राजेंद्र राठौड़ बोले: अनर्गल बयानबाजी करके मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को घेरने की नाकाम कोशिश की

रामगोपाल जाट
पूर्व मंत्री व राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने प्रेस क्लब में आयोजित 'प्रेस से मिलिए' कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा केन्द्र सरकार के खिलाफ दिए गए की गई टिप्पणियों को बेबुनियादी व दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि केन्द्र सरकार के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करना व झूठ बोलकर अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आदत रही है।

राठौड़ ने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ 'मीडिया' के साथ की गई 1 घंटे 58 मिनट लंबी चर्चा में मुख्यमंत्री ने आधे से ज्यादा समय केन्द्र सरकार व राजस्थान में विपक्ष के नेताओं के खिलाफ बोलने व स्वयं की सरकार की 3 साल की कोरी उपलब्धियों के पुल बांधने में निकाल दिए, जबकि वह पत्रकारों की समस्याओं को समझने में अनभिज्ञ रहे तथा एक बार फिर उन्हें आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं दिया। पानी पी-पीकर मीडिया को कोसने वाले मुख्यमंत्री की खीझ आज भी कार्यक्रम में देखने को मिली है।

राठौड़ ने कहा कि लोकतंत्र, संविधान व मीडिया की आजादी की दुहाई देने वाले तथा प्रेस से मेरा बड़ा पवित्र रिश्ता होने की बड़ी-बड़ी डींगे हांकने वाले मुख्यमंत्री जी शायद भूल गए हैं कि उन्होंने ही राज्य सरकार के 1 साल पूरा होने के मौके पर 16 दिसंबर 2019 को मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रेस को खुली धमकी देते हुए कहा था कि विज्ञापन चाहिए तो हमारी खबरें दिखानी होगी। तब प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया ने संज्ञान लेकर मुख्यमंत्री को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण भी मांगा था। 

राठौड़ ने कहा कि दुर्भाग्य है कि अशोक गहलोत संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग व पेगासस कथित जासूसी मामले को लेकर केन्द्र सरकार पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे हैं। 

जबकि खुद उनकी अगुवाई में वर्ष 2020 में भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 की धारा 5 (2) और भारतीय टेलीग्राफ नियम 1951 की धारा 419 (A) को धता बताकर सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया और जनप्रतिनिधियों का फोन टैप किया गया। 

राठौड़ ने कहा कि वर्ष 2020 में जब कांग्रेस में अंतर्कलह चरम पर थी और सरकार पांच सितारा होटल में कैद रही, उस समय मुख्यमंत्री निवास से सुनियोजित साजिश के तहत राज्य के मुखिया की अगुवाई में ओएसडी लोकेश शर्मा ने कूटरचित ऑडियो जारी किया था। 

इसी कूटरचित ऑडियो के आधार पर तत्कालीन सरकारी मुख्य सचेतक ने एफआईआर नंबर 47/20 दिनांक 10.7.20 को दर्ज करवाई थी, जिसमें राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, मंत्री विश्वेन्द्र सिंह व कांग्रेस विधायक भंवर लाल शर्मा सहित 16 विधायकों को नोटिस भी जारी किया गया था। 

राठौड़ ने कहा कि राजस्थान विधानसभा में सरकार से पूछे गए सवाल के जवाब में भी जनप्रतिनिधियों के टेलीफोन टैपिंग की बात पर सरकार ने स्वीकार की थी। 

खुद सत्तारूढ़ दल के विधायकों ने आधा दर्जन बार फोन टैप कराने, एसीबी से ट्रेप करवाने और उनकी जासूसी कराए जाने को लेकर अपनी ही सरकार पर सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया था। 

राठौड़ ने कहा कि हास्यापद है कि मुख्यमंत्री व उनके साथी स्वयं लोकतांत्रिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर जनप्रतिनिधियों के फोन टैपिंग प्रकरण के षडयंत्र में शामिल रहे थे और आज वह खुद संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग को लेकर केन्द्र सरकार पर तथ्यों से परे आरोप लगा रहे हैं। 

राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस कार्यक्रम में केन्द्र सरकार के खिलाफ झूठी बयानबाजी करके व राहुल गांधी जैसे नेता को बुद्धिमान बताकर दिल्ली आलाकमान के समक्ष अपने नंबर बढ़ाने के सिवाय कुछ नहीं किया है। 

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी खुद भारी अंतर्कलह से जूझ रही है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक विशेष एजेंडे के तहत केन्द्र सरकार को बदनाम करने की साजिश में लगे हुए हैं।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिंक सिटी प्रेस क्लब में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में केंद्र सरकार के ऊपर जीएसटी का 6000 करोड़ पर नहीं देने और इसके स्लैब में बदलाव करके राज्यों को कमजोर करने का आरोप लगाया है।

करीब 10 साल बाद प्रेस क्लब में पहुंचे अशोक गहलोत ने कहा कि उनका पत्रकारों के साथ आत्मीय रिश्ता रहा है और वह हमेशा से ही पत्रकारों के हित में काम करने के लिए सोचते रहते हैं। यही कारण है कि पत्रकारों के आवास योजना, अधिस्वीकरण कार्य, डिजिटल पॉलिसी, पेंशन, स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी समेत सभी समस्याओं के लिए सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहे हैं।

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