Gopal Jat
भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने अब अपने देश के सैनिकों को भाड़े पर भेजने का फैसला किया है। तनख्वाह के लिये कई महीनों से तरस रहे पाकिस्तानी सैनिक वित्तीय सहायता के बदले सिक्योरिटी गार्ड की तरह सेवा देने के लिए कतर जाएंगे, साथ ही चीनी कर्मचारियों को सुरक्षा के लिये बुलैट प्रुफ वाहनों के साथ अपनी सेवाएं देंगे। पाकिस्तानी सरकार और सेना ने फीफा वर्ल्ड कप-2022 में सिक्योरिटी प्रदान करने के लिए अपने सैनिकों को भाड़े पर कतर भेजने के फैसले पर मुहर लगा दी है। इसके साथ ही शाहबाज शरीफ सरकार ने चीन की खुशामद करने के लिये उसके कर्मचारियों को बुलैट प्रुफ वाहनों के साथ सुरक्षा देने की जिम्मेदरी भी सेना को सौंप दी है।
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तंगहाली से जूझ रहे पाकिस्तानी सरकार को कतर ने 2 अरब डॉलर का वित्तीय निवेश देने का वादा किया है, जिसके बोझ तले दबकर पाकिस्तान को अपनी सेना को भाड़े पर भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा है। कतर कई तरह से पाकिस्तान को मदद पहुंचा रहा है। अथाह मात्रा में तेल बेचकर अमीर राष्ट्र बनने वाले कतर ने पाकिस्तान के वित्त पोषण की कमी को कम करने में मदद के लिए द्विपक्षीय समर्थन में 2 अरब डॉलर देने का वादा किया है, जिसके बाद फीफा विश्व कप 2022 में सुरक्षा देने के लिये पाकिस्तान एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार हो गया है। कोई भी पाकिस्तानी कतर में एक खिलाड़ी के रूप में नहीं, बल्कि उसके सैनिक एक सुरक्षा गार्ड के रूप में कतर जायेंगे। कतर ने इससे पहले यही ऑफर तुर्की को भी दिया था, लेकिन तुर्की ने कतर से इस ऑफर को फौरन यह कहकर ठुकरा दिया था, कि किसी देश की सेना उस देश की संप्रभुता और देश के इमोशन से जुड़ी होती है और सेना के जवान भाड़े पर भेजने के लिए नहीं होते हैं।
पाकिस्तान सरकार को कतर में अपने सैनिकों को भाड़े पर भेजने के लिए अपने कानूनों में कई तरह के संशोधन करने पड़े हैं, तो शाहबाज शरीफ सरकार के इस फैसले का देशभर में विरोध हो रहा है। इस आयोजन के लिए कतर में पाकिस्तानी सशस्त्र बलों की तैनाती के प्रति जनता की प्रतिक्रिया अत्यधिक नकारात्मक रही है। लोगों ने विश्व कप जैसी तुच्छ गतिविधियों के लिए सेना को किराए पर देने के लिए सरकार की आलोचना की है। सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी जनता की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया दी जा रही है और लोग इसे शर्मनाक बता रहे हैं। कई लोगों का कहना है, कि पाकिस्तानी सेना को अपनी वेबसाइट पर एक कॉलम 'पाकिस्तानी सेना रेंट पर है' बना देनी चाहिए। एक ट्विटर यूजर ने कहा ये काफी शर्मनाक है कि देश की रक्षा करने करने वाले जवान अब भाड़े पर भेजे जाएंगे। ये एक तरह से ऐसा है, जैसे पाकिस्तानी सेना बिक रही है।
