जिस हॉटल में चिंतन शिविर, वह नदी के बहाव क्षेत्र में अवैध रूप से बना: किरोड़ी

होटल मालिक से गहलोत परिवार के आर्थिक संबंध, कानूनों को ताक में हुआ निर्माण 2017 में जिस हॉटल को अनुमति नहीं मिली, कांग्रेस सरकार बनते ही अवैध निर्माण की मंजूरी जयपुर। राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता कर एक बार फिर सरकार की कार्यशौली पर सवाल खड़े किए हैं। किरोड़ी ने आरोप लगाया है कि गहलोत परिवार से हॉटल मालिक के आर्थिक संबंध हैं। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी और कांग्रेस अगर गरीब आदिवासियों की सच्ची सेवक है तो इस होटल में चिंतन शिविर का कार्यक्रम तुरन्त बन्द कर अन्यत्र करें। यह अवैध होटल आदिवासियों की जमीन हड़प कर बनाई है। उन्होंने पत्रकार वार्ता में बताया कि मुम्बई की एक कम्पनी ईंशान क्लब एण्ड होटल ने उदयपुर में अरावली ताज नाम की विशाल होटल का निर्माण किया है। इसके मालिक राजीव आनन्द हैं। आनन्द 2012 से होटल बनाने की कोशिश कर रहे थे, किन्तु जमीन पर आने-जाने का रास्ता नहीं था। इसलिए प्रोजेक्ट अटका हुआ था। 2014 से 2017 तक होटल निर्माण की फाइल लगाई, किन्तु रास्ता नहीं होने के कारण यूआईटी उदयपुर ने होटल बनाने को लेकर रेफ्यूज कर दिया। इसके बाद 2015 में संभागीय आयुक्त कोर्ट ने पुराने साविक नक्शे के आधार पर इस होटल के लिए 900 हेयर पगडंडीनुमा रास्ते की अनुमति दी थी। यह कानून संगत नहीं थी। क्योंकि यह रास्ता अमरजोक नदी का है, जो सिसारमा नदी में मिलती है। इसका पानी पिछोला झील में जाता है। इस प्रकार संभागीय आयुक्त कार्यालय उदयपुर ने होटल व्यवसाई को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से नदी में रास्ता देकर नियम विरूद्घ आदेश पारित किया था। इस रास्ते की तहसीलदार गिर्वा ने 2015 में एक रिपोर्ट दी थी कि यह रास्ता पगडंडीनुमा है। नदी में पानी नहीं बहने की स्थिति में गांव वाले आने जाने के लिए इसका उपयोग करते हैं। 2017 में यूआईटी उदयपुर के सचिव रामनिवास मेहता ने भी इस होटल के भूमि रूपांतरण के लिए मना कर दिया था। बीच में नदी, वन विभाग और सरकारी भूमि होने के कारण होटल को रास्ता नहीं मिलने के कारण निर्माण की यूआईटी की ओर से स्वीकृति दिया जाना संभव ही नहीं था। यह है नियम उच्च न्यायालय जोधपुर की ओर से अब्दुल रहमान बनाम राज्य के प्रकरण में दिए गए निर्णय की पालना में जिस भू-भाग पर पानी बहता है, उस पर से पानी के बहाव को अवरूद्ध नहीं करना है। राजस्थान नगरीय क्षेत्र (यदि भूमि का गैर-कृषिक प्रयोजन के लिए) आयोग की अनुझ्ञा और आवंटन नियम 2012 नियम... के उपनियम-12 "भूमि जल निकायों, या डीलों, जलाशयों जलमग्नता के अधीन आने वाली भूमि को सम्मिलित करते हुए बांध और तालाब या नदी या नाले या झील इत्यादि के बहाब क्षेत्र की भूमि के कृषि भूमि से गैर कृषि प्रयोजनों के लिए उपयोग की अनुझ्ञा एवं भूमि आवंटन का