जयपुर। राजस्थान की सियासत एक बार फिर उबाल पर है। भाजपा सरकार के दो साल पूरे होने से पहले ही सत्ता के गलियारों में चर्चा तेज है कि प्रदेश की दो बार की मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा राजे सिंधिया जल्द ही तीसरी बार राज्य की कमान संभालने जा रही हैं। पार्टी के भीतर चल रही खींचतान और मौजूदा मुख्यमंत्री पंडित भजनलाल शर्मा की प्रशासनिक नाकामियों के चलते भाजपा आलाकमान अब बड़ा बदलाव करने की तैयारी में बताया जा रहा है।
भाजपा के सूत्रों के अनुसार, दिसंबर माह में जब राज्य की मौजूदा सरकार दो वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी, उसी समय पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व टीम एक नई “पर्ची” जारी कर सकती है, जिसमें वसुंधरा राजे को फिर से मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। राजस्थान में पिछले दो वर्षों में कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ी है। महिला अत्याचार, अपराध, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के मामलों ने सरकार की साख पर बट्टा लगाया है। नागौर में जिम संचालक रमेश रुलालिया की गोली मारकर हत्या, अलवर में महिला उत्पीड़न की घटनाएं, आत्महत्याओं का बढ़ता ग्राफ, ये सब संकेत दे रहे हैं कि ब्यूरोक्रेसी में मनमानी बढ़ गई है, अफसरशाही सरकार से ऊपर दिखने लगी है। मुख्यमंत्री की कार्यशैली को लेकर पार्टी के भीतर भी असंतोष है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की कोर कमेटी की बैठकों में कई वरिष्ठ नेताओं ने साफ कहा है कि सरकार जनता से कट चुकी है।
वसुंधरा राजे के फिर से उभरने की शुरुआत अंता उपचुनाव से होगी। उपचुनाव के उम्मीदवार को लेकर जब भाजपा के भीतर मतभेद हुआ है, तब वसुंधरा राजे ने वीटो लगाकर केंद्रीय नेतृत्व को चुनौती दी। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने टिकट वितरण में अपनी राय थोपकर यह दिखा दिया कि राजस्थान में उनका प्रभाव अब भी बरकरार है। अंता में जिस तरह कांग्रेस, निर्दलीय और भाजपा गुटों में संघर्ष होता दिखाई दे रहा है, उसने भाजपा नेतृत्व को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि यदि संगठन में समन्वय नहीं बैठा, तो आने वाले चुनावों में नुकसान झेलना पड़ सकता है।
पिछले दो साल में प्रदेश की जनता में जो गुस्सा बढ़ा है, वह भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। किसान सिंचाई की कमी, युवाओं की बेरोजगारी, पेयजल योजनाओं का ठहराव और अपराधों का बढ़ना, इन सब मुद्दों ने सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का को पर्ची द्वारा चुनने का कोई फायदा जनता तक नहीं पहुंच पाया। वसुंधरा राजे की रैलियों और जनसंवाद कार्यक्रमों में भीड़ जुटने लगी है, जिससे साफ संकेत मिल रहा है कि जनता का भरोसा एक बार फिर उनके पक्ष में झुक रहा है।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा आलाकमान अब प्रदेश में स्थिरता और जनसंपर्क बढ़ाने के लिए वसुंधरा राजे को “वापसी” का मौका देने के पक्ष में है। केंद्रीय नेतृत्व यह समझ चुका है कि वसुंधरा के अनुभव और संगठनात्मक पकड़ के बिना राजस्थान में 2028 का रोडमैप तैयार करना मुश्किल होगा। दिल्ली में हुई हालिया बैठक में भाजपा के शीर्ष नेताओं ने स्पष्ट कहा कि “राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन अब अवश्यंभावी है।”
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