जयशंकर के प्रमोशन से चीन में चिंता और हलचल

Ram Gopal Jat
देश के जाने माने अंग्रेजी दैनिक Indian Express की देश के 100 सबसे ताक़तवर हस्तियों की सूची में इस बार भी प्रधानमंत्री narendra Modi पहले स्थान पर हैं। मोदी ने पिछले साल भी सूची में पहले स्थान थे। इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर केंद्रीय गृहमंत्री Amit Shah हैं। Modi और Amit Shah साल 2022 की सूची में भी पहले और दूसरे स्थान पर थे। इस सूची में नीचे के 8 स्थानों में बड़ा परिवर्तन आया है। इंडियन एक्सप्रेस का दावा है कि पिछले 9 सालों से सत्ता पर क़ाबिज़ प्रधानमंत्री narendra Modi शक्तिशाली व्यक्ति और सत्ता विरोधी के खिलाफ सबसे मज़बूत ढाल के साथ सामने आए हैं। नोटबंदी और जीएसटी जैसे साहसिक कदम उठाने से लेकर देश में 10 करोड से अधिक शौचालय, 60 करोड़ गरीबों के बैंकों में जनधन खाते, 3 करोड़ से अधिक वंचित परिवारों को बिजली कनेक्शन, 11 करोड़ किसानों को सीधे उनके खातों में 2.50 लाख करोड़ से अधिक की सब्सिडी देने और देश की करोड़ों महिलाओं को फ्री gas cylinder और jammu kashmir में धारा 370 की समाप्ति, राम मंदिर की नींव रखने को वैश्विक मंच पर लाने तक प्रधानमंत्री Modi की महाराथ और अपनी इच्छा के अनुसार अपने भाषणों में जनता को जोड़ने की कला लोगों को उनकी ओर खींचती है। विपक्ष की आलोचनाओं के बावजूद लगातार तीन साल से दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता बनने वाले मोदी को 2024 में भी विपक्ष की ओर से कोई चुनौती दिखाई नहीं दे रही है।
केंद्रीय गृह mantri Amit Shah को Indian Express की देश की 100 ताक़तवर हस्तियों की साल 2023 की list में दूसरे स्थान पर रखा गया है। प्रधानमंत्री मोदी के साथ मिलकर Amit Shah भाजपा के अजेय दुर्ग का आधा हिस्सा हैं। दोनों बीते 9 साल से विजयी रथ पर सवार हैं। एक मास्टर रणनीतिकार के तौर पर चाण्क्य उपनाम हासिल कर चुके अमित शाह बीते 3 साल से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं होने के बावजूद उनकी छाप Gujarat से लेकर maharashtra, UP और पूर्वोत्तर तक भाजपा की प्रत्येक बड़ी चुनावी जीत में साफ दिखाई देती है। मोदी के बाद देश के सबसे पॉवरफुल व्यक्ति बनने वाले अमित शाह को मोदी का सबसे भरोसेमेंद और सबसे खास आदमी माना जाता है। देश के ताकतवर लोगों की इस सूची में सबसे रोचक नाम है विदेश विदेश डॉ. Subramaniam Jaishankar का है, जो इस list में तीसरे स्थान पर हैं। वैश्विक उथल—पुथल के एक साल में Ukraine युद्ध के बीच Jaishankar वैश्विक मंचों पर भारत की कूटनीति के सबसे मुखर चेहरे के तौर पर सामने आए हैं। आधुनिक दुनिया के सबसे लंबे युद्धों में से एक यूक्रेन युद्ध के दौरान अमेरिका, यूरोप जैसे देशों के खिलाफ उनके तीखे बयान भारत की मज़बूत स्थिति को दिखाते हैं। Jaishankar साल 2022 की 100 ताक़तवर हस्तियों की list में 15वें स्थान पर थे। इस सूची में chief justice of India, डीवाई Chandrachud चौथे स्थान पर हैं। पिछले साल justice चंद्रचूड़ इस list में 19वें स्थान पर थे। साल 2023 में उन्होंने 15 स्थानों की छलांग लगायी है। डीवाई Chandrachud को देश में न्यायिक परिवर्तन के लिए एक मज़बूत स्तंभ के रुप में देखा जा रहा है। उनके कुछ फैसलों ने भारत के सीजेआई की ताकत को दिखाया है, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ भी निर्णय दिये हैं।
