आखिरी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफे का ऐलान करके एक बार फिर अपनी चाल चली है। जिस नेता पर केजरीवाल हाथ रख देंगे, वही दिल्ली का सीएम बन जाएगा। वैसे तो केजरीवाल इस्तीफा देकर हीरो बनना चाहते हैं, लेकिन हकिकत यह है कि बैल देते टाइम कोर्ट ने जो पांच शर्तें लगाई हैं, उसके बाद दिल्ली सीएम के हाथ में कुछ नहीं रहा था।
केजरीवाल न सीएमओ जा सकते थे, न सचिवालय, न किसी फाइल पर साइन कर सकते, न गवाहों से मिल सकते, न केस के उपर बोल सकते और न ही जांच से बच सकते। इसलिए केजरीवाल इस मौके को भुनाते हुए इस्तीफा देकर दिल्ली के वोटर्स की सिम्पैथी बटोरना चाहते हैं। वैसे भी नया सीएम पंजाब के सीएम भगवंत मान की तरह केजरीवाल के कहे अनुसार ही काम करेगा, तो दिल्ली का सीएम कोई भी रहे, इससे क्या फर्क पड़ता है।
जमानत पर भाजपा ने रणनीतिक दांव चलने का प्रयास किया था, लेकिन देश की सियासत में आज भी केजरीवाल से बड़ा चालाक आदमी कोई नहीं है। दरअसल, भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण आम आदमी पार्टी का मैंडेट तेजी से खिकस रहा था।
केजरीवाल ने इस्तीफा देकर अपना जनाधार बचाने की चाल चली है। अब केजरीवाल दूसरे के नाम पर दिल्ली की सरकार भी चलाएंगे और इस्तीफा देकर लोगों की सिम्पैथी भी लेंगे। देखने वाली यह होगी कि केजरीवाल की इस चाल का भाजपा क्या तोड़ निकालती है?
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