डॉ. सतीश पूनियां को अध्यक्ष पद से इसलिये हटाया गया

Ram Gopal Jat
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां की जगह चित्तौड़गढ़ से लोकसभा सांसद सीपी जोशी को राजस्थान भाजपा का नया प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है। सीपी जोशी पहले भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं और चित्तौड़गढ़ जिला अध्यक्ष भी रहे हैं। 47 साल के जोशी लगातार दूसरी बार चित्तौड़गढ़ सीट से लोकसभा सांसद हैं। निर्वतमान अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां को 15 सितंबर 2019 में पार्टी की कमान सौंपी गई थी। बाद में 27 दिसंबर 2019 को उनका ​अधिकारिक निवार्चन हुआ। भाजपा में अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल तक के लिये होता है। इस तरह से डॉ. पूनियां का कार्यकाल पिछले साल 27 दिसंबर को ही पूरा हो गया था। हालांकि, चुनाव से ठीक 6 माह पहले अध्यक्ष बदलना भाजपा के लिये एक बड़ा फैसला माना जा रहा है। भाजपा संविधान के अनुसार एक व्यक्ति 3—3 साल के लिये लगातार दो बार अध्यक्ष रह सकता है। ऐसे में माना जा रहा था कि डॉ. पूनियां को विधानसभा चुनाव से पहले नहीं हटाया जायेगा, लेकिन पार्टी के इस फैसले ने सबको चौंका दिया है। भाजपा ने प्रदेशाध्यक्ष भले ही बदल दिया हो, लेकिन माना जा रहा है कि टीम में कोई बदलाव नहीं किया जायेगा। सतीश पूनियां की बनाई हुई टीम ही चुनाव तक कायम रहेगी। उसके बाद जो भी अध्यक्ष होगा, वह अपने हिसाब से अपनी नई प्रदेश टीम का चुनाव करेगा। चुनाव से इतना करीब प्रदेश की टीम बदलकर भाजपा मात नहीं खाना चाहेगी।
गौरतलब है कि डॉ. सतीश पूनियां 2018 में पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। उससे पहले वह दो चुनाव हार चुके थे। सबसे पहले उनको 1999 में उपचुनाव में टिकट मिला था, लेकिन जीत नहीं पाये थे। इसके बाद उनको 2003 में टिकट नहीं दिया गया और 2008 में गलत टिकट के कारण उन्होंने अपना टिकट वापस कर दिया था। 2013 में वह आमेर से चुनाव हार गये थे, लेकिन 2018 में वह चुनाव जीतकर विधायक बने थे। कुछ सियासी जानकारों का मानना है कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ डॉ. पूनियां की गुटबाजी के कारण भाजपा ने यह कदम उठाया है। पार्टी ने दोनों नेताओं की गुटबाजी से निजात पाने के लिये भले ही अध्यक्ष बदला गया हो, लेकिन सीपी जोशी को भी संघ का खास माना जाता है, इसलिये अब गुटबाजी नहीं होगी, इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। चुनाव से पहले भाजपा ने साल 2003 में भी अध्यक्ष बदल दिया था। ठीक इसी तरह से 2008 में भी किया गया था।
यूं तो तो यह एक सतत प्रक्रिया है, लेकिन माना जा रहा है कि सतीश पूनियां के कार्यों को देखते हुये उनका प्रमोशन किया जा सकता है। अभी विधानसभा सत्र चल रहा है। ऐसे में पार्टी खाली पड़ी नेता प्रतिपक्ष के पद पर सतीश पूनियां की ताजजोशी करके वसुंधरा गुट को दूसरा बड़ा झटका दिया जा सकता है। दरअसल, पिछले महीने ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबंचद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाया गया है, जिसके बाद से नेता प्रतिपक्ष का पद खाली पड़ा है। राजनीति के जानकार अनुमान लगा रहे हैं कि भाजपा अध्यक्ष बदलने से वसुंधरा राजे को लाभ होगा। किंतु इसकी संभावना इसलिये कम है, क्योंकि सीपी जोशी भी संघी हैं और संघ वसुंधरा राजे को पसंद नहीं करता है। इसलिये यदि सीपी जोशी के अध्यक्ष बनने से भी वसुंधरा राजे की राह कठिन ही है। यह बात सही है कि वसुंधरा राजे जितनी सतीश पूनियां के प्रति कठोर रही हैं, उतना शायद सीपी जोशी के प्रति नहीं रहें, लेकिन जो भी व्यक्ति वसुंधरा राजे की राह में रोड़ा बनने का प्रयास करेगा, वसुंधरा गुट उसके खिलाफ गुटबाजी करता रहेगा।
पार्टी ने अभी तक किसी तरह की घोषणा नहीं की है, लेकिन बीते साढ़े तीन साल के बेदाग और संघर्षशील कार्यों को देखते हुये डॉ. सतीश पूनियां को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। पार्टी प्रभारी अरूण सिंह ने इसकी तरफ इशारा करते हुये ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि संगठन को मजबूती देने और विस्तार करने में डॉ. सतीश पूनियां ने बड़ी भूमिका निभाई है, उनकी भूमिका आगे भी अहम बनी रहेगी। जानकारों का मानना है कि राजस्थान के सबसे बड़े वर्ग की नाराजगी से बचने के लिये भाजपा डॉ. सतीश पूनियां को नेता प्रतिपक्ष या फिर राष्ट्रीय संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है।

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