भारत पीओके में हमला करने जा रहा है

Ram Gopal Jat
भारत सरकार जब भी कहेगी, तभी हमला करके पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस ले लिया जायेगा। भारतीय सेना ने इसकी तैयारी कर रखी है। उत्तरी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि भारत सरकार जब आदेश देगी, सेना PoK पर कार्रवाई करने को तैयार है। सेना का कहना है​ कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के विषय पर संसद में प्रस्ताव पास हो चुका है। भारतीय सेना सरकार के हर आदेश के लिए पूरी तरह से तैयार है। सरकार जब भी आदेश देगी सेना अपनी पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ेगी। भारत में घुसपैठ के लिए पाकिस्तानी लॉन्चपैड पर करीब 160 आतंकी मौजूद हैं। उनको ठिकाने लगाने के​ लिये भारतीय सेना तैयार बैठी है।
क्या वास्तव में भारत सरकार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को लेकर जल्द ही कोई बड़ा एक्शन प्लान बना रही है? क्या ऐसी किसी योजना को अमलीजामा पहनाया जा चुका है? या फिर सरकार केवल गुजरात चुनाव में लाभ के लिये ही इस तरह के बयान सेना से दिला रही है? तमाम सवालों के जवाब जानना और उनको समझना जरुरी है। इसके साथ ही यह भी जानना जरुरी है कि भारत और पाकिस्तान की सेना में कितना अंतर है। क्या भारतीय सेना पाकिस्तान को हरा सकती है? हरा सकती है तो कितना समय लगेगा, क्योंकि बीते 9 महीनों से रूस भी यूक्रेन को हराने के लिये प्रयास कर रहा है, लेकिन एक छोटे से देश ने उसकी नाक में दम कर दिया है। अब रूस को पीछे हटना पड़ रहा है। जिसके बाद ये सवाल भी उठ रहे हैं कि छोटे बड़े से कुछ नहीं होता है, असल में जिसके पास अधिक पॉवर होती है, वही जीत पाता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तानी सेना करीब 1.50 लाख करोड़ का कारोबार करती है। हाल ही में पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बावजा की संपत्ति का खुलासा हुआ है। बाजवा की संपत्ति सेना प्रमुख बनने के बाद दो गुनी होकर 6 साल में 467 करोड़ से अधिक हो गई है। सेना प्रमुख की संपत्ति ही नहीं बढ़ी, बल्कि इसके साथ ही सेना के आला अधिकारियों की भी प्रोपर्टी में जोरदार इजाफा हुआ है। विशेषज्ञों की मानें तो सेना देश का कारोबारी घराना है। वह उद्योग चलाता है, और भ्रष्टाचार में आकंठ लिप्त है। पाकिस्तानी संसद में पेश दस्तावेजों के अनुसार सेना करीब 1.50 लाख करोड़ का कारोबार करती है। उसके कारोबार में सीमेंट, खाद, बीज, तेल, गैस, बिजली, एयरपोर्ट सर्विस, विमानन पार्ट्स, जूते, सेना के उपकरण, सिक्योरिटी सर्विस, स्टिलरी, बैंक, मीट, मेटल, विज्ञापन एजेंसी, मेडिकल सर्विसेज से लेकर रियल स्टेट कारेाबार तक शामिल हैं।
मजेदार बात यह है कि शायद ही दुनिया की कोई दूसरी सेना होगी, जो इस तरह से कारोबार में लिप्त है। सेना की ओर से ये कारोबार 50 से ज्यादा कंपनियां या प्रोजेक्ट चार नामों से चलाया जाता है, जिनके नाम आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट, मिलिट्री फाउंडेशन, शाहीन फाउेंडेशन और बहरिया फाउंडेशन हैं। पाकिसनी सेना के पास 2 लाख करोड़ से अधिक की संपत्ति है। हाला ही में खुलासा हुआ था कि पाकिस्तानी सेना ने 2500 करोड़ का घोटाला किया है। सेना के अफसर मिलकर सेना की संपत्ति को बेचकर पैसे हड़प लेते हैं। साल 1947 तक अब तक भ्रष्टाचार के मामले में सेना के 72 अफसर सस्पेंड हो चुके हैं।
