किसी जमाने में राजस्थान भाजपा की रीढ़ रहीं वसुंधरा राजे के उम्मीदवार मोरपाल सुमन को 22 महीने पहले पर्ची से सीएम बने भजनलाल शर्मा अभिमन्यु बनाने की फिराक में हैं! अंता उपचुनाव में भले ही वसुंधरा राजे ने जिद करके अपनी मर्जी का उम्मीदवार मैदान में उतार दिया हो, लेकिन कभी वसुंधरा राजे से मिलने को तरसने वाले भजनलाल शर्मा आज वसुंधरा के प्रत्याशी को अंता में खेत करके अभिमन्यु बनाने की साजिश कर रहे हैं।
असल में भजनलाल शर्मा और मदन राठौड़ अंता उपचुनाव में पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी को टिकट देना चाहते थे, किंतु वसुंधरा राजे इसके सख्त खिलाफ थीं। इस वजह से दोनों ने वसुंधरा से उनके निवास पर जाकर मुलाकात करके उन्हें प्रभुलाल सैनी के नाम पर मनाने का प्रयास भी किया था। इसके दो दिन बाद खुद प्रभुलाल सैनी को भी वसुंधरा के पास भेजा था, ताकि उनके नाम पर सहमत हो जाएं, लेकिन वसुंधरा राजे ने साफ इनकार कर दिया।
इसके बाद मजबूरी में प्रदेश भाजपा और सीएम भजनलाल को अपनी मर्जी के खिलाफ अंता की स्थानीय राजनीति में वसुंधरा राजे के करीबी माने जाने वाले मोरपाल सुमन को टिकट देकर उम्मीदवार बनाना पड़ा। हालांकि, दोनों ने वसुंधरा राजे की मर्जी से टिकट तो दे दिया, लेकिन उसके बाद जो कुछ चल रहा है, उससे स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि सीएम पंडित भजनलाल शर्मा और अध्यक्ष मदन राठौड़ नहीं चाहते कि वसुंधरा राजे का उम्मीदवार जीते।
राजनीति का यही उसूल बन गया है, जो आपको आगे बढ़ाए, मौका मिलने पर उसी को जमींदोज कर दो, ताकि प्रतिद्वंदी नहीं बचे। बड़े नेता हमेशा ऐसा ही करते हैं, जब तक कोई नेता उनके नीचे काम कर रहा होता है, तब तक सबकुछ ठीक रहता है, लेकिन जब वो बराबर या उपर उठने का प्रयास करता है, तो वही बड़ा नेता छोटे नेता का करियर खत्म करने में जुट जाता है।
आज भजनलाल शर्मा सीएम हैं, कभी वसुंधरा राजे सीएम थीं और भजनलाल भरतपुर में जिले की राजनीति करते थे। 2016 में जब वसुंधरा दूसरी बार सीएम की पारी खेल रही थीं, तब भजनलाल को जयपुर मुख्यालय में लाकर उपाध्यक्ष बनाया था, लेकिन आज जब भजनलाल पर्ची से सीएम बने हुए हैं, तब वो वसुंधरा जैसी दिग्गज को भी अपने रास्ते से हटाने का प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि, राजनीतिक अनुभव और करियर में भजनलाल कहीं पर नहीं टिकते हैं, लेकिन आज उनके पास सीएम की कुर्सी है, जबकि वसुंधरा महज एक विधायक हैं। भजनलाल को हटाने के बाद आज यदि सीएम की कुर्सी का कोई सबसे बड़ा दावेदार है तो वो वसुंधरा राजे हैं। इसी को राजनीति का अहम अध्याय कहा जाता है, जब मौका मिले तो अपने सभी सियासी दुश्मनों को नष्ट कर दो, ताकि कभी बराबर खड़े होने का दुस्साहस नहीं करे।
यही काम भजनलाल शर्मा करना चाहते हैं। अंता में गुर्जर, मीणा, धाकड़, माली बड़े वोट बैंक वाले समाज हैं, जबकि ब्राह्मण भी नतीजों को तय करने की ताकत रखते हैं। ब्राह्मण वोट पूरी तरह से भाजपा का माना जाता है। भाजपा ने यहां भले ही माली समाज से आने वाले मोरपाल सुमन को टिकट दिया हो, लेकिन दो ब्राह्मण उम्मीदवार भी ताल ठोक रहे हैं।
दोनों ही उम्मीदवार सांगानेर से बताए जा रहे हैं, जिनको किसी बड़ी सियासी ताकत ने पर्चा दाखिल करवाया है, ताकि भाजपा के वोट काटे जा सकें। एक तरफ पूरी कांग्रेस ने एकजुट होकर प्रमोद जैन भाया का नामांकन पत्र दाखिल करवाया और बड़ी रैली करी, तो दूसरी तरफ मोरपाल के नामांकन में सांसद दुष्यंत सिंह और विधायक ललित मीणा ही गिनने लायक नेता उपस्थित थे।
जबकि इस मौके पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, भजनलाल शर्मा, मदन राठौड़ समेत तमाम भाजपा नेताओं को होना चाहिए था। कमाल की बात यह है कि उसी दिन सीएम भजनलाल शर्मा अपने गांव अटारी में गए हुए थे, लेकिन मोरपाल सुमन के नामांकन रैली में नहीं गए। उसके बाद भी अभी तक भाजपा के बड़े नेता मोरपाल सुमन के चुनाव प्रचार से दूर ही हैं।
इससे साबित होता है कि भाजपा के नेता ही वसुंधरा राजे के उम्मीदवार को जिताने की इच्छा नहीं रखते हैं। इस समय वसुंधरा राजे सियासी तौर पर रिवाइव करने का प्लान बना रही हैं। यदि अंता सीट पर उनका उम्मीदवार जीतता है तो उनकी राजनीतिक ताकत में इजाफा होगा, और यही बात भजनलाल शर्मा के खिलाफ जाती है। इसलिए भाजपा के कई बडे पदों पर बैठे नेता मोरपाल सुमन को हरवाकर वसुंधरा राजे को अभिमन्यु बनाने की फिराक में नजर आ रहे हैं।
अंता सीट पर हर दिन सियासी समीकरण बदल रहे हैं। कभी भाजपा भारी पड़ती दिखती है, तो कभी प्रमोद जैन और कभी निर्दलीय नरेश मीणा जीत की तरफ दिखाई दे रहे हैं। आपको क्या लगता है, अंता में कौन जीतेगा? कमेंट करके अपनी राय दीजिए और वीडियो अच्छा लगा हो तो इसे लाइस, शेयर भी कीजिए।
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