जयशंकर के सामने जॉर्ज सोरोस क्या चीज है जब अमेरिका—यूरोप को ही हड़का दिया था

Ram Gopal Jat
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अडानी ग्रुप को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी करने वाले अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि सोरोस न्यूयॉर्क में बैठे एक बूढ़े और अमीर व्यक्ति हैं, वह सोचते हैं कि उनके विचारों को यह निर्धारित करना चाहिए कि पूरी दुनिया कैसे काम करती है, ऐसे लोग कहानियां बनाने में माहिर होते हैं। ये लोग निर्धारित करना चाहते हैं कि चुनाव उनके हिसाब से हो और लोकमंत्र वही सही है, जो वो बताते हैं, बाकी जगह तानाशाही है। यह पहला मौका नहीं है, जब जयशंकर ने अमेरिका और यूरोप के भारत विरोधी लोगों को आड़े हाथों लिया है। इससे पहले पिछले साल जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था और पत्रकारों ने जयशंकर से पूछा था कि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है, अमेरिका व यूरोप ने उसपर प्रतिबंध लगाये हैं, लेकिन भारत अब भी उससे तेल खरीद रहा है। इसके जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारत एक महीने में रूस से जितना तेल खरीदता है, उतना यूरोप एक दिन में खरीद लेता है।
इसके साथ ही एक बार अमेरिका की ओर से बयान जारी किया गया कि यदि चीन ने भारत पर हमला किया तो अमेरिका उसका साथ नहीं देगा, तब भी जयशंकर ने साफ किया था कि जब चीन ने भारत पर जब 1962 में हमला किया था, तब भी अमेरिका ने साथ नहीं दिया था, इसलिये यदि भविष्य में भारत और चीन के बीच कोई विवाद होता है तो उससे निपटने में भारत समक्ष है, उसको अमेरिका की जरुरत नहीं है। दरअसल, जॉर्ज सोरोस ने अडानी ग्रुप के मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अडानी-हिंडनबर्ग मामले पर निवेशकों के सवालों का जवाब देना ही होगा। जयशंकर ने इसके पलटवार में एक दिन पहले सोरोस को बूढ़ा, अमीर, खतरनाक और विचारहीन व्यक्ति बताते हुये कहा है कि उनके जैसे लोगों को लगता है कि अगर उनके पसंद का व्यक्ति भारत में चुनाव जीते तो चुनाव अच्छा है और अगर चुनाव का परिणाम कुछ और निकलता है तो वे कहेंगे कि यह खराब लोकतंत्र है।
जॉर्ज सोरोस ने पिछले गुरुवार को 2023 म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भाषण देते हुए भविष्यवाणी की थी कि पीएम मोदी बिजनेस टाइकून गौतम अडानी की कारोबारी परेशानियों से कमजोर पड़ जाएंगे। अडानी के औद्योगिक साम्राज्य में धोखाधड़ी और स्टॉक हेरफेर के आरोपों पर पीएम मोदी को विदेशी निवेशकों और संसद के सवालों का जवाब देना होगा। इससे पहले अडानी ग्रुप के शेयरों में तब गिरावट आई, जब पिछले महीने के अंतिम दिनों में अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग संस्था ने अडानी समूह की कंपनियों पर स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट जारी की थी। केंद्र सरकार और उद्योगपति गौतम अडानी पर सोरोस की इस टिप्पणी से सियासी हड़कंप मच गया था, जिसके बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनकी बातों का कड़ा पलटवार किया है।
ऐसा पहली बार नहीं है, जब सोरोस ने भारत के खिलाफ जहर उगला है। इससे पहले सोरोस ने भारत में नागरिकता संशोधन कानून, यानी CAA और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने पर भी PM मोदी को लेकर बयानबाजी की थी। सोरोस ने दोनों मौकों पर कहा था कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की तरफ बढ़ रहा है। दोनों ही अवसर पर उनके बयान बेहद तीखे थे और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते दिखाई दिए थे। 92 साल के जॉर्ज सोरोस दुनिया के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं। सोरोस एक यहूदी हैं, जिस वजह से सेकेंड वर्ल्ड वॉर के समय उन्हें अपना देश हंगरी छोड़ना पड़ा था। साल 1947 में वे लंदन पहुंचे। शेयर बाजार में पैसा लगाकर कमाने के आदी सोरोस के पास 8.5 बिलियन डॉलर की संपत्ति है। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में फिलासफी की पढ़ाई की है। उनके शेयर मार्केट में कारोबार के कारण बैंक आफ इंग्लेड खाली हो गया था।
