मोदी ने सतीश पूनियां और किरोड़ी लाल को क्यों किया नजदीक?



जयपुर। पीएम नरेंद्र मोदी ने आम चुनाव के लिए राजस्थान में भी सभाओं की शुरुआत कर दी है। पीएम मोदी ने मंगलवार को जयपुर ग्रामीण सीट पर राजस्थान में पहली आम सभा की। यहां पर भाजपा के उम्मीदवार राव राजेंद्र सिंह का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी अनिल चौपड़ा से है। कोटपूतली में आम सभा को संबोधित करते हुए अपनी सरकार के पांच साल किए गए कार्यों का ब्योरा दिया। उन्होंने राम मंदिर, धारा 370, तीन तलाक, सीएए, शौचालय बनाने, 80 करोड़ लोगों को नि:शुल्क अनाज देने और 14 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने का दावा किया तो साथ ही कांग्रेस के परिवारवाद और इंडिया अलाइंस पर भी परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

इस अवसर पर पीएम मोदी ने क्षेत्रीय जातिगत संतुलन के हिसाब से भाजपा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां और कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा से नजदीकियां दिखाकर साबित कर दिया है कि कोई भी वर्तमान नेता खुद को बड़ा नहीं समझें। मंच पर पीएम मोदी के करीब दाईं तरफ डॉ. पूनियां को बिठाया गया, जबकि बाईं ओर डॉ. मीणा को बिठाया। सभा के समय पीएम जब मंच पर मौजूद भाजपा नेताओं से परिचय कर रहे थे, तब भी इसकी कमान डॉ. पूनियां के हाथ में रही।

दरअसल, डॉ. पूनियां आमेर क्षेत्र में बीते 15 साल से सक्रिय रहे, जबकि 2018 से 2023 तक यहां से विधायक रहे, हालांकि, दिसंबर 2023 में वे कांग्रेस प्रत्याशी प्रशांत शर्मा के सामने हार गए थे। पहले जयपुर ग्रामीण से डॉ. पूनियां को टिकट मिलने की चर्चा थी, लेकिन टिकट राव राजेंद्र सिंह को मिला। इसी तरह से जमवारामगढ़ रिजर्व सीट पर मीणा मतदाताओं की भारी संख्या के चलते डॉ. मीणा को अधिक महत्व दिया गया है। पीएम की सभा से साफ हो गया है कि मोदी जब भी राजस्थान में सभाएं करेंगे, तब स्थानीय नेताओं को नजदीक बिठाया जाएगा, जबकि प्रोटोकॉल के हिसाब से पीएम के एक तरफ राज्य का सीएम और दूसरी तरफ राज्य के अध्यक्ष को बिठाया जाता है।

राजस्थान में व्यक्तिगत जनाधार के मुताबिक डॉ. सतीश पूनियां, डॉ. किरोड़ीलाल मीणा, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे जैसे नेताओं का है। ऐसे ही राज्य में समाजों के हिसाब से जाट समाज सबसे बड़ा वोटबैंक है। इसके अलावा ब्राह्मण, ठाकुर, गुर्जर, मीणा जैसे समाज हैं, जिनको साधने के लिए पार्टी सामाजिक सामंजस्य बिठाने में लगी है। राजस्थान में सबसे बड़ा होने के बाद भी जाट समाज को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, जिसके कारण डॉ. पूनियां को आगे रखने का काम किया जा रहा है।

जयपुर ग्रामीण सीट की जातिगत स्थिति की बात की जाए तो यहां पर सर्वाधिक मतदाता जाट, गुर्जर, यादव, ठाकुर, ब्राह्मण, मीणा समाजों से हैं। यहां की 8 विधानसभाओं में से 5 पर भाजपा का कब्जा है, जबकि 3 सीटें कांग्रेस के पास हैं। फुलेरा, शाहपुरा और आमेर सीट कांग्रेस के पास है, तो इसके साथ ही झोटवाड़ा, जमवारामगढ़, कोटपूतली, विराटनगर और अलवर जिले में पड़ने वाली बानसूर सीट भाजपा के खाते है। 

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