निरक्षर मां कहती रहीं गेंद ना लग जाए, बेटी ने दे दी टीम इंडिया में दस्तक

 
-आदिवासी इलाके की बेटी ऐसे बनी क्रिकेट स्टार। बेटी ने फ्लाइट पकड़ी तो मां बोली, गेंद ना लग जाए.. साथ चलूं क्या?
Madan Kalal
ये बेटी है राजस्थान के आदिवासी बाहुल्य इलाके से। बचपन धूल-मिट्टी, खेत और मवेशियों के साथ बीता। टूटी-फूटी सड़कों पर क्रिकेट का शौक चढ़ा।घर-रिश्तेदारी में दूर-दूर तक खेलों से कोई लेना-देना नहीं। 

निरक्षर मां को हमेशा एक ही चिंता रहती पत्थर जैसी गेंद बेटी को ना लग जाए... वक्त निकलता चला। देखते ही देखते बेटी ने टीम इंडिया के लिए दस्तक दे दी।
भारतीय सीनियर वुमन चैलेंजर ट्रॉफी में टीम इंडिया ए में सलेक्ट होने वाली सोनल कलाल की दिलचस्प और प्रेरणादाई कहानी है यह। 

उदयपुर से सौ किमी दूर परेडा गांव से है सोनल। स्कूलिंग गांव के सरकारी स्कूल में। बचपन में सोनल जब भी भैंसों को चराने खेत-जंगल में जाती टूटी-फूटी गेंदों से सड़कों पर कपड़े धोने वाले बल्ले से क्रिकेट खेलने लगती। 

जलाने वाली लकड़ी के स्टंप बनाती और खुद स्पिन गेंदबाजी से उन्हें उखाड़ने लगती।अनजाना शौक जुनून में बदलता रहा। 2017 में मीरा गर्ल्स कॉलेज उदयपुर टीम सलेक्शन हो रहा था। सोनल पहुंच गई और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। 5 साल में सोनल ने टीम इंडिया के लिए दस्तक दे दी है। 

चैलेंजर ट्रॉफी में वह टीम इंडिया की कई स्टार्स के साथ अपने जलवे बिखेरते नजर आएंगी। सोनल कहती है-अब टीम इंडिया ही उसका एकमात्र सपना है। मां को बेटी की खूब चिंता रहती है। 

हमेशा की तरह फ्लाइट पकड़ने से पहले मां ने सोनल से इस बार भी मासूमियत से कहा, कहीं गेंद ना लग जाए ध्यान रखना। तू कहे तो मैं साथ चल चलूं। सोनल ने मुस्कुराते हुए मां को भरोसा दिलाया, नहीं लगेगी। उसका सपना है जिस दिन वह अंतरराष्ट्रीय मैच खेले उसकी मां स्टेडियम में यह मुकाबला लाइव देखें। 
स्पोर्ट्स में करियर बनाने लगी गांव की बेटियां:
सोनल की उपलब्धि इस मायने में खास है कि वह राजस्थान से बीसीसीआई के इस टूर्नामेंट में सेलेक्ट होने वाली इकलौती क्रिकेटर है। फिटनेस ने साथ दिया तो जल्द ही सोनल इंटरनेशनल मैप पर अपने गांव का नाम ले जाएंगी। आज सोनल के गांव को क्रिकेट वाली लड़की के गांव के नाम से जाना जा रहा है। तमाम तरह की ए ग्रेड नौकरियों के बीच अब बेटियां स्पोर्ट्स में भी अपना कैरियर तेजी से बना रही है। 

जब मैदान पर हुई सोनल से मुलाकात: 
3 साल पहले सोनल जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम पर तेज दुपहरी में रनिंग करते दिखीं। 5 दिन का जयपुर में कैंप था। सोनल से परिचय हुआ तो पता चला हमारे गांव से कुछ ही दूरी पर इनका भी गांव। बिना शेड्यूल रनिंग का कारण पूछा तो बोलीं, इंटरनेशनल स्टेडियम में मौका मिला है जीभर के दौड़ लेने दीजिए। 

पता नहीं जिंदगी में मौका मिलेगा या नहीं। उस वक्त सोनल के साथ राजस्थान की कप्तान सुमन भी मौजूद थी। सोनल को इस बात का फक्र है कि पिता ने तमाम पारंपरिक बंधनों को तोड़ते हुए क्रिकेट के लिए एक बेटी को पूरी तरह से खुला छोड़ दिया।

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