अमेरिका चीन से आगे निकल जाएगा भारत

इस दशक के अंत तक भारत अपना 6जी मोबाइल नेटवर्क शुरू कर देगा। भारत सरकार ने उम्मीद जताई है कि 5जी नेटवर्क के कारण अगले 15 साल में देश को 450 बिलियन डॉलर का फायदा होगा। जबकि देश की टास्क फोर्स इसके लिए जुट चुकी है कि 2030 तक भारत अपना 6जी लॉन्च करे। इससे पहले 5जी के मामले में चीन ने बाजी मारी थी, जिसने तकनीक के मामले में अमेरिका को पछाड़ दिया था, किंतु 6जी की इस जंग में अमेरिका भी चीन को पछाड़ना चाहता है, तो भारत की तैयारी ने अमेरिका व चीन को चिंतित कर दिया है, जो खुद को टेक्नोलॉजी का किंग मानते हैं। 4जी नेटवर्क और 5जी नेटवर्क में 10 गुणा अधिक स्पीड का अंतर है, जबकि 6जी की रफ्तार 5जी से 100 गुणा अधिक होगी। भारत में 5जी का गांव—गांव में विस्तार होने से ना केवल सरकार को अपनी योजनाएं समयबद्ध तरीके से पहुंचाने में फायदा होगा, बल्कि लोगों के जीवन स्तर में सुधार होगा और नये उद्योगपतियों के लिए यह तकनीक काफी फायदेमंद होगी। इस टेक्निॉलोजी के भारत में विस्तार होने से कारोबार से लेकर कृषि, परिवहन और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर बदलाव होंगे। देश में 5जी के लिए कंपनियां तेजी से काम कर रही हैं। इसी साल 15 अगस्त से पहले देश के 15 बड़े शहरों में 5जी सेवाएं शुरू हो जाएगी। इस दौड़ में फिलहाल रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन टक्कर में हैं। जियो ने देशभर में अपने टॉवर 5जी में कन्वर्ट करने का काम भी युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया है। इसके लिए फरवरी में ही दूरसंचार विभाग ने टेलीकॉम सेक्टर के रेग्युलेटर ट्राई से 5जी स्पेक्ट्रम की कीमतों पर जल्द से जल्द सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपने को कहा था, जिससे 15 अगस्त तक 5जी टेलीकॉम सेवा को देश में लॉन्च किया जा सके। पीएमओ 15 अगस्त तक देश में 5जी टेलीकॉम सेवा को लॉन्च किए जाने के पक्ष में है। पीएमओ ने ट्राई से मार्च 2022 तक 5जी स्पेक्ट्रम की कीमतों को लेकर सिफारिशों हासिल करने को कहा था। इस साल बजट में भी 2022-23 में 5जी सेवा को लॉन्च किए जाने की बात कही गई है। 5जी सेवा के लॉन्च होने के बाद देश में मोबाइल की दुनिया में क्रांतिकारी बदलाव आने की संभावना जताई जा रही है। देश की टेलीकॉम कंपनियां 5जी नेटवर्क का सबसे सफल परीक्षण कर चुकी हैं। पूरे देश में 5जी लागू होने के बाद मोबाइल टेलीफोन की दुनिया ही बदल जाएगी। एक अनुमान के मुताबिक 5जी की स्पीड 4जी से 10 गुना ज्यादा है। 5जी आने के बाद व्यवसाय तेज गति से चलेंगे, ऑटोमेशन बढ़ जाएगा। अभी तक जो चीजें बड़े शहरों तक सीमित हैं, गांवों तक पहुंचेगी, जिसमें ई-मेडिसीन शामिल है, शिक्षा का क्षेत्र, कृषि क्षेत्र को जबरदस्त फायदा होगा। 5जी सेवा के लॉन्च होने से डिजिटल क्रांति को नया आयाम मिलेगा। इंटरनेट ऑफ थिंग्स और औद्योगिक आईओटी और रोबोटिक्स की तकनीक भी आगे बढ़ेगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। ई-गवर्नेंस का विस्तार होगा। 5जी आने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। ई-कॉमर्स, स्वास्थ्य केंद्र, दुकानदार, स्कूल, कॉलेज और यहां तक की किसान भी इसका भरपूर फायदा उठा पाएंगे। कोरोना काल में जिस तरह से इंटरनेट पर सभी की निर्भरता में बढ़ोतरी हुई है, उसको देखते हुए 5जी आने के बाद यह हर व्यक्ति के जीवन को बेहतर और सरल बनाने में मदद करेगा। 5G टेक्नोलॉजी से हेल्थकेयर, वर्चुअल रियलिटी, क्लाउड गेमिंग के लिए नए रास्ते खुलेंगे। ड्राइवरलेस कार की संभावना इसके जरिये पूरी होगी। आने वाले समय पांचवी पीढ़ी, यानि कि 5जी का है। यह 4जी नेटवर्क के मुकाबले बहुत तेज है। 