अशोक गहलोत का करीबी है पेपर लीक का मास्टरमाइंड!

Ram Gopal Jat
राजस्थान में बीते चार साल के दौरान परीक्षा फीस के नाम पर करीब 400 करोड़ रुपये उन बेरोजगाारों से वसूले जा चुके हैं, जो कर्जा लेकर परीक्षा की तैयारी करते हैं और कोचिंग माफिया को मोटी फीस देकर सरकारी नौकरी का सपना देखते हैं। हालांकि, सरकार ने इस बार के बजट में एक ही बार फीस देकर कितनी भी बार सरकारी नौकरी की भर्ती परीक्षा दे सकने की घोषणा की है, लेकिन इसको पेपर लीक मामले से ध्यान भटकाने के तौर पर देखा जा रहा है। राज्य में एक के बाद एक पेपर लीक की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिसके कारण सत्ताधारी पार्टी के विधायक ही सरकार के खिलाफ आवाज उठाने लगे हैं। चुनाव का समय नजदीक आ गया है और उससे पहले सत्ताधारी पार्टी में नकल माफिया को लेकर एक नई तरह की बगावत सामने दिखाई दे रही है। सदन में कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने कहा है कि पेपर बेचने वाले असली गुनाहगारों को पकड़ा नहीं जाता है, जिसके कारण बार—बार पेपर लीक हो रहे हैं। नकल रोकने के लिये सरकार के पास कोई सिस्टम नहीं है, जिसके कारण केवल नेटबंद करके पेपर लीक होने से रोकने का विफल प्रयास करती रहती है। मीणा ने सदन में कहा कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक इंटरनेट बंद राजस्थान में किया गया है, जबकि यूक्रेन में युद्ध होने के बाद भी इंटरनेट बंद नहीं किया गया है। हरीश मीणा को सचिन पायलट कैंप से माना जाता है। मीणा साल 2014 से 2018 तक भाजपा के दौसा—सवाई माधोपुर से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। हरीश मीणा अशोक गहलोत की पिछली सरकार के अंतिम महीनों में राजस्थान के पुलिस महानिदेशक भी रह चुके हैं। कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार भले ही यह कहे कि पेपर लीक करने में उनकी पार्टी के नेताओं और सरकार का कोई हाथ नहीं है, लेकिन यह बात भी सामने आ चुकी है कि पकड़े गये भुपेंद्र सारण और सुरेश ढाका कांग्रेस के कई नेताओं के सोशल मीडिया अकाउंट्स हैंडल करते हैं। इसके साथ ही दो दिन पहले पकड़ा गया राजीव उपाध्याय खुद मुख्यमत्री अशोक गहलोत, खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास, महिला एंव बाल कल्याण मंत्री ममता भुपेश से लेकर कई बड़े कांग्रेसी नेताओं का खास है। इसकी फेसबुक पर फोटोज बताती हैं कि इसके कांग्रेस के अनेक बड़े नेताओं के करीबी संबंध हैं। इसके बाद भी सरकार यह कहती है कि पेपर लीक में सरकार के किसी मंत्री, विधायक या कांग्रेस के नेता का हाथ नहीं है, तो बेरोजगाारों के साथ इससे अधिक मजाक की बात क्या हो सकती है?
बीते चार साल में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जब राजस्थान में इंटरनेट निलंबन के दौरान भी पेपर लीक हुये हैं। राजस्थान में 2019 के बाद से हर साल औसतन तीन पेपर लीक हुए हैं। इससे लगभग 40 लाख छात्र प्रभावित हुए हैं। एक जांच के दौरान पुलिस अधिकारियों ने पाया कि लीक हुए प्रश्नपत्र 5 से 40 लाख रुपये में बिके हैं। हाल ही में गिरफ्तार पेपर लीक के मास्टरमाइंड भूपेंद्र सारण ने पेपर को खरीदने के लिए एक स्कूल शिक्षक को 40 लाख रुपये का भुगतान किया था, जिसे प्रति छात्र पांच लाख रुपये में बेचा था। राज्य में 2011 से 2022 के बीच पेपर लीक के लगभग छब्बीस मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 14 पिछले चार वर्षों में रिपोर्ट किए गए हैं। भाजपा का कहना है कि राजस्थान राज्य भारत के पेपर लीक की राजधानी बनता जा रहा है।
पेपर लीक के कारण रद्द की गई परीक्षाओं में ग्रेड-तृतीय लाइब्रेरियन के लिए भर्ती परीक्षा है। इसे दिसंबर 2019 में लीक हुए प्रश्न पत्र के कारण रद्द कर दिया गया था। इसने लगभग 55 हजार उम्मीदवारों को प्रभावित किया, जिन्होंने 700 रिक्त पदों के लिए आवेदन किया था। अगली पंक्ति में सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा का प्रश्न पत्र सितंबर 2021 में लीक हो गया और बीकानेर पुलिस ने मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया। उसी महीने रीट-लेवल एक और दो परीक्षाओं के दौरान नकल को रोकने के लिए पूरे राजस्थान में इंटरनेट को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद भी कई जगह पर नकली पेपर तक बेचे गये हैं।
