अजमेर 92 सेक्स कांड़ में अशोक गहलोत समेत कांग्रेस के कई नेता शामिल हैं: गुढ़ा

राजस्थान के सैनिक कल्याण राज्यमंत्री राजेंद्र गुढ़ा को बर्खास्त करने के बाद ऐसा लग रहा है जैसे वो कांग्रेस सरकार के लिए आफत बनकर टूट पड़े हैं। रविवार को दावा करने के बाद जिस लाल डायरी को लेकर गुढ़ा सोमवार को विधानसभा में पहुंचे, उसको लेकर सदन की कार्यवाही हंगामे के कारण बार—बार स्थगित करनी पड़ी। राजेंद्र गुढ़ा ने दावा किया है कि 500 करोड़ से ज्यादा के लेनदेन वाली जिस लाल डायरी की बात वो कर रहे हैं, उसमें सीएम अशोक गहलोत, उनके बेटे और आरसीए के अध्यक्ष वैभव गहलोत समेत कई कांग्रेसी नेताओं के राज छिपे हैं। सरकार से बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने अशोक गहलोत के पूरे लेनदेन का आरोप लगाया है, उनके द्वारा सरकार बचाने के लिए विधायकों को कितना मोटा धन दिया गया, वो सब कुछ छिपा है।
अजमेर 92 सेक्स कांड़ में अशोक गहलोत समेत कांग्रेस के कई नेता शामिल हैं: गुढ़ा
इसके अलावा गुढ़ा ने यह भी दावा किया कि 92 के अजमेर सैक्स स्कैंडल में खुद अशोक गहलोत समेत कांग्रेस के कई नेताओं के दामन काले दाग हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सब नेताओं का नार्को टेस्ट होना चाहिये, ये लोग महिला अत्याचार और बलात्कार में पीएचडी किये हुए हैं। गुढ़ा के तमाम दावों के बारे में विस्तार से बात करेंगे, उससे पहले आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि लाल डायरी को राजेंद्र गुढ़ा सदन में टेबल करना चाहते थे, लेकिन उससे पहले ही उनको उठाकर बाहर निकाल दिया। इसके करीब दो घंटे बाद सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो सरकार ने राजेंद्र सिंह गुढ़ा और भाजपा विधायक मदन दिलावर को बाकी सत्र से निलंबित कर दिया है। सरकार ने इस दौरान अपने सभी विधेयक पास करवा लिये, उसके साथ ही चार संकल्प पारित करवाए और दोनों विधायकों को निलंबित कर सदन की कार्यवाही 2 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया। समझने वाली बात यह है कि जब सरकार ने सभी काम करवा लिए हैं तो फिर सदन का सत्रावसान क्यों नहीं किया? आखिर अशोक गहलोत सरकार ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित क्यों नहीं किया? वास्तव में देखा जाये तो सरकार को डर है कि यदि विधायकों ने बगावत कर दी तो बहुमत साबित करने के लिए सत्र बुलाना होगा और उस समय राज्यपाल की भूमिका अहम होगी, जिसके डर से सत्रावसान ही नहीं किया गया।
इससे पहले जब सचिन पायलट ने जुलाई 2020 में बगावत की थी और बाद में पायलट व गहलोत के बीच सुलह हो गई थी, तब भी सदन को छह महीने के लिए स्थगित ही नहीं किया गया था। ऐसा पहली बार हुआ, जब सरकार ने सदन का सत्रावसान ही नहीं किया। इसको लेकर खुद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी पिछले दिनों राजस्थान विधानसभा को संबोधित करते हुए चिंता जताई थी और कहा था कि सदन को बेवजह लंबा नहीं खींचना चाहिए, यह लोकतंत्र का हनन है और संविधान का अपमान है। इसके बाद भी अशोक गहलोत सरकार ने सदन का सत्रावसान नहीं किया, वो चौंकाने वाला मामला है। इसके पीछे का सच यह है कि अशोक गहलोत को सरकार अल्पमत में आने और गिरने का डर है, जिसके कारण सदन का सत्रावसान ही नहीं किया है। सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच दिखाने को तो सुलह हो गई है, किंतु वास्तविकता यह है कि पायलट और गहलोत के बीच आज भी बहुत बड़ा मनमुटाव है। यही वजह है कि अशोक गहलोत को सरकार गिरने का डर सताता रहता है।