उत्तर प्रदेश के सीएम yogi Adityanath इस सूची में पांचवें स्थान पर हैं। एक कार्यकाल पूरा कर पिछले साल इन्हीं दिनों सत्ता में वापसी करने वाले UP के पहले मुख्यमंत्री yogi Adityanath ने अपनी सख़्त मुख्यमंत्री की छवि को बड़ा आकार देने के लिए राजनीतिक विचारधारा और शासन का मिश्रण किया है। अपराधियों के खिलाफ बुलडोज़रों का उनका विवादास्पद उपयोग ही बाहुबली राज्य का मॉडल बन गया है। 2017 में जब पहली बार योगी सत्ता में आये थे, तब उत्तर प्रदेश माफिया, गुंडों, अपराधियों, बलात्कारियों का गढ़ा हुआ करता था। एक वर्ग यूपी को अपने आपराधिक कृत्यों के कारण कब्जे में लेकर मनमर्जी करता था। जमीन हथियाना और सड़कों तक पर कब्जे करके जनता को परेशान करना एक सामान्य घटना बन चुकी थी। जनता के दिलों में सिर्फ अपराधियों को खौफ था, आज अधिकांश खूंखार अपराधी मारे जा चुके हैं और जो बचे हैं, उनको जेल में सड़ने पर मजबूर किया जा रहा है। योगी के पांच साल में किये गये कार्यों के दम पर भाजपा 255 सीटों की जीतकर UP में लगातार दूसरी सत्ता में वापसी करके आयी है। अपने काम के दम पर योगी आदित्यनाथ Gujarat से लेकर पश्चिमी बंगाल तक अब भाजपा के star प्रचारकों में से एक हैं। उनके विकास को देश ही नहीं, बल्कि दुनिया में सराहना मिल रही है।
इस लिस्ट में छठे स्थान पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत हैं। भागवत ने कुछ माह पहले ही में कहा था कि हिंदूओं को हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग देखने की जरुरत नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की थी कि अब संघ कोई आंदोलन नहीं चलायेगा। भागवत की इ​स घोषणा को मूसलमानों के साथ आगे बढ़कर संघ का भाईचारा बनाने के रुप में देखा जा रहा है। इसी तरह से 7वें नंबर पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा हैं, जिनके खुद के राज्य हिमाचल प्रदेश में भाजपा चुनाव हार चुकी है। हालांकि, नड्डा को जून 2024 तक अध्यक्ष पद पर एक्सटेंशन दिया जा चुका है। शायद यही वजह है कि वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के मुखिया की वजह से इस सूची में स्थान पाने में कामयाब रहे हैं। भारत की वित्तीय मंत्री निर्मला सीतारमण 8वें स्थान पर हैं। लगातार पांचवां साल है, जब उनको इस लिस्ट में शामिल किया गया है। सीतारमण ने बजट पेश करने के बाद जिस बेबाकी से अपना पक्ष रखा और विपक्ष को कोई मौका नहीं दिया, उसके कारण उनको इस स्थान पर रखा गया है। इसी सूची में 9वें नंबर पर देश के सबसे अमीर उद्योगपति मुकेश अंबानी हैं, जो गौतम अड़ाणी को करीब 100 बिलियन डॉलर का नुकसान होने के बाद फिर से देश के टॉप अमीर बने हैं। इसी लिस्ट में दसवें स्थान पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल हैं।
पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके Bihar में उनके समकक्ष nitish Kumar के साथ संसद से हाल ही में डिस्क्वालिफाई हो चुके कांग्रेस नेता Rahul gandhi टॉप 15 में एकमात्र और ग़ैर सत्ताधारी नाम हैं। भाजपा का बड़ा चेहरा आसाम के मुख्यमंत्री Hemant biswa Sharma पूर्वोत्तर में पार्टी को सत्ता में लाते हुए 32 से 17वें स्थान पर आ गए हैं। इसी तरह से केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव इस साल 30 स्थान ऊपर चढ़कर 19वें स्थान पर आ गए हैं। मजेदार बात यह की