जनवरी 2022 में बीजेपी ने पेपर लीक में राजीव गांधी स्टडी सर्कल पर आरोप लगाया था। इसके संरक्षक खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं। पेपर लीक से जुड़े मामले में राज्य सरकार और पुलिस ने जांच के बाद कोचिंग सेंटर्स की भूमिका बताई है। सरकार ने भुपेंद्र सारण की एक कोचिंग संस्थान और उसके घर पर बुल्डोजर भी चलाया है, लेकिन फिर भी सरकार नाकाम साबित हो रही है। सरकार ने आरपीएससी पेपर लीक में हाल ही कार्रवाई करते हुए जयपुर में एक बहुमंजिला इमारत को ध्वस्त किया। जिस बिल्डिंग को बुलडोजर से गिराया गया, उस निजी कोचिंग संस्थान सुरेश ढाका और भूपेंद्र सारन की ओर से चलाया जा रहा था। हालांकि, यह बिल्डिंग किराये पर ली हुई थी, जिसके बाद सरकार की नीयत पर भी सवाल उठ रहे हैं।
पेपर लीक को रोकने के लिए गहलोत सरकार ने पिछले साल मार्च में कठोर कानून भी बनाया। यह विधेयक 2022 में पारित किया गया। इस कानून में 10 साल तक की कैद और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने के प्रावधानों के अलावा, यह जांच अधिकारियों को राज्य से पूर्व अनुमति के साथ अभियुक्तों की संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार भी देता है। हालिया बजट में गहलोत ने प्रश्नपत्र लीक को रोकने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाने की घोषणा की। इन सभी कोशिशों के बावजूद राजस्थान में पेपर लीक नहीं रुक रहा है। युवाओं के लिये सबसे अधिक आंदोलन करने वाले भाजपा के सांसद डॉ. किरोडीलाल मीणा का कहना है कि इस सरकार में 16 बार पेपर लीक हुआ, पेपर बेचे गये, जिसके कारण परीक्षा रद्द कर युवाओं साथ धोखा किया गया। इन चार सालों में सरकार ने भर्ती परीक्षा से लेकर दंगों के कारण 96 बार इंटरनेट निलंबित किया है। सरकार के पास परीक्षा में पेपर लीक होने से रोकने के लिये कोई सिस्टम ही नहीं है।
सबसे पहले सरकार गठन के बाद लाइब्रेरियन भर्ती 2018 की परीक्षा का पेपर लीक होने के कारण दिसंबर 2019 में होने वाली भर्ती परीक्षा रद्द कर दी गई। इसके बाद जेईएन सिविल डिग्री 2018-दिसंबर की परीक्षा का पेपर लीक होने के कारण इस परीक्षा को 2020 में रद्द कर दिया गया। आरईईटी लेवल-2 2021 की परीक्षा सितंबर 2021 में हुई, जिसको भर्ती परीक्षा पेपर लीक होने के करीब चार महीने बाद रद्द कर दिया गया। इसी तरह से कांस्टेबल भर्ती का मार्च 2018 पेपर लीक होने के कारण परीक्षा को रद्द कर दिया गया। इसी तरह से कांस्टेबल भर्ती 2022, जिसकी परीक्षा मई 2022 में आयोजित हुई, इस परीक्षा की दूसरी पारी का पेपर हुआ लीक हुआ, बाद में पेपर रद्द किया गया और दोबारा परीक्षा आयोजित हुई।
मार्च 2022 में हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के कारण परीक्षा रद्द करनी पड़ी। एसआई भर्ती 2022 के पेपर लीक मामले में 12 लोग गिरफ्तार किये गये। इसके बाद चिकित्सा अधिकारी 2021 में दो बार की परीक्षा गड़बड़ी के चलते ऑनलाइन कराई गई। बाद में ऑफलाइन परीक्षा आयोजित की गई। सीएचओ भर्ती 2022 की भर्ती के बाद पेपर लीक का मामला दर्ज किया गया। वनरक्षक भर्ती 2020 में एक पारी का पेपर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद परीक्षा रद्द करके दोबारा करवाई गई। बिजली विभाग तकनीकी हेल्पर भर्ती 2022 की परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद छह केंद्रों पर परीक्षा रद्द करनी पड़ी। पिछले साल द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के सामान्य ज्ञान का पेपर लीक होने के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई। इस वर्ष की सबसे बड़ी परीक्षा, जो 48 हजार पदों के लिये आयोजित करवाई गई है, उसमें भी कई गंभीर आरोप लग रहे हैं, इस परीक्षा की भर्ती भी तय समय पर हो पायेगी, इसपर भी अभी तक प्रश्नचिंह लगा हुआ है।
अब आप खुद अंदाजा लगाइये कि जब सीएम और मंत्रियों के साथ दिखने वाला मास्टमाइंड और कई मंत्रियों विधायकों के सोशल मीडिया अकाउंट्स हैंडल करने वाले लोग ही पेपर लीक करने के मास्टर माइंड हैं, तो फिर कहने को बचा ही क्या है? भाजपा लगातार पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही है, लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा जांच सीबीआई को नहीं दिया जाना उनकी नीयत पर गंभीर सवाल उठा रहा है। वैसे भी जिस पेपर बेचने वाले मास्टमाइंड की फोटो मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों और विधायकों के साथ होंगी, तो उसकी जांच सीबीआई को क्यों सौंपी जायेगी? जो व्यक्ति मंत्रियों और सत्ताधारी पार्टी के विधायकों के सोशल मीडिया अकाउंट्स संभाल रहा है, उसकी जांच सीबीआई को सौंपकर सरकार को खुद थोड़े ही कानून के शिकंजे में फंसना है?

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