राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा भी कांग्रेस नेता सचिन पायलट की राह पकड़ चुके हैं। हकीकत यह है कि डॉ. किरोडीलाल मीणा भी सचिन पायलट की तरह सीएम बनना चाहते हैं। किरोड़ी लाल की ऐसी मंशा उनका अधिकार भी है और वो इसके योग्य भी हैं, लेकिन भाजपा आलाकमान ने पर्ची से सीएम बनाकर किरोड़ीलाल ही नहीं, बल्कि भाजपा के दो दर्जन योग्य विधायकों का अपमान किया है।
सचिन पायलट ने कांग्रेस राज में डेढ़ साल में गहलोत सरकार से बगावत की थी तो किरोड़ीला ने तो केवल 6 महीने में ही भजनलाल सरकार से बगावत कर डाली है। उससे पहले दोनों ने नेताओं ने विपक्ष में रहते अपनी—अपनी पार्टी को सत्ता में लाने के लिए दिन रात परिश्रम किया था। दिसंबर 2018 कांग्रेस को बहुमत मिला तो सोनिया गांधी ने राजस्थान की 8 करोड़ जनता पर अपना निर्णय थोपकर सचिन पायलट का अधिकार अशोक गहलोत को दे दिया गया।
ऐसे ही दिसंबर 2023 में भाजपा को सत्ता मिली तो पीएम नरेंद्र मोदी ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के हाथ पर्ची भेजकर किरोड़ी लाल मीणा का अधिकार भजनलाल शर्मा को दे दिया गया। कहने को तो दोनों ही दल आंतरिक लोकतंत्र की बात करते हैं, लेकिन राज्य के 5.5 करोड़ मतदाताओं के निर्णय पर अपनी मनमानी थोपकर अलोकतांत्रिक होने का सबसे बड़ा प्रमाण भी देते हैं।
कांग्रेस सरकार में सचिन पायलट ने पूरे साढ़े तीन साल तक कड़ा संघर्ष किया तो तीन महीनों से किरोड़ी लाल मीणा भी तमाम योग्यता के बावजूद अपने ही दल की सरकार में संघर्ष कर रहे हैं। इसलिए यह कहना बिलकुल ठीक ही होगा कि किरोड़ीलाल मीणा भी सचिन पायलट की राह पकड़ चुके हैं।
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