बॉलीवुड एक्ट्रेस आलिया भट्ट को भी 100 में जगह मिली है, लेकिन देश के लिये मैडल लाने वाले खिलाड़ी इस लिस्ट में कहीं नहीं हैं। इस सूची में उन किसानों के नाम भी नहीं है, जो नवाचारों के साथ खेती कर रहे हैं और प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये कमाकर लाखों किसानों के लिये रॉल मॉडल बन रहे हैं। संभवत: इंडियन एक्सप्रेस वालों को जमीन पर काम करने वाले मेहनतकश लोग अधिक पसंद नहीं होंगे या फिर उनका ऐजेंडा होगा कि उन्हीं लोगों को ताकतवर बताया जायेगा, तो राजनीति में हैं, करोड़पति हैं और उनको विज्ञापन देने में सक्षम हैं। पत्रकारिता के सबसे भरोसे वाले संस्थान की इस सूची पर कई गंभीर सवाल उठते हैं।
इस लिस्ट में दो नाम ऐसे हैं, जिनपर चर्चा अधिक हो रही है। दोनों ही राजनीतिक पृष्टभूमि से नहीं आते हैं और अपने—अपने स्थान पर टॉप पोजिशन पर भी नहीं होकर भी सूची के टॉप 10 में हैं। पहला नाम है विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर का, जो मोदी—शाह के बाद तीसरे सबसे ताकतवर व्यक्ति बताये गये हैं, जबकि 10 वें नंबर पर एनएसए अजीत डोभाल हैं, जिनके पास देश की सुरक्षा से संबंधित हर चुनौती का जवाब मिलेगा। हालांकि, अभी विदेश मंत्री होने के कारण जयशंकर एक राजनेता के तौर पर जाने जा रहे हैं, लेकिन वह विदेश सेवा के अधिकारी रहे हैं। इसी तरह से अजीत डोभाल भी आईपीएस सेवा के अधिकारी रहे हैं। मोदी सरकार में दोनों कैबिनेट मंत्री हैं। मोदी के साथ इनकी करीबी का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि दोनों को हमेशा मोदी के साथ विदेश यात्राओं में दायें—बायें दिखाई देते हैं। दरअसल, इन दोनों का जिक्र करना और उनके ताकतवर लोगों की सूची में जगह पाने का मुख्य कारण यह रहा है कि ये दोनों ही अपने काम के दम पर जाने जाते हैं, ना कि अपने परिवार के नाम पर या अपनी खोखली बयानबाजी के कारण। मोदी के सबसे भरोसेमंद लोगों में अमित शाह के बाद अजीत डोभाल और जयशंकर का ही नाम लिया जाता है।
विदेश स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में जो डिप्लोमेटिक मिशन शुरू किया था, उसको आज आगे बढ़ाने का काम विदेश मंत्री जयशंकर ही कर रहे हैं। चाहे रूस यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका व यूरोप द्वारा भारत पर दबाव बनाने का काम हो, या फिर रूस से आयात का मामला हो, हर बार जिस तरह से दबंगता और बेबाकी से जयशंकर ने भारत का पक्ष रखा है, उसकी दुनिभार में तारीफ होती है। जयशंकर ने तथ्यों के साथ अमेरिका जैसे देश को बता किया है कि भारत अपने लोगों के लिये किसी ताकत के सामने झुकने वाला नहीं है। यूरोप ने खुद तेल गैस का आयात जारी रखा, लेकिन भारत को बंद करने की नसीहत दी, तब जयशंकर ने आईना दिखाया कि भारत को ज्ञान देने वाले पहले खुद आयात बंद करें और उसके बाद भारत को सलाह दें।
भारत की चीन के साथ कड़वाहट के बीच रणनीति हो या कूटनीति, हर मामले में जयशंकर ने भारत का पक्ष बहुत साफ और दबंग अंदाज में रखा है। शालीन भाषा में तर्क और तथ्यों के कारण जयशंकर को विश्व का सबसे बेहतरीन विदेश मंत्री माना गया है। बीते साल श्रीलंका में जब कंगाली के कारण संकट खड़ा हुआ, तब चीन पर भारत की कूटनीतिक जीत हासिल करने में जयशंकर की बड़ी भूमिका रही है। जी20 की बैठकों का दौर हो या उससे पहले क्वाड शिखर सम्मेलन, जी7 की बैठकों के समय भारत का पक्ष हो, हर बार जयशंकर के कारण मोदी को सामने आने की जरुरत नहीं पड़ी। विदेश मंत्री के तौर पर जयशंकर ने कोरोना के दौरान भारत के साढ़े तीन करोड़ नागरिकों की देश वापसी करवाई हो, या उसके बाद यूक्रेन संकट के समय भारत के 20 हजार स्टूडेंट्स की सकुशल वापसी हुई हो, हर मोर्चे पर जयशंकर ने भारत की ताकत का अहसास करवाया है।
