अल्पना कटेजा अभियुक्त फिर भी कुलपति बन गईं


जयपुर।

 राजस्थान विश्व​विद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा की नियुक्ति और उनके किए गए प्रशासनिक निर्णयों के खिलाफ मामला कोर्ट में पहुँच गया है। आरोप है कि अल्पना कटेजा दो मामलों में अभियुक्त हैं। करीब दस साल पहले 238 शिक्षकों की भर्ती 2013-14 में इकॉनोमिक्स डिपार्टमेंट की एचओडी होने के नाते उक्त प्रकरण में 83 नंबर पर अभियुक्त हैं, जबकि विवि अनुदान आयोग के रेगुलेशन-2016 के मामले में कूटरचित दस्तावेज बनाकर 354 व्यक्तियों का पीएचडी में एडमिशन कर दिया, जिसमें भी प्रो. कटेजा को अभियुक्त बनाया गया है। 


कोर्ट में लंबित प्रकरण संख्या 1304/2023 के टीचर्स रिसर्च फैलोशिप मामले में भी प्रो. कटेजा को अभियुक्त बताया गया है। प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में भूगोल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. महिपाल सिहाग ने पत्रकारों को बताया कि 2013-14 की शिक्षक भर्ती घोटाले में विभागाध्यक्ष होने के कारण प्रो. अल्पना कटेजा भी एक अभियुक्त हैं। शिक्षक भर्ती 2013-14 के मामले में आपराधिक निगरानी याचिका 685/2019 में प्रो. महिपाल सिहाग बनाम सरकार मामले में भी अभियुक्त हैं।


दरअसल, गंभीरदान गढ़वी बनाम गुजरात सरकार के मामले में शीर्ष कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि विवि अनुदान आयोग के नोटिफिकेशन सभी विश्वविद्यालयों पर समान रूप से लागू होते हैं। एक अन्य मामले में 28 अगस्त 2020 को शीर्ष अदालत ने परिणित व अन्य बनाम विवि अनुदान आयोग के मामले में कहा था कि विवि व राज्य सरकार विवि अनुदान आयोग के दिशा दिर्नेश एव रेगुलेशन के विपरीत कोई भी नियम नहीं बना सकते, जो केंद्रीय निकाय के बनाए गए नियमों के विरुद्ध हैं। 


इसके बाद विवि अनुदान आयोग के रेगुलेशन 2022 का उल्लंघन करके प्रो. कटेजा ने pre-PhD test 13 फ़रवरी 2024 को आयोजित करवा दी। इसमें इंटरव्यू के 30 नंबर को सिंडिकेट और सीनेट को बायपास करके 20 फीसदी अकेडमिक रिकॉर्ड और 10 फीसदी इंटरव्यू के बाँट दिए, जबकि ये 30 नंबर डीआरसी मेम्बर को देने होते हैं। इस तरह से किसी भी तरह के बदलाव करने के लिए सिंडीकेट और सीनेट से अनुमोदन करवाना होता है।


इनका कहना है कि जब विवि के दो—दो मामलों में प्रो. अल्पना कटेजा अभियुक्त हैं, तो फिर कुलपति छानबीन कमेटी ने क्या इन तथ्यों की अनदेखी की है या फिर प्रो. कटेजा ने इन मामलों को छुपाया है? प्रो. सिहाग का आरोप है कि इस तरह से सुप्रीम कोर्ट, विवि अनुदान आयोग और विवि के तमाम नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए प्रो. अल्पना कटेज को कुलपति बनाया गया है, जिन्हें तुरंत प्रभाव से बर्खास्त किया जाए। 

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