4जी नेटवर्क पर जहां औसतन इंटरनेट स्पीड 45एमबीपीएस होती है, लेकिन 5जी नेटवर्क पर यह स्पीड बढ़कर 1000 एमबीपीएस तक पहुंच जाएगी। जिससे इंटरनेट की दुनिया पूरी तरह से बदल जाएगी। आम जिंदगी में इसका मतलब होगा कि 4जी के मुकाबले 10 से 20 गुना ज्यादा तेज डाटा डाउनलोड स्पीड, एक फिल्म को डाउनलोड करने में 4जी नेटवर्क पर जहां छह मिनट लगते हैं, 5जी नेटवर्क पर उसे डाउनलोड करने में 20 सेकेंड लगेंगे, 5जी नेटवर्क पर मशीनें आपस में बात करेंगी। अभी भारत में 5G की शुरुआत हुई भी नहीं है कि कुछ देश 6G की शुरुआत करने की दौड़ शुरू हो चुकी है। यह दौड़ अमेरिका और चीन के बीच हो रही है, क्योंकि निश्चित तौर पर जो देश 6G को विकसित करने और पेटेंट करने वाला पहला देश होगा, वो दुनिया के अधिकांश टेलीकॉम बाज़ारों में राज करेगा। 6G नेटवर्क मौजूदा 5G नेटवर्क की अधिकतम स्पीड से 100 गुना ज्यादा तेज़ होगा। हालांकि, अभी भी इसे वास्तविकता बनने में कम से कम दशक का समय लग सकता है। इसमें दोराय नहीं कि डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता में रहते हुए चीनी टेक्नोलॉजी कंपनियों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर भी चीन 5G लीडर के रूप में उभरा। देश की घरेलू कंपनी Huawei ने अपनी आकर्षक कीमतों के चलते 5G बाज़ार में अन्य प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ दिया। ऐसे में 6G के विकास और पेटेंट को सबसे पहले हासिल करने से अमेरिका को वायरलेस तकनीक की दुनिया में खोई अपनी जमीन वापस हासिल करने का मौका मिल सकता है। 2019 में उस समय रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया था, जिससे साफ हो गया था कि वह 6G तकनीक की शुरुआत जल्द से जल्द चाहते हैं। चीन इस तकनीक में पहले से ही आगे बढ़ रहा है। कनाडाई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार देश ने संभावित 6G ट्रांसमिशन के लिए एयरवेव्स की टेस्टिंग करने के लिए नवंबर में एक सैटेलाइट लॉन्च की गई थी और Huawei का कनाडा में 6G अनुसंधान केंद्र भी है। टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनी ZTE ने चीन की Unicom Hong Kong के साथ मिलकर इस टेक्नोलॉजी का विकाश पहले से ही शुरू कर दिया है। अमेरिका ने भी 6G तकनीक पर ज़ोर-शोर से काम करना शुरू कर दिया है। द अलायंस फॉर टेलीकम्युनिकेशन्स इंडस्ट्री सॉल्यूशन्स ने अक्टूबर में देश को 6G तकनीक में लीडर बनाने के लिए नेक्स्ट जी अलायंस की शुरुआत कर दी थी। इस अलायंस में Apple, Qualcomm, Google और Samsung जैसे टेक्नोलॉजी दिग्गज शामिल हैं, लेकिन चीनी दिग्गज Huawei नहीं है। इससे साफ दिखाई देता है कि अमेरिका चीनी कंपनियों को अभी भी दबाने के मूड में है। इधर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले ही ट्राई की स्थापना के 25 साल पूरे होने पर बोलते हुए जो कहा, उसके बाद अमेरिका व चीन चिंतित जरुर होंगे। प्रधानमंत्री ने साफ किया है कि इस दशक के अंत तक भारत अपनी 6जी तकनीक लॉन्च करने की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। असल में अब तक दुनिया को लग रहा था कि 6जी को सबसे पहले लॉन्च करने में अमेरिका व चीन के बीच ही टक्कर चल रही है, लेकिन मोदी के इस बयान के बाद दोनों देशों की चिंता बढ़ गई है तो प्रतिस्प्रद्वा में तीन देश शामिल हो गये हैं। भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने साफ किया है कि 6जी तकनीक को सबसे पहले शुरू करने को लेकर टास्क फोर्स अपना काम कर रही है, जिसके बेहतर रिजल्ट देखने को मिलेंगे।

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