क्रेडिट सुइस की अक्टूबर 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक पाक सेना के 25 रिटायर अफसरों के स्विस बैंक खाते हैं इनमें 80 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा जमा हैं। इसमें आईएसआई के पूर्व प्रमुख अख्तर अब्दुर रहमान खान का खाता भी है। उनके अकांउट में 15 हजार करोड़ रुपपे हैं। पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने करीब एक लाख करोड़ के प्लाट अपने पसंदीदा अफसरों को दे दिये। साल 2018 की जांच में पता चला कि मुशर्रफ परिवार के पास अरबों रुपये की 10 संपत्तियां हैं, इसके अलावा विदेशों में भी बहुत पैसा निवेश किया हुआ है। इससे पता चलता है कि पाकिस्तानी सेना के हाल क्या हैं। सेना का ध्यान सुरक्षा के बजाये कमाई में रहता है या फिर देश का ध्यान भटकाने के लिये भारत में आतंकी भेजने का काम करती है। कतर में चल रहे फीफा फुटबॉल वर्ल्डकप में भी पाकिस्तानी सेना ने गार्ड्स की जिम्मेदारी संभाल रखी है। जहां से उसको करोड़ों रुपयों का भुगतान होगा। पाकिस्तानी सेना भले ही बार बार कहे कि उसके पास परमाणु बम बनाने का पूरा सामान है, लेकिन हकिकत यह है कि आज तक ​कभी इसका ना तो इस्तेमाल किया जा सका है और ना ही इसको इस्तेमाल करने की उसको यूएनएससी की इजाजत है।
भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इसी महीने की 3 तारीख को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में एक रैली को संबोधित करते हुये पाकिस्तान पर मिशन की चेतावनी दी थी। इसी दौरान भीड़ में से लोगों ने कहा कि PoK भी अब भारत में चाहिए। जिसके जवाब में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि आप धैय रखिये, सबकुछ होगा। मतलब यही है कि इस बारे में भारत सरकार गंभीर है और सेना के बयानों ने इसको और मजबूती दी है। लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जम्मू-कश्मीर में हो रही टार्गेट किलिंग पर कहा कि राज्य में आतंकवाद को रोकने के लिए काफी काम किया गया है। इससे बौखलाए आतंकियों की तरफ से कभी पिस्टल कभी हथियार इस तरह भेजने के प्रयास किए जाते हैं और निहत्थे लोगों को टारगेट किया जाता है, लेकिन आतंकी अपने मंसूबों में कभी कामयाब नहीं हो पाएंगे। धारा 370 हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में काफी बदलाव आया है। राज्य में आतंकवाद पर लगाम लगी है।
सेना के टारगेट लॉन्चपैड पर लगभग 160 आतंकवादी बैठे हैं, जिनमें पीर पंजाल के उत्तर में 130 और पीर पंजाल के दक्षिण में 30 आतंकी मौजूद हैं। पूरे भीतरी इलाकों में कुल 82 पाकिस्तानी आतंकवादी और 53 स्थानीय आतंकवादी बैठे हैं। इसके अलावा पाकिस्तान लगातार ड्रग्स भेजने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में ही इंडियन आर्मी ने करोड़ों रुपए की ड्रग्स पकड़ी है। यहां तक कि सेना जो आतंकी बॉर्डर पर मार रही है, उनको भी पाकिस्तानी कहते हैं कि तस्कर मारे जा रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि पाकिस्तान ड्रग्स बेचने के प्रयास आए दिन कर रहा है। इन आतंकियों में 35 पर्सेंट युवा 20 साल की उम्र के हैं, जबकि 55 प्रतिशत जो युवा हैं, वो 20-30 साल के बीच में आतंकी बन रहे हैं।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का वह हिस्सा है, जो पाकिस्तान के साथ लगता है। 1947 में बंटवारे के बाद पाकिस्तान ने कबीलाई विद्रोहियों की मदद से जम्मू-कश्मीर के इस हिस्से पर कब्जा कर लिया था। भारतीय फौज इस हिस्से को वापस लेने के लिए लड़ रही थी, मगर उसी समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू कश्मीर के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र संघ चले गए। UN ने दखल देकर दोनों देशों के बीच युद्ध विराम करवा दिया और ‘जो जहां था, वहीं काबिज हो गया।’ उसी समय से दोनों देशों की फौजें इंटरनेशनल सरहद की जगह लाइन ऑफ कंट्रोल, यानी LoC के दोनों तरफ डटी हैं। LoC दोनों देशों के बीच खींची गई 840 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है।