कहा तो यहां तक जाता है कि भारत के साथ पाकिस्तान द्वारा कारोबार नहीं करने की घोषणा के बाद विश्व के कई देशों ने पाकिस्तान से कारोबार पर विराम लगाया है, जिसका श्रेय भी काफी हद तक जयशंकर की कूटनीति को ही जाता है। आज पाकिस्तान कंगाली के मुहाने पर खड़ा है तो उसके पीछे भारत की डिप्लोमेसी का अहम योगदान है, जिसको जयशंकर ही दुनियाभर में अमलीजामा पहनाने का काम करते हैं। पिछले दिनों एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन में रक्षात्मक दृष्टि से काफी अंतर है, और इसलिये भारत को चीन से बिना वजह युद्ध मोल लेने की जरुरत नहीं है, तब उनकी राहुल गांधी ने आलोचना की थी। यह सच बात है कि भारत और चीन में आर्थिक रुप से बहुत बड़ा अंतर है, जिसको समझे बिना कोई भी समझदार देश युद्ध की आग में नहीं घुस सकता है। इसक मतलब यह है कि जयशंकर अपनी और देश की सीमाओं को अच्छे से जानते हैं। जापान से रणनीतिक संबंध बनाने की पहल हो या ओस्ट्रेलिया के साथ संबंधों को मजबूत करके वहां भारत की पेठ मजबूत करना हो, अफ्रीकी देशों को सहायत देने से लेकर भूकंम के बाद तुर्की की मदद करना हो, हर क्षेत्र में भारत ने अपनी विदेश नीति को कूटनीतिक स्तर पर काफी उंची पोजिशन पर पहुंचा दिया है। मोदी और अमित शाह की तरह रैलियों और सभाओं में जयशंकर दिखाई नहीं देते, लेकिन युवाओं को प्रभावित करने वाले मंचों पर जयशंकर सर्वाधिक तालियां बटोरने वाले नेता हैं।
इसी तरह से इस सूची में 10वें स्थान रखे गये एनएसए अजीत डोभाल मोदी सरकार के रक्षा क्षेत्र में सबसे बड़े रणनीतिकार हैं। जम्मू कश्मीर से धारा 370 के बाद की जाने वाली सुरक्षा व्यवस्था हो या दंगों के समय दिल्ली में मोर्चो संभालना, कोरोना के दौरान मौलाना से मुलाकात कर तबलीगी जमात के लोगों को शांति से बाहर निकालकर इलाज करना हो या फिर पंजाब में फिर से सिर उठा रहे खालिस्तानी मूवमेंट को कुचलने की योजना, हर स्तर पर अजीत डोभाल की भूमिका को सारा देश जानता है। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में चल रहे मूवमेंट में भी पाकिस्तानी सरकार द्वारा अजीत डोभाल के मिशन का हाथ मानती है। देश में नक्सलवाद को समाप्त करना हो या फिर पूर्वोत्तर में रक्षा की दृष्टि से मोदी सरकार द्वारा महत्वपूर्ण फैसले लेने हों, हर बार अजीत डोभाल को आगे माना जाता है। अजीत डोभाल तब भी देश की सुरक्षा के लिये जरूरी थे, जब खालिस्तान आंदोलन में स्वर्ण मंदिर में घुसे आतंकियों को खत्म किया जा रहा था, और 40 साल बाद भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जब देश दूसरे खालिस्तानी मूवमेंट का सामना कर रहा है। इतने लंबे समय तक देश की सुरक्षा धुरी में रहने वाले अजीत डोभाल एकमात्र अधिकारी हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि तब इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार थी और आज नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार केंद्र की सत्ता में है।

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