जयपुर, जोधपुर, कोटा महापौरों की जगह संभागीय आयुक्त करेंगे काम

Siyasi Bharat (Photo)

राजस्थान सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा के दो-दो नगर निगमों को एकीकृत करने के बाद अब इनका नियंत्रण प्रशासकों को सौंप दिया है। इन तीनों ही निगमों के बोर्ड का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो जाएगा। इसके बाद से इन तीनों शहरों में संबंधित संभागीय आयुक्त प्रशासक की भूमिका में कार्यभार संभालेंगे।

यह राज्य में संभवतः पहला अवसर है जब नगर निगमों की बागडोर सीधे संभागीय आयुक्त जैसे वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों को सौंपी जा रही है। अब तक यह जिम्मेदारी आमतौर पर जिला कलेक्टर या निगम आयुक्त को दी जाती थी।

राज्य सरकार की योजना ‘वन स्टेट, वन इलेक्शन’ के तहत सभी शहरी निकायों में एक साथ चुनाव कराने की है। इसी नीति के अंतर्गत वर्तमान में कई नगर निकायों में प्रशासक पहले से ही नियुक्त हैं, और आने वाले महीनों में यह प्रक्रिया पूरे राज्य में पूरी हो जाएगी।

अधिकारियों के मुताबिक फरवरी 2026 तक राजस्थान के सभी नगरीय निकायों के बोर्ड का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। ऐसे में यह संभावना प्रबल है कि सभी 309 नगरीय निकायों में एक साथ चुनाव करवाए जाएंगे।

स्वायत्त शासन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, इस वर्ष दिसंबर में 50 नगर निकायों का कार्यकाल पूरा होगा। इसके अलावा जनवरी 2026 में 90 और फरवरी 2026 में एक निकाय का कार्यकाल समाप्त होगा।

गौरतलब है कि साल 2019 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा में वार्डों का पुनर्गठन कर प्रत्येक शहर में दो-दो नगर निगम बनाए थे। उस समय प्रदेश में कुल 196 शहरी निकाय थे और 2019 से 2021 के बीच इन सभी में चुनाव कराए गए थे।

इसके बाद सरकार ने जनसंख्या और क्षेत्रीय विस्तार को ध्यान में रखते हुए कई ग्राम पंचायतों को उन्नत दर्जा देकर नगरीय निकायों में शामिल किया। इस प्रक्रिया में कुल 116 नए निकाय बने, जबकि तीन निगम जयपुर, जोधपुर और कोटा के एक-एक निगम हाल ही में समाप्त कर दिए गए।

इस पुनर्गठन के बाद अब प्रदेश में कुल 309 शहरी निकाय हैं। सरकार की योजना है कि इन सभी निकायों में या तो इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में एक साथ चुनाव कराए जाएं, ताकि प्रदेश में स्थानीय निकायों का प्रशासनिक ढांचा सुचारु और संतुलित रूप से संचालित हो सके।


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