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 16 सितंबर 1992 में ब्रिटेन की करेंसी पाउंड में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। जिसके पीछे जॉर्ज सोरोस का हाथ माना गया था। इसके चलते उन्हें ब्रिटिश पाउंड को तोड़ने वाला इंसान भी कहा जाता है। सोरोस कश्मीर को लेकर भी विवादित बयान दे चुके हैं। दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बोलते हुए सोरोस ने कहा था कि दुनिया में राष्ट्रवाद तेजी से बढ़ रहा है। इसका सबसे खतरनाक नतीजा भारत में देखने को मिला है। लोकतांत्रिक तरीके से चुने हुए नेता नरेंद्र मोदी एक हिंदू राष्ट्रवादी देश बना रहे हैं, वो कश्मीर पर कड़ी पाबंदियां लगा रहे हैं। मोदी सीएए कानून के जरिये लाखों मुस्लिमों से उनकी नागरिकता छीन रहे हैं, जबकि हकिकत यह है कि भारत ने जब सीएए का कानून बनाया था, तब भारत में कुछ मुस्लिम संगठनों और हिंदूओं में जो खुद को सेक्यूलर कहते हैं, उन्होंने कई दिनों तक आंदोलन किया था। उस कानून के अनुसार पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंग्लादेश से भारत आने वाले हिंदू, सिख, बोद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदाय को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इस सूची में मुस्लिम नहीं होने के कारण भारत के मुसलमानों को नागरिकता छीने जाने की बात कहकर भड़काया गया था, तब भी यह बात सामने आई थी कि सोरोस का फंड भारत में आंदोलन करने वालों को मिल रहा है।
इसी तरह से एक और लिंक सामने आया है, जो कांग्रेस पार्टी से जुड़ा हुआ है। जॉर्ज सोरोस कई संगठनों को फंडिंग करते हैं और भारत में अराजकता फैलाने की साजिश करते रहते हैं। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने जॉर्ज सोरोस के बयान पर अपनी सधी हुई प्रतिक्रिया देकर प्रधानमंत्री के खिलाफ बोलने पर आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा था कि इस पूरे मामले से जॉर्ज सोरोस का कोई नाता नहीं है, हमारा लोकतंत्र तय करता है कि कौन चुनाव जीतेगा, जॉर्ज सोरोस जैसे लोग नहीं तय करेंगे कि किस जीतना है और किसे हारना है। इसके साथ ही पूर्व वित्तमंत्री पी चितंबरम ने भी ट्वीट करके कहा कि जो बात जॉर्ज सोरोस ने कही है, वाह सच नहीं है, लेकिन अडानी के मामले में प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिये, यानी कांग्रेस के नेताओं ने सोरोस का समर्थन नहीं किया है, लेकिन मोदी से जवाब जरुर मांगा है।
दूसरी तरफ आरएसएस की मुखपत्र पांजन्य ने एक ट्वीट किया है, जिसमें दावा किया है कि कांग्रेस और जॉर्ज सोरोस की बीच में क्या संबंध है? जॉर्ज सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के वाईस प्रेसिडेंट सलील शेट्टी 11 अक्टूबर को राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में देखे गए। Anti-CAA, शाहीन बाग, सिंघु बॉर्डर के किसान आंदोलन में भी शामिल सलील शेट्टी थे। सलील शेट्टी केवल शाहीन बागा और सिंधु बॉर्डर पर बैठे किसानों के आंदोलन में जाकर ना केवल मोदी—भाजपा के खिलाफ बयान देते रहे हैं, बल्कि विदेशी मीडिया को जब भारत में से किसी भारत विरोधी व्यक्ति को डीबेट में आमंत्रित किया जाता है, तब सलील शेट्टी हमेशा आगे रहने वालों में से हैं। सलील शेट्टी ने राहुल गांधी की भारते जोड़ो यात्रा में सक्रिय भागीदारी निभाई थी। इसके आधार पर भाजपा के नेताओं ने उनको जॉर्ज सोरोस के फाउंटेशन का उपाध्यक्ष और कांग्रेस का सक्रिय कार्यकर्ता करार दिया है।
विदेश मामलों के जानकारों का कहना है कि भारत की विदेश नीति इस समय सबसे उच्च स्तर पर है। अब तक यह होता आया है कि जब भी भारत के खिलाफ कोई नेता या कारोबारी बयानबाजी करता था तो विदेश मंत्रालय चुप रहता था, लेकिन 2019 में मोदी की दूसरी सरकार में विदेश मंत्री बने डॉ. एस जयशंकर ने इन चार सालों में ना केवल भारत की रणनीति, कूटनीति और विदेश नीति को धार दी है, बल्कि जब भी विदेशी भारत को लेकर अनर्गल बयान देता है, तो उसको जयशंकर की तरफ से सटीक और इतना तीखा जवाब दिया जाता है कि दुबारा बोलने की हिम्मत नहीं हो पाती है।
कोरोना के दौरान कई देशों में फंसे करीब साढ़े तीन करोड़ नागरिकों को भारत द्वारा सफलतापूवर्क वापस लाने के मामले में जयशंकर को दुनिया का सर्वकालिक श्रेष्ठ विदेश मंत्री माना गया है। इसके साथ ही रूस यूक्रेन युद्ध के बाद यूक्रेन में फंसे 20 हजार भारतीय स्टूडेंट्स को सकुशल भारत लाने के कारण भी विदेश मंत्रालय की खूब तारीफ हुई है, तो अमेरिका—यूरोप द्वारा रूस पर प्रतिबंधों के बाद भी भारत द्वारा रूस से सस्ता और पहले के मुकाबले 28 गुणा अधिक कच्चा तेल आयात करने के कारण भारत इस मोर्चे पर अपेक्षाओं से हजारों गुणा अधिक सफल माना गया है।

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