दिसंबर 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कई वादे किए थे, जिनको चुनावी रैलियों में पीएम नरेंद्र मोदी ने 'मोदी की गारंटी' कहकर पूरा करने का वचन दिया था। मोदी की गारंटी मानकर राज्य की जनता ने भाजपा की झोली में 115 सीटें डाली दीं और बाद में भाजपा ने जनता की चाहत के विपरीत पर्ची से पंडित भजनलाल शर्मा को सीएम बनाकर एक तरह से वोटर्स की उम्मीदों पर पहला कुठाराघात किया। इसको भी जनता ने जैसे—तैसे करके सह लिया, लेकिन उन वादों का क्या, जो पीएम मोदी के मुंह से कहे गए थे?
भाजपा के वादों में प्रमुख तौर पर किसानों को 6000 रुपये सालाना की जगह 12000 रुपये प्रतिवर्ष दिए जाने का वादा प्रमुख था। गेंहू की एमएसपी 2700 रुपये किए जाने की घोषणा की थी। इन दो कारणों से किसानों ने भाजपा को वोट दिया। गृहणियों को 450 रुपये में सिलेंडर दिए जाने की बात कही गई थी। महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े करने की 'लखपति दीदी योजना' के तहत लगभग 6 लाख ग्रामीण महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण दिये जाना था। स्कूलिंग पास आउट, यानी 12वीं कक्षा पास करने पर मेधावी लड़कियों को स्कूटी देने का वादा किया था।
प्रदेश के सभी गरीब परिवारों की छात्राओं के लिए केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा देने का कमिटमेंट किया गया था। राज्य में तीन महिला पुलिस बटालियन शुरू करने का वचन दिया गया था। पीएम मातृ वंदना योजना के तहत वित्तीय सहायता 5000 रुपये से बढ़ाकर 8000 रुपए करने का वादा था।
गरीब परिवारों के छात्रों को स्कूल बैग, किताबें और वर्दी खरीदने के लिए 1200 रुपए की वार्षिक सहायता देने का वचन दिया गया गा। प्रदेश के हर संभाग, यानी सभी 9 संभागों में 'राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी' और 'राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज' स्थापित करने की घोषणा पत्र में बात कही गई थी। स्वास्थ्य क्षेत्र में 'भामाशाह हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन' के जरिए 40,000 करोड़ रुपए का निवेश करने और साथ ही 15,000 डॉक्टर एवं 20,000 पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति देने की बात कही थी।
ऐसे ही घरेलू क्षेत्र में 24 घंटे बिजली आपूर्ति करने और घाटे में चल रही जयपुर मेट्रो का विस्तार करके उसे फायदे में लाए जाने की बात थी। लगातार सरकारों के लिए सिरदर्द बन चके 'तबादला उद्योग' के लिए पारदर्शी नीति बनाई जानी थी, वृद्धावस्था पेंशन और विकलांगों की पेंशन 1000 रुपये से बढ़ाकर 1500 रुपए प्रतिमाह करने का भी वादा था।
अब सवाल यह उठता है कि 22 महीनों की पंडित भजनलाल शर्मा सरकार ने क्या किया? किसानों को 6000 रुपये सालाना बढ़ाने के बजाए केवल 2000 रुपये बढाकर इतिश्री कर ली गई है, जिनमें कई किसानों का बिना कारण बताए सूची में से नाम तक हटा दिया गया है। गेंहू की एमएसपी 2700 रुपये करनी तो छोड़ दो, अभी तक केवल 2425 रुपये घोषित की गई है, और इस कीमत पर भी कुल उपज के 20 फीसदी गेहूं की खरीद नहीं की जा रही है।
450 रुपये का सिलेंडर योजना में जरूरतमंद गरीब महिलाओं की जगह सम्पन्न और सेटिंग रखने वाले भाजपा-कांग्रेस के कार्यकर्ता लाभ उठा रहे हैं। इस योजना का लाभ भी उनको नहीं मिल रहा है, जिनके लिए वादा किया गया था। 12वीं कक्षा पास के बाद दी जाने वाली 'कालीबाई स्कूटी योजना' का आज दिन तक कोई अता-पता नहीं चल रहा है। जैसे यह योजना सियासी दलों की सियासत का शिकार हो गई है। प्रदेश की गरीब बालिकाओं को केजी से पीजी तक निशुल्क शिक्षा योजना का बंद बस्ता अभी तक नहीं खुला है। तीन महिला पुलिस बटालियन की जगह एक भी शुरू नहीं हुई है। पीएम मातृ वंदन योजना का 8,000 कब होगा, इसका 22 महीनों से महिलाओं द्वारा इंतजार किया जा रहा है। स्कूल बैग, किताबें, वर्दी का 1200 रुपये कहां है, संभवत: शिक्षा विभाग में भी किसी को पता नहीं है?
प्रदेश के हर संभाग में एक-एक राजस्थान इंस्टीट्यूट ओफ टेक्टनोलॉजी एवं राजस्थान इंस्टीट्यूट ओफ मेडिकल साइंसेज खुलना तो छोड़ ही दो, अभी तक प्रदेश में एक भी नहीं खुला है। जयपुर में पहले से संचालित आरयूएचएस का नाम बदलकर रिम्स कर दिया गया, बाकी इसको भी दिया कुछ भी नहीं है। भामाशाह योजना में 40 हजार करोड़ रुपये छोड़कर 4 हजार करोड़ रुपये नहीं बढाए गए। साथ ही 15 हजार डॉक्टर और 20 हजार पैरामेडिकल स्टाफ का इंतजार कब खत्म होगा, शायद भाजपा नेताओं को भी पता नहीं होगा! प्रदेश के प्रत्येक शहर में 24 घंटे बिजली आपूर्ति का वादा जयपुर जैसे राजधानी शहर में लागू नहीं हो पाया है, बल्कि प्रदेश के शहरों में अघोषित भारी कटौती से जनता परेशान है। अशोक गहलोत की दूसरी सरकार द्वारा शुरू की गई 'जयपुर मेट्रो' विस्तार की 22 महीनों में तो एक ईंट तक नहीं रखी गई, विस्तार कब होगा आप खुद अंदाजा लगा लीजिए।
'तबादला उद्योग' को रोकने के लिए पारदर्शी तबादला नीति योजना अभी तक भी विधायकों, मंत्रियों, अधिकारियों और भाजपा नेताओं की सेटिंग पर निर्भर है। दिव्यांग और वृद्धावस्था पेंशन 1500 की जगह अभी तक केवल 1250 की गई है, उसमें भी सालाना 24,000 रुपये का बिजली बिल भरने वाले वृद्धों की पेंशन बंद की जा रही है। ये कुछ वादे हैं और उनका सच है, जो भाजपा ने 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले अपने घोषणा पत्र में किए थे। आज 22 महीने की पंडित भजनलाल शर्मा की सरकार द्वारा कितने पूरे किए गए हैं, इसका सच सामने रखा है। आप खुद अंदाजा लगा लीजिए की राजनीतिक दल वादा क्या करते हैं, और काम क्या करते हैं।
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