अशोक गहलोत को नैतिकता के नाते इस्तीफा दे देना चाहिए: डॉ. मीणा

—70 लाख युवाओं के सपनें रौदें, पेपर लीक की सरकार होगी डिलिट, नहीं होगी रिपी —निजी संस्थाओं व राजीव गांधी स्टडी सर्कल से जुडें लोगों के कारण हुआ रीट पेपर लीक, उसी तर्ज पर आरएएस 2021 की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी रही है निजी लोगों के हाथः- डॉ. किरोड़ी लाल —प्रदेश की कानून व्यवस्था को सम्भालेंगे भ्रष्ट प्रक्रिया से चयनित सैकड़ों पुलिस उपनिरीक्षक, टॉपर के चयन में भी हुआ भ्रष्टाचार:- डॉ. किरोड़ी लाल —2018 के बाद आरएएस भर्ती परीक्षा 2021 में भी जमकर भ्रष्टाचार उजागरः- डॉ. किरोड़ी लाल
सोमवार से आरपीएससी द्वारा शुरू होने वाले 2021 आरएएस भर्ती के साक्षात्कार पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाने की मांग करते हुए डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि आरएएस भर्ती परीक्षा से लेकर अब तक धांधली व घोर अनियमितताएं बरती गई हैं।
आरएएस भर्ती परीक्षा 2018 में शिवसिंह राठौड़ की भ्रष्टाचार की भूमिका का पूर्व में भी खुलासा किया कि आरपीएससी द्वारा नियुक्त कॉर्डिनेटर शिव सिह राठौड़ ने कॉपी जांचने की जिम्मेदारी गोविंद सिंह डोटासरा के विधानसभा क्षेत्र के चहेते प्रोफेसर (एमडीएस यूनिवर्सिटी) को दी, जिसने गोविंद सिंह डोटासरा के रिश्तेदारों का साक्षात्कार में भी धांधली कर अच्छे अंक देकर चयन कराने में राठौड़ की अहम भूमिका निभाई।
प्री परीक्षा में भी अनुभवहीन विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रश्न पत्र बनाया गया 150 प्रश्नों में से छह प्रश्न आरपीएएसी की ओर से डिलीट कर दिए गए और 14 प्रश्नों पर अभ्यर्थियों ने आपत्ति जताई, लेकिन आरपीएएसी ने अभ्यर्थियों की एक भी नहीं बाद में न्यायालय द्वारा प्री परीक्षा रद्द कर नए सिरे से परिणाम जारी करने के आदेश दिए गए थे।
उस समय भी मैंने आरपीएससी को चेताया और कहा कि आयोग कैसे बनवाता हे जिन्हे आधारभूत जानकारी नहीं है। मुख्यमंत्री मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद परीक्षा कराने की हठधर्मिता कर रहे थे। जिससे यह इंगित होता है कि मुख्यमंत्री इस परीक्षा कराने में कितने उत्सुक थे।
न्याय पालिका के निर्णय और अभ्यर्थियों के विरोध के बाद भी सरकार की जल्दी से जल्दी परीक्षा कराने की हठधर्मिता पेपर लीक में शिव सिंह राठौड की जिसमें भूमिका का महत्वपूर्ण तथ्य शिव सिंह राठौड द्वारा 28 दिसंबर 2021, यानी आरपीएससी अध्यक्ष बनने के बाद जो ट्वीट किया, वह आरएएस मुख्य परीक्षा के प्रश्न पत्र—2 के खंड स, भूगोल का 13वां प्रश्न जो 10 अंक का है।
इससे यह सिद्ध होता है कि 2018 की तरह 2021 में भी राठौड ने बडा भ्रष्टाचार किया। और अपने चहेतों को परीक्षा में पास कराने का काम किया।मुख्यमंत्री ने अपने चेहते संजय श्रोत्रीय को आरपीएससी का चेयरमैन घोषित कर अपने चहेतों को आरएएस बनाने की जिम्मेदारी दी।
प्रेसवार्ता में डॉ. मीणा ने कहा कि मैं आरपीएससी अध्यक्ष से पूछना चाहता हूं कि सदस्य बाबूलाल कटारा को शिक्षक भर्ती सैकंड ग्रेड के पेपर तैयार करने की जिम्मेदारी किसके कहने पर दी अभी तक इतिहास में आरपीएससी में ऐसी जिम्मेदारी किसी भी अध्यक्ष ने नहीं दी।
इसका जवाब क्या मुख्यमंत्री दे सकते हैं? इसी यह सिद्ध होता है कि आरएएस परीक्षा को जल्दबाजी कराने में मुखिया के चहेतों को आरएएस बनाने की मंशा स्पष्ट दिख रही है। आरएएस मुख्य परीक्षा 2021 की कांपियां जांचने में मुखिया जी के इशारे पर आरपीएससी अध्यक्ष ने अंजाम दिया। आरएएस मुख्य परीक्षा की कांपियां जांचने के लिए क्या आयोग ने फ़ुल कमिशन की बैठक में शिक्षकों का चयन किया था?