लाल डायरी की कहानी को यदि राजेंद्र गुढ़ा के अनुसार मानें तो जब सचिन पायलट ने बगावत की थी, तब फेयरमोंट होटल में सरकार कैद थी, तब अशोक गहलोत के खास धर्मेंद्र राठौड़ और राजीव अरोड़ा समेत तीन जनों के ठिकानों पर ईडी और इनकम टैक्स ने छापेमारी की थी, उस समय खुद गहलोत ने मंत्री रामलाल जाट, धीरज गुर्जर और राजेंद्र गुढ़ा को सिविल लाइन स्थिति रूबी टावर की नवीं मंजिल पर धर्मेंद्र राठौड़ के फ्लैट से तीन तीन कांच तोड़कर लाल डायरी निकाल ली थी। जिसको लेकर खुद अशोक गहलोत ने बार बार पूछा था कि उसको जलाया या नहीं? गुढ़ा ने यह भी दावा किया है कि उस लाल डायरी में अशोक गहलोत द्वारा सरकार बचाने और राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में वोटिंग करने के लिए निर्दलीय, और भाजपा विधायकों को करोड़ों रुपयों का भुगतान किया था, उसका जिक्र है। दरअसल, जब सचिन पायलट ने जुलाई 2020 में बगावत की थी, उससे पहले राज्य में तीन सीटों पर राज्यसभा का चुनाव हुआ था, तब गहलोत कैंप ने यह प्रचारित किया था कि सचिन पायलट का कैंप कांग्रेस के खिलाफ क्रॉस वोटिंग करेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उस समय आरोप लगे थे कि विधायकों की खरीद फरोख्त का बड़ा खेल चला था। खुद गहलोत ने भी हॉर्स ट्रेडिंग का दावा किया था। वसुंधरा राजे गुट के विधायक जब भाजपा विधायकों के साथ अहमदाबाद नहीं गये थे, तब यह आरोप लगे थे कि अशोक गहलोत ने करोड़ों रुपयों का भुगतान किया था। राजेंद्र गुढ़ा का दावा है कि जब सरकार गिरने की नौबत आई थी, तब सरकार 34 दिन होटलों में कैद रही थी, उस समय निर्दलीय, बीटीपी, वामपंथी विधायकों को करोड़ों रुपयों का भुगतान हुआ था। गुढ़ा ने दावा यह भी किया कि उस डायरी में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का लेनदेन है।
उनका यह भी कहना है कि कांग्रेस के कई नेताओं के लेनदेन का हिसाब उस डायरी में है, गहलोत के बेटे वैभव गहलोत का नाम है। असल बात यह है कि गहलोत की सरकार गठन के बाद जब राजस्थान क्रिकेट एकेडमी के अध्यक्ष का चुनाव हुआ था, तब अशोक गहलोत ने अपने बेटे वैभव गहलोत को राजनीति में स्थापित करने लिए आरसीए अध्यक्ष का चुनाव लड़ाया था। तब कांग्रेस के ही नेता रामेश्वर डूडी सामने खड़े हो गये थे, लेकिन गहलोत के बेटे की जीत हुई। उस समय भी ऐसे आरोप लगे थे कि वैभव गहलोत को आरसीए अध्यक्ष बनाने के लिए करोड़ों रुपये का भुगतान वोटर्स को किया गया था। उसी वाकये का जिक्र करते हुए गुढ़ा ने दावा किया है कि अपने बेटे को जिताने के लिए जो अवैध भुगतान किया गया था, उसका पूरा ब्योरा लाल डायरी में जिक्र है। इसके अलावा गुढ़ा ने अजमेर सेक्स स्कैंडल में कांग्रेस के कई नेताओं समेत खुद अशोक गहलोत की भूमिका होने का आश्चर्यजनक दावा किया है। उनके अनुसार सारे कांग्रेसी नेता उस कांड में शामिल थे, यहां तक कि सीएम अशोक गहलोत भी उस सेक्स कांड का हिस्सा थे।
दरअसल, वर्ष 1992 के दौरान अजमेर दरगाह के खादिमों द्वारा सोफिया स्कूल की कई लड़कियों को अपने फॉर्म हाउस में ले जाकर उनके साथ गैंगरेप किया गया, उस सामूहिक बलात्कार कांड में करीब 300 छात्राओं को हवस का शिकार बनाया गया था और उनकी अश्लील फोटो बनाई गई, उनको ब्लेकमैल किया गया था। उस मामले में तब कांग्रेस के जिलाध्यक्ष समेत कई बड़े नेताओं के नाम सामने आये थे। कहा जाता है कि 1994 से 1997 तक अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष थे, तब उन्होंने सीएम भैरो सिंह शेखावत से मिलकर कांग्रेस नेताओं के नाम केस से हटाने का काम किया था। इसी तरह के तमाम आरोप खुद गुढ़ा ने भी लगाये हैं। उस कांड के बाद देशभर में हंगामा मच गया था, कई आरोपियों को पकड़ा गया था और साम्प्रदायिक दंगे होने की नौबत आ गई थी, तब खुद सरकार ने मामले को दबाने का काम किया था। उस कांड की कई पीड़िताएं आज भी नारकीय जीवन जी रही हैं। उस भयानक कांड के आरोपियों को कम सजा हुई, जिसको लेकर सवाल उठते रहते हैं। प्रदेश के लिए सबसे शर्मनाक कांड पर आज भी राजनीति तो होती है, लेकिन पीड़िताओं को आज भी न्याय नहीं मिला है। उस कांड को लेकर एक फिल्म बनी है, जिसको लेकर भी खूब चर्चा हो रही है। अब गुढ़ा के द्वारा उस कांड में खुद अशोक गहलोत का नाम लिया गया है, उससे कांग्रेस के उपर कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
