जयपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अरावली पर्वत श्रृंखला को लेकर केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि अरावली केवल पहाड़ों का समूह नहीं, बल्कि उत्तर भारत के पर्यावरण और लाखों लोगों के जीवन की सुरक्षा का मजबूत कवच है, लेकिन सरकार की नीतियों और रवैये के कारण इसका भविष्य लगातार असुरक्षित होता जा रहा है।
जयपुर में एनएसयूआई द्वारा आयोजित “अरावली बचाओ पदयात्रा” को संबोधित करते हुए पायलट ने कहा कि राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली तक फैली अरावली पर्वतमाला जलवायु संतुलन, भूजल संरक्षण और मरुस्थलीकरण को रोकने में अहम भूमिका निभाती है, इसके बावजूद सरकार इसे विनाश की ओर धकेल रही है।
उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर ऐसी कौन-सी मजबूरियां और कारण हैं जिनके चलते हजारों साल पुरानी इस पर्वतमाला के संरक्षण के बजाय इसके अस्तित्व से समझौता किया जा रहा है, जबकि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षा कवच साबित हो सकती है।
सचिन पायलट ने भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि देश में करीब 1 लाख 18 हजार पहाड़ियां 100 मीटर से नीचे ऊंचाई की हैं और केवल 1048 पहाड़ियां ही 100 मीटर से अधिक ऊंची हैं, ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में 100 मीटर से ऊंची स्थलाकृतियों को ही पहाड़ी मानने की जो नई परिभाषा दी गई है, उससे 90 से 95 प्रतिशत अरावली क्षेत्र कानूनी सुरक्षा से बाहर हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह परिभाषा पर्यावरण संरक्षण नहीं, बल्कि उसे कमजोर करने का रास्ता खोलती है। पायलट ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह एक तरफ नए खनन पट्टों पर प्रतिबंध की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है और उसे रोकने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के डेढ़ दर्जन से अधिक जिलों में बीते दो वर्षों में हजारों अवैध खनन के मामले दर्ज हुए हैं, जो सरकार की नाकामी को उजागर करते हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार आंकड़ों के जाल में जनता को उलझाकर भ्रमित करने की कोशिश कर रही है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि अरावली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है।
सचिन पायलट ने मांग की कि सरकार अरावली को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करे, अवैध खनन पर सख्त कार्रवाई करे और खनन गतिविधियों से प्रभावित लोगों के पुनर्वास की ठोस नीति लागू करे।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अरावली को बचाने के लिए तुरंत गंभीर कदम नहीं उठाए गए तो इसके दुष्परिणाम केवल राजस्थान ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर भारत को भुगतने पड़ेंगे।

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