पाकिस्तान सरकार ने एक कैबिनेट की बैठक के बाद कतर और पाकिस्तान सशस्त्र बलों के बीच समझौते को मंजूरी दे दी है, जो सेना को दुनिया के सबसे बड़े और सबसे हाई-प्रोफाइल फुटबॉल टूर्नामेंट में सुरक्षा प्रदान करने में दोहा की सहायता करेगी। इन घटनाक्रमों ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी के निमंत्रण पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कतर की दो दिवसीय यात्रा के लिए गये थे। सअन्य अरब देशों ने भी बीती 29 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की बोर्ड बैठक से पहले पाकिस्तान को धन देने का वादा किया है। कुल मिलाकर, पाकिस्तान ने 4 बिलियन डॉलर का वित्तपोषण हासिल किया है, जो रुके हुए फंड कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने के तौर पर देखा जा रहा है। पाकिस्तान को सऊदी अरब से तेल वित्तपोषण में 1 अरब डॉलर और संयुक्त अरब अमीरात से निवेश में इतनी ही राशि मिलेगी। सभी धनराशि अगले 12 महीनों में मिलने की उम्मीद है। अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाली वित्तीय सहायता के बावजूद, विशेषज्ञ पाकिस्तान के ठीक होने की राह पर संशय में हैं।
इसी तरह से पाकिस्तान को सबसे बड़ा मददगार होने का दावा करने वाले चीन ने भी आंख दिखाई तो पाकिस्तान सकते में आ गया। शाहबाज शरीफ चीन गये तो उनको शी जिनपिंग ने यह कहकर हड़काया कि उनके कर्मचारी, जो सीपेप योजना में काम करने के तहत पाकिस्तान में हैं, उनपर हमले हो रहे हैं और चीन ये सब बर्दास्त नहीं करेगा। इसके तुरंत बाद पाकिस्तानी सरकार ने चीन के कर्मचारियों को बुलेट प्रुफ वाहनों के साथ सेना की सुरक्षा दे दी। पाकिस्तान ने कहा है कि आतंकी हमले की संभावना के चलते सुरक्षा दी गई है। जिनपिंग ने पाकिस्तान को धमकाते हुये कहा था कि यदि पाकिस्तान हमारे कर्मचारियों की सुरक्षा नहीं करेगा तो हम खुद सेना के द्वारा करेंगे।
इसके साथ ही पाकिस्तान ने चीनी कर्मचारियों से जुड़े अपराधों की जांच के लिये भी इस्लामाबाद में राष्ट्रीय फॉरंसिक विज्ञान एजेंसी के आधुनिकीकरण के लिये चीन से सहयोग राशि मांगी है। चीन ने आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में निजी सुरक्षा गार्डों और कानून प्रवर्तन ​ऐजेंसी कर्मियों को आधुनिक तकनीक से लैस करने के लिये प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने कह सहयता भी दी है। असल बात यह है कि अब तक चीन की इस अति महात्वाकांक्षी योजना पर पाकिस्तान में एक दर्जन बार आतंकी हमले हो चुके हैं। सबसे पहला हमला 2016 में हुआ था, उसके बाद से ही पाकिस्तानी सेना चीन के लोगों का सुरक्षा दे रही है। भले ही चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर चीन अरबों डॉलर खर्च कर रहा हो, लेकिन जब तक पाकिस्तान में सेना इसको सुरक्षा देती रहेगी, तभी तक यह परियोजना सुरक्षित रह पायेगी। क्योंकि इसको लेकन पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर विरोध है। पाकिस्तान के लोग इस योजना को पाकिस्तान की गुलामी का प्रतीक मानते हैं। वैसे भी परियोजना पाकिस्तान को दो भागों में बांटती है, जिसके कारण पाकिस्तान के भौगोलिक रुप से दो देश हो जाते हैं।
ऐसा नहीं है कि केवल पाकिस्तान की सेना ही सुरक्षा करने के लिये दूसरे देश में भेजी गई है, बल्कि यूएन में शामिल सभी देशों की सेनाएं अभियानों पर दूसरे देशों में भेजी जाती रही हैं, लेकिन उनको कभी किराया भाड़ा नहीं दिया जाता है। भारत की सेना भी शांति मिशन के तहत अनैक देशों में मौजूद है, और सुरक्षा मुहइया करवा रही है, लेकिन उसको भाड़े पर नहीं भेजा जाता है, जैसे पाकिस्तान ने भेजा है। इसलिये इस मामले को लेकर पाकिस्तान की वैश्विक स्तर पर खूब फजीती हो रही है।

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