पाकिस्तान कभी भी PoK को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है और उसे आजाद कश्मीर बताता है। मौजूदा समय में पाकिस्तान ने PoK को गिलगिट और बाल्टिस्तान, दो हिस्सों में बांट रखा है। भारत सरकार समय-समय पर PoK को वापस लेने की बात कहती रही है। साल 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुआई में BJP सरकार बनने के बाद यह मुद्दा ज्यादा गरमा गया। मोदी सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर से धारा 370 खत्म किए जाने के बाद PoK को वापस लेने की मांग जोर-शोर से उठती रही है। अब यह समझना जरुरी है कि सेना की तरफ से ताजा बयान क्यों दिये जा रहे हैं? असल बात यह है कि मोदी सरकार जब भी कोई कदम उठाती है, तो उससे पहले उस मुद्दे को लेकर जनता के बीच में चली जाती है, जहां जनता में से बहुमत की आवाज आती है, तो उसके अनुसार निर्णय कर लिया जाता है। चाहे धारा 370 हो, तीन तलाक हो, या फिर नागरिकता संशोधन कानून हो, हर विषय पर सरकार ने पहले जनता का मन टटोलने के लिये इस तरह से मुद्दों को पब्लिक डोमेन में छोडा जाता रहा है।
उसके बाद उस विषय को संसद में कानून बनाने से संशोधन का काम किया जाता है। चर्चा है कि मोदी सरकार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को लेकर ही 2024 के चुनाव में वोट मांगने जायेगी। जिसकी ​तैयारी अभी इसी तरह से की जा रही है। सेना की तरफ से बीते एक महीने में दो बार इस तरह का बयान आया है, अन्यथा भारतीय सेना कभी भी इस तरह के बयान नहीं देती है। सेना के इन बयानों से साफ हो गया है कि बड़े अभियान की तैयारी चल रही है। किसी ऐसी बात का इंतजार किया जा रहा है, जिसके बाद अवसर मिलते ही कड़ी कार्यवाही कर दी जायेगी। कुछ लोगों को मानना है कि भारत सरकार इस बात का इंतजार कर रही है कि चीन कब ताइवान पर हमला करता है। जैसे ही चीन और ताइवान के बीच युद्ध होगा, वैसे ही भारत भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में मिशन शुरू कर देगा। आंतरिक मु्द्दों को छोड़कर बाहरी मामलों में भारत के लिये पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर सबसे बड़ा मुद्दा है, जिसको लेकर भाजपा अपने घोषणा पत्र में भी वादा करती रही है। इस वक्त गुजरात चुनाव का दौर चल रहा है और उसके बाद अगले साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में चुनाव हैं, जिसके पांच माह बाद देश में आम चुनाव होने हैं।
माना जा रहा है कि मई 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार समान नागरिक संहिता और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मामलों को निपटाकर ऐतिहासिक बहुमत की तरफ जाना चाहती है। विदेश मामलों के जानकार बताते हैं कि विदेश मंत्री एस जसशंकर ने पिछले दिनों चीन और पाकिस्तान को पीओके मामले में आगे कुछ भी नहीं करने की चेतावनी दी थी, जो साफतौर पर इस बात का संकेत है कि मोदी सरकार जल्द ही पीओके में हमला करने की योजना बना रही है।
इस बीच कुछ लोग यह भी सवाल करते हैं कि पीओके में कार्यवाही से पहले ढोल क्यों पीटा जा रहा है, मतबल इतना हल्ला क्यों मचाया जा रहा है? असल में किसी मुद्दे को वैश्विक स्तर पर ये दिखाने के लिये प्रचारित किया जाता है कि उसकी तह तक जाकर समझा जा सके। आपने देखा होगा, जब तीन कृषि कानून बनाये गये थे, तब ​कैसे सरकार को कदम पीछे हटाने पड़े थे, यदि उस वक्त भी सरकार ने पहले जनमत जानने के लिये मामले को जनता में ओपिनियन के लिये छोड़ दिया जाता तो उन कानूनों को वापस लेने की जररुत ही नहीं पड़ती।
एक कारण यह है भी है कि जब कोई विषय जनता के बीच चला जाता है, तो जनता की राय भी सामने आती है और कुछ सुझाव भी मिल जाते हैं। सोशल मीडिया के इस दौर में कई देशों की सरकारों इस तरह जनमत सर्वे से काम करती हैं। मोदी सरकार ने कई कानून इसी तरह से पहले जानता की राय लेकर बनाये हैं, जिसके कारण उनका फायदा भी मिला है। पीओके को लेकर जारी बयानों के बाद यह बात पुख्ता होती जा रही है कि रक्षामंत्री और विदेश मंत्री के बयानों में बहुत कुछ सच है, जिसका आने वाले समय में खुलासा हो जायेगा।

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