प्रदेश की सबसे बड़ी परीक्षा आरएएस, मुख्य परीक्षा 2021 की उत्तरपुस्तिकाओं की जांच प्राइवेट कॉलेजों के अनुभवहीन शिक्षकों से करवाई और शिक्षकों का चयन मनमानी पूर्ण (पिक एंड चूज) तरीके से किया जो आरपीएससी के वर्णित नियमों का घोर उल्लंघन है। अनुभव हीन शिक्षकों द्वारा कांपिया जांचने का एक उदाहरण मीडिया के सामने पेश कर रहा हूं कि किस प्रकार आरएएस मुख्य परीक्षा का पेपर तृतीय लोक प्रशासन विषय के यूनिट 2 जो 65 अंक का है। एक भाग के प्रश्नों को अनुभवहीन शिक्षकों द्वारा जांचा गया है।
लोक प्रशासन के प्रश्नों का हेड कार्डिनेटर आर के चौबीसा को बनाया गया जो कि ओटीएस में पढाते थे, वो सेवानिवृत हो गए क्या यह जिम्मेदारी सेवानिवृत को देना उचित है लोक प्रशासन के प्रश्नों को जांचने की जिम्मेदारी एमएनआइटी जयपुर में रूम की इंचार्ज कनोडिया कॉलेज की शिक्षक रीटा माथुर को दी, जो की निजी महाविद्यालय कि शिक्षक है, क्या इस पद पर कोई विश्विद्यालय के प्रोफ़ेसर नहीं मिला।
रीट परीक्षा में जिस प्रकार निजी लोगों के हाथ से पेपर सेंटर तक पहुँचाने की ज़िम्मेदारी दी, रीट के सेन्टर चुनने एवं पेपर को सेन्टर तक पहुचाने का काम रामकृपाल मीणा, प्रदीप पारासर, राजीव गांधी स्टडी सर्किल के निजी शिक्षक के द्वारा कराने के कारण रीट का पेपर लीक हुआ था, उसी प्रकार से आरएएस मुख्य परीक्षा कि कॉपियो की जाँचने की ज़िम्मेदारी निजी महाविद्यालय के शिक्षकों को दी।
इसमें विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसरों को क्यों नहीं लगाया कॉपियो को जाँचने में? इसमें कनोडिया कॉलेज, सुबोध कॉलेज और बगरू के एक निजी कॉलेज के शिक्षक द्वारा जांचने की जिम्मेदारी दी गई। भ्रष्टाचार के सबसे बडा तथ्य यह है कि आरएएस मुख्य परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं को एक बार निजी शिक्षको से जचवांने के बाद दूसरी बार उसी निजी शिक्षक द्वारा उसी उत्तर पुस्तिका का जांचा गया, जबकि एक कॉपी को दो शिक्षकों से जचवांने का कारण यह है कि किसी अभ्यर्थी को कम/ज्यादा अंक दे दिए नहीं जाएं।
इससे खुलेआम यह सिद्ध हो रहा है कि यह खेल किसी बडे आदमी के इशारे पर खेला जा रहा है। मुख्यमंत्री आप तो हर गलती की सजा मांगने की बात करते हैं आपने अब तक आरपीएससी अध्यक्ष का इस्तीफा क्यों नहीं लिया। आरएएस 2018 और 2021 की आपको सीबीआई जांच करानी चाहिए। आरएएस भर्ती 2021 के साक्षात्कार 10 जुलाई से शुरू हो रहे हैं, जबकि आयोग में अभी सिर्फ तीन सदस्य हैं, चार की सीट खाली हैं। इतनी जल्दबाजी मुखिया क्यों करा रहे हो? क्या इससे ये नहीं लगता कि आप मुख्य परीक्षा को जल्दबाजी में कराकर और अब साक्षात्कार जल्दबाजी में कराकर भ्रष्टाचार कर रहे?
जिस प्रकार रीट परीक्षाएं निजी लोगों से कराई उसी प्रकार सत्ताधारी दल से जुडे सेवानिवृत आर.के. चौबीसा को कॉपी जांचने का इंचार्ज बना दिया। फिर उन्होने रीट परीक्षा की भांती अनुभवहीन निजी लोगों को कॉपी जांचने की जिम्मेदारी दी, जिन्होंने एमएनआईटी के एक रूम की इंचार्ज कनोडिया कॉलेज की शिक्षिका रीटा माथूर की अगवाई में अपने चहेते को लिखित परीक्षा में भरपूर अंक दिए। अतः रीट पेपर से भी बढ़कर आरएएस परीक्षा में भी भारी अनियमितताएं की गई और सत्ताधारी दल से जुडे भारी रकम देकर आरएएस बनाने का ठेका लिया है। निजी महाविद्यालय के निजी लोग लगाए गए वो निम्नाकिंत है-सेवानिवृत डॉ. आर के चौबीसा, रीटा माथुर, मनीषा माथुर, इंदु शर्मा, अर्चना मिश्रा, रूपाली भदौरिया, पवन शर्मा, प्रिति अग्रावत ये सभी निजी महाविद्यालय के शिक्षक है।
एसआई भर्ती परीक्षा में राजस्थान के टॉपर नरेश खिलेरी जो वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा लीेक के आरोपी घमाराम खिलेरी के चाचा का पुत्र है और पेपर लीक के सरगना सुरेश ढाका के रिश्तेदार सुरेश विश्नोई जिस स्कूल में प्रधानाचार्य थे, उसी स्कूल में नरेश खिलेरी एलडीसी रहा। इसी भ्रष्ट तंत्र के कारण नरेश खिलेरी राजस्थान के टॉपर बने। इसी भ्रष्ट तंत्र से सैकडों उप निरीक्षकों का चयन हुआ, जिसकी जांच तुरंत मुख्यमंत्री गहलोत को करानी चाहिए। नैतिकता के आधार पर गहलोत को इस्तीफा देना चाहिए।

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