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यूनिफॉर्म सिविल कोड के आने से पहले ही रोने लगे ओवैशी

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक और बड़ा कानून बनाने जा रही है। अध्यादेश कब आएगा और कानून कब बनेगा, यह दूसरी बात है, लेकिन ऐसा कौनसा कानून है, जिसके नाम से ही देश के सबसे बड़े मुस्लिम नेता असदुदीन ओवैशी सार्वजनिक रुप से रोने लगे हैं। जो कानून बना ही नहीं, उसके डर के चलते मुस्लिम नेता असदुदीन ओवैशी सार्वजनिक तौर पर रोने लगे हैं। इससे पहले जम्मू कश्मीर से जब धारा 370 हटाई गई थी, और तीन तलाक कानून बनाया गया था, तब भी ओवैशी ऐसे ही रोते हुए नजर आए थे। उन्होंने नागरिकता संसोधन कानून के वक्त भी सार्वजनिक रुप से रोने का काम किया था। ओवैशी कहते हैं मोदी सरकार बहुत जालिम है, और हमें इसके सामने डटकर खड़ा रहना है, इसके जुल्मों से टकराना है और अपने हकों के लिए एक रहना है। असल में केंद्र सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर विधि आयोग से रिपार्ट में मांगी गई है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो आने वाले मानसून सत्र में इस कानून को पारित किया जा सकता है। इस कानून के बनाने की सुगबुगाहट के बीच एआईएमआईएम के मुखिया असददुीन ओवैशी अपने दुख जाहिर किया है। रमजान की आखिरी नमाज अदा करने के बाद ओवैशी ने कहा है कि पिछले दिनों जहांगीरपुरी में मूसलमानों के घरों पर बुल्डोजर चलाया गया, इसी तरह से गुजरात के हिम्मतनगर में बुल्डोजर चले और मध्य प्रदेश के खरगोन में भी मुस्लिमों के घर तोड़े गये हैं। ओवैशी का दर्द इतना झलका कि वह नमाजियों को संबोधित करते हुए रो पड़े। किंतु असल मामला इतना ही नहीं है, अपितु केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे कानूनों को लेकर है। जानकारी में आया है कि केंद्र सरकार जल्द ही यूनिफॉर्म सिविल कोड, यानी समान नागरिक संहिता के लिए अध्यादेश जारी कर सकती है और उसके बाद आगामी मानसून सत्र में उसको कानून का रुप दिया जा सकता है। भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में शामिल रही समान नागरिक संहिता पर मोदी सरकार का प्लान क्या है? इस बारे में कानून मंत्री किरन रिजिजू ने बताया है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मामला लॉ कमीशन के पास भेजा जा सकता है। बीजेपी के ही सांसद निशिकांत दुबे ने समान नागरिक संहिता पर सरकार के रुख के बारे में जानकारी मांगी थी। निशिकांत दुबे ने इस संबंध में कानून मंत्री किरन रिजिजू को एक दिसबंर 2021 को पत्र लिखा, जिसका जवाब रिजिजू ने 31 जनवरी 2022 को दिया। रिजिजू ने बताया कि संविधान का अनुच्छेद 44 केंद्र सरकार को देशभर के नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कहा है। इससे जुड़े सभी प्रावधानों का विस्तृत अध्ययन करने के लिए ये मामला 21वें विधि आयोग को दिया गया था, लेकिन इसका कार्यकाल 31 अगस्त 2018 को खत्म हो गया। उन्होंने बताया कि अब इस मामले को 22वें विधि आयोग को सौंपा जा सकता है। बीजेपी दशकों से अयोध्या में राम मंदिर बनाने का वादा करती आई है। उसके हर घोषणापत्र में इसका जिक्र रहता है। 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की इजाजत दे दी। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना भी बीजेपी का बड़ा वादा रहा है। बीजेपी एक देश-एक संविधान की बात करती रही है। 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छे 370 को हटा दिया गया है। इन दोनों के अलावा यूनिफॉर्म सिविल कोड भी बीजेपी के एजेंडे में रहा है। बीजेपी हमेशा सभी धर्मों के लिए एक कानून की बात करती रहती है। बीजेपी के तीन बड़े वादों में से यही एक बड़ा वादा पूरा नहीं हुआ है। भारत में अभी सिर्फ एक राज्य है जहाँ यूनिफार्म सिविल कोड लागू है वह राज्य है गोवा इस राज्य में पुर्तगाल सरकार के समय से ही यूनिफार्म सिविल कोड लागू किया गया था। वर्ष 1961 में गोवा सरकार यूनिफार्म सिविल कोड के साथ ही बनी थी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा कैबिनेट मीटिंग में यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर एक बड़ा फैसला लिया गया है। दूसरी बार सीएम चुने जाने के बाद जनता से किये वादे को पूरा करते हुए सीएम धामी के द्वारा यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर एक कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी के माध्यम से यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार किया जायेगा। राज्य में इसे लागू करने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को अप्रूवल दे दिया है। इसको आगामी सत्र में कानून बना दिया जाएगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड के फायदों और नुकसान की बात करें तो यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने से सभी समुदाय के लोगों को एक समान अधिकार दिए जायेंगे। समान नागरिक सहिंता लागू होने से भारत की महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा। मुस्लिम समुदाय के पर्सनल लॉ में महिलाओं के अधिकार सिमित है। ऐसे में यदि Uniform Civil Code लागू होता है तो महिलाओं को भी समान अधिकार लेने का लाभ मिलेगा। महिलाओं का अपने पिता की सम्पति पर अधिकार और गोद लेने से संबंधी सभी मामलों में एक सामान नियम लागू हो जायेंगे। मुस्लिम नेता इसलिए इसका विरोध करते हैं, क्योंकि वो लोग मूसलमानों के लिए सरिया कानून के कुछ नियम लागू रखने के पक्ष में हैं। असल में ये लोग मुस्लिम समाज को बहकाकर वोट बटोरने का काम करते रहते हैं, इसलिए यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से उनके पास मुद्दा खत्म हो जाएगा, फिर चुनाव के दौरान उनको विकास की बात करनी होगी, जो विपक्षी दलों द्वारा वोट बटोरने के लिए नाकामी है। यही कारण है समान नागरिक संहिता लागू होने से पहले ही सियासी जमीन खिसकने के डर से ओवैशी जैसे नेता रोने लगे हैं। इस बीच यह भी सुनने में आया है​ कि हो सकता है केंद्र सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड केंद्र के बजाए पहले राज्यों से बहुमत में कानून बनवाए और बाद में जब प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में चला जाए, तब संसद से कानून बनाकर पूरे देश में लागू कर दिया जाए। असल में भाजपा इस वक्त देश के अधिकांश राज्यों में काबिज है और उसके पास बहुमत भी है, इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस वादे को पूरा करके ही भाजपा आम चुनाव में जाना चाहेगी।

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