निर्बम्धन है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने दिलाई अनुमति 2018 में सरकार बदलने के साथ ही 2019 में ईशान क्लब के होटल मालिक ने पुनः एक साधारण एप्लीकेशन लगाते हुए संभागीय आयुक्त कोर्ट के 2015 के आदेश का हवाला देते हुए रूपांतरण के लिए आवेदन किया। जब 2017 में यूआईटी सचिव ने भूमि रूपांतरण की स्वीकृति नहीं दी तो 2015 को संभागीय आयुक्त के एक आदेश की आड़ में सरकार ने स्वीकृति किस आधार पर दी समझ से बाहर है। होटल निर्माण की फाइल प्रकिया के तहत लगनी चाहिए थी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने सारी प्रकियाओं को ताक में रखकर होटल निर्माण की अनुमति प्रदान करा दी, इसमें मुख्यमंत्री के ओएसडी की अहम भूमिका रही है। इससे स्पष्ट है कि इस होटल के गहलोत परिवार के आर्थिक सम्बन्ध है। यह रास्ता जो चौड़ा करके बनाया है, वह होटल के राजस्व रिकार्ड में अब भी दर्ज नहीं है। आज भी यह नदी है। उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी सारे कानूनों को ताक में रखकर सीएमओ के निर्देश के बाद यूआईटी सचिव उज्जवल राठौड़ ने 2019 में गैर कानूनी रूप से नदी मार्ग का होटल निर्माण के लिए भूमि का रूपांतरण कर दिया। होटल का नक्शा वैध नहीं है फिर भी निर्माण इस होटल से पीछे जुड़ती हुई बिलानाम (सरकारी) भूमि पर होटल मालिक ने अतिक्रमण कर लिया। जबकि यहां गोगमाल गांव का बोजडा नाका नाई पर वन विभाग सालों से वृक्षारोपण कर रहा था। उन सारे पेड़ों को होटल मालिक ने काट दिया और जमीन को अपने कब्ने में होटल का विस्तार कर दिया। 250 करोड की होटल का नक्शा होटल मालिक ने गैर कानूनी रूप से सम्बन्धित ग्राम पंचायत से 2012 में पास करवाया। 2012 से 2014 तक कोई निर्माण नहीं कराए जाने के कारण ग्राम पंचायत की स्वीकृति का आदेश स्वतः ही निष्प्रभावी हो गया। वैसे अकेली ग्राम पंचायत इतनी बडी होटल के निर्माण की स्वीकृति के लिए अधिकृत नहीं थी। इसके लिए एक कमेटी निर्णय करती है। 2014 में यह क्षेत्र उदयपुर के पैराफेरी एरिया में आ गया। होटल का नक्शा वैध नहीं है फिर भी होटल का निर्माण करा दिया गया। उदयपुर में कांफ्रेंन्स से रोका तो जयपुर की किरोड़ी ने कहा कि मैं उदयपुर में कांफ्रेंन्स करना चाहता था। लेकिन मुझ पत्रकार वार्ता हीं करने दी। मुझे उदयपुर से गिरफ्तार कर दूसरी जगह छोड़ दिया। इसीलिए मुझे पत्रकार वार्ता जयपुर में करनी पड़ी। 2018 के बाद उदयपुर में बढ़े अपराध, 1172 केस किरोड़ी ने कहा कि 2018 के बाद उदयपुर में अपराध बढ़े हैं। कुल 1172 केस हुए हैं। इनमें हत्या, लूट, रेप, डकैती आदि शामिल हैं। 2018, 2019 और 20 में 862 केस आए हैं, इनमें से 515 में पुलिस ने चालान पेश किया हैं। एक भी मामले में एससी और एससी को देयराशि नहीं दी गई। किरोड़ी ने सरकार से एक्ट के अनुसार आर्थिक सहायता देने की मांग की है।

Post a Comment

Previous Post Next Post