इसके अलावा राजेंद्र गुढ़ा ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस नेताओं का नार्को टेस्ट करवाया जायेगा तो सभी जेल जायेंगे, सभी नेता बलात्कारी हैं, इन्होंने बलात्कार में पीएचडी कर रखी हैं, जिनमें मंत्री महेश जोशी सचिन तेंदुलकर की तरह बलात्कार करने में सभी तरह के रिकॉर्डधारी हैं। उनके बेटे ने भी पिछले साल शादी का झांसा देकर एक मुस्लिम लड़की के साथ बलात्कार किया था, जिसे लेकर भी मामला कोर्ट में चल रहा है। गुढ़ा के इन आरोपों के बाद कांग्रेस संगठन और सरकार में हलचल मची हुई है, तो भाजपा हमलावर हो गई है। पिछले तीन चार महीनों से अशोक गहलोत ने महंगाई राहत शिविरों के द्वारा जो प्रचार कर अपनी सरकार के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया था, अरबों रुपये प्रचार के लिए फूंके गये थे, वो सब धरा का धरा रह गया है। गुढ़ा के इन आरोपों के बाद सरकार के खिलाफ भयानक माहौल बन गया है।
सवाल यह उठता है कि राजेंद्र गुढ़ा के इन बयानों के पीछे क्या वास्तव में भाजपा का हाथ है? कुछ लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि ये खेल सचिन पायलट ने पर्दे के पीछे से खेला है। ऐसे ही कई और सवाल हैं, जिनका जवाब समय के साथ मिलेगा, किंतु भाजपा पर आरोप लगाने वाली कांग्रेस खुद क्यों नहीं कहती है कि लाल डायरी का राज क्या है? सवाल यह भी उठता है कि जब लाल डायरी में कुछ था ही नहीं, तो फिर सरकार ने सदन में गुढ़ा को बोलने क्यों नहीं दिया, उनको डायरी टेबल क्यों नहीं करने दी? इसका मतलब यह है कि गुढ़ा जो आरोप लगा रहे हैं, वो बिलकुल सही हैं। यदि गुढ़ा के आरोप सही हैं तो यह बात भी सही है कि पिछली दो बार की तरह इस बार भी अशोक गहलोत के सीएम रहते हुए कांग्रेस ऐतिहासिक हार झेलने वाली है।
सचिन पायलट को लेकर सोशल मीडिया पर जो लिखा जा रहा है, उसका मतलब यह है कि कहीं ना कहीं इस मामले में सचिन पायलट की भी भूमिका हो सकती है। हालांकि, खुद गुढ़ा ने इस सवाल पर चुप्पी साध ली है, लेकिन जिस तरह का घटनाक्रम हुआ है, उस हिसाब से कहीं ना कहीं पायलट कैंप का भी हाथ हो सकता है। असल बात यह है कि जब 15 मई को जयपुर में पायलट की सभा हुई थी, तब मंच से राजेंद्र गुढ़ा ने कहा था कि शांति धारीवाल और अशोक गहलोत सरकार के भ्रष्टाचार के सारे सबूत हैं। सरकार संकट में थी, तब कितने करोड़ों रुपये का लेनदेन हुआ था, उसके सबूत उनके पास हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि यदि वास्तव में राजेंद्र गुढ़ा के पास लाल डायरी का राज है तो सचिन पायलट को भी इसकी जानकारी होगी।
इसके अलावा सचिन पायलट ने जिस अकल्पनीय तरीके से अचानक कांग्रेस आलाकमान के साथ समझौता किया था, वह बात आज तक किसी को हजम नहीं हो रही है। माना जा रहा है कि सचिन पायलट अब कांग्रेस में अंदर रहकर ही अशोक गहलोत से बदला लेंगे। इस वजह से राजेंद्र गुढ़ा के द्वारा लाल डायरी का खुलासा किया गया है, उसके बाद पायलट कैंप द्वार पर्दे के पीछे से खेल किए जाने की भी चर्चा हो रही है। अब ये सब भविष्य के गर्भ में है कि प्रकरण में आगे क्या होगा, लेकिन इतना तय है कि इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस पार्टी और अशोक गहलोत की सरकार पूरी तरह से बैकफुट पर आ गई है।

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