राहुल गांधी के झूठ ने छीन लीं 19 हजार किसानों की जमीनें



करीब साढ़े चार साल पहले राहुल गांधी, अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने वादा किया था कि कांग्रेस की सरकार बनने पर प्रदेश के सभी किसानों का कर्जा 10 दिन में माफ कर दिया जायेगा, लेकिन वह वादा आजतक भी पूरा नहीं हुआ है। नतीजा यह हुआ कि राहुल गांधी के उस एक झूठे वादे के चलते बीते चार साल में राजस्थान के 19 हजार गरीब किसानों की जमीनें बैंकों द्वारा कुर्क कर ली गई हैं।

 

राजस्थान में सरकार ने सहकारी बैंकों का तो कर्जा माफ कर दिया, लेकिन कर्जा अधिक होने के कारण राष्ट्रीयकृत और प्राइवेट बैंकों का कर्ज नहीं चुका पाने के कारण प्रदेश के 19 हजार से ज्यादा किसानों की जमीनें नीलाम हो गईं। ये आंकड़ा हमारे या राज्य के विरोधी दलों के नेताओं का नहीं हैं, बल्कि राज्य की विधानसभा में खुद अशोक गहलोत सरकार ने यह बात स्वीकार की है।


भाजपा विधायक द्वारा विधानसभा में पूछे गये एक सवाल के जवाब में सरकार ने जवाब दिया है कि राजस्थान राजस्व विभाग और राजस्व मंडल के आंकड़ों के अनुसार कांग्रेस की वर्तमान सरकार में 19 हजार 422 किसानों की जमीनें कुर्क की गई हैं।


यह जवाब चौंकाने वाला इसलिए है, क्योंकि राजस्थान में सरकार गठन से पहले कांग्रेस के नेताओं ने वादा किया था कि सभी किसानों का कर्जा माफ कर दिया जायेगा। इसके साथ ही राज्य सरकार दावा करती है कि किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए 51 छोड़ी-बड़ी योजनाएं चलाई जा रही हैं। सीएम अशोक गहलोत बीते दो साल से ढिंढोरा पीट रहे हैं कि राजस्थान इकलौता राज्य है, जहां पिछले दो साल से अलग कृषि बजट पेश किया जा रहा है। गहलोत के अलग कृषि बजट का क्या फायदा निकला, वह सबके सामने है।

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राज्य में किसानों के हितों का दावा करने वाले किसान आयोग, राज्य बीज निगम, राजस्थान कृषि विपणन बोर्ड जैसी संस्थाएं भी संचालित हैं। इनमें सरकार ने अपने नेताओं को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देकर चैयरमैन बना रखा है। इन सबके बावजूद कर्ज ना चुका पाने के कारण किसानों की जमीनें कुर्क हो रही हैं, जो राजस्थान की राजनीति पर, खासकर कांग्रेस की सरकार पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।


कृषि मंत्री लालचंद कटारिया का कहना था कि किसानों को ग्रामीण सहकारिता समितियों के माध्यम से फसलों के लिए कर्ज दिया जाता है। विभाग से किसानों से संबंधित आंकड़े मांगे जाते हैं, तो हम देते हैं। विधानसभा से जो जवाब मिला है, उसे अभी तक देखा नहीं है। अपना पल्ला झाडते हुए कटारिया ने कहा है कि जल्द ही इस विषय में मुख्यमंत्री गहलोत से बात करेंगे।


इधर, विपक्षी दल भाजपा अब इस जानकारी को अपनी पार्टी भाजपा के प्रदेश व राष्ट्रीय नेतृत्व को भेजने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा इसे अब प्रदेश भर में राजनीतिक मुद्दा बनाएगी। भाजपा का कहना है कि 2018 के चुनावों में कांग्रेस ने वादा किया था कि सरकार बनने के बाद 10 दिनों में किसानों का सारा कर्ज माफ कर देंगे, जबकि हकीकत यह है कि जो किसान कर्जा नहीं चुका सके, उनकी खेती की जमीनों को सरकार ने कुर्क करने की कार्रवाई की है। 19,422 किसानों से उनकी जिंदगी का आधार उनकी जमीन को छीन लिया गया है।


भाजपा कहती है कि खुद सरकार के आंकड़ों ने ही सरकार की पोल खोल दी है, अब भी वक्त है कि सरकार उन किसानों की जमीनों का मुआवजा देकर इस पाप का प्रायश्चित कर सकती है। साथ ही सरकार को तुरंत कार्रवाई कर उन किसानों की जमीनों को बचाना चाहिए, जिन्हें कुर्की का नोटिस मिल चुका है। बैंकों से बातचीत कर कोई रास्ता निकालना चाहिए, जहां तक संभव हो सरकार को किसानों का कर्जा चुकाना ही चाहिए, वरना राजस्थान में लाखों परिवारों के सामने जीवन का संकट खड़ा हो जाएगा।


दरअसल, अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार ने दिसंबर 2022 में दावा किया था कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने बीते चार साल में 22 लाख किसानों के कर्ज माफ किए हैं। राजस्थान में किसानों के खातों में सरकार की तरफ से हर माह एक हजार रुपए जमा भी कराए जाते हैं, जबकि हकिकत यह है कि 95 लाख किसानों पर 60 हजार करोड़ के कर्जे में से केवल 7500 करोड़ का कर्जा ही माफ किया गया है। 


भले वादा कांग्रेस ने किया हो, लेकिन सीएम अशोक गहलोत कई बार केंद्र सरकार से मांग कर चुके हैं कि वो पहल करके पूरे देश में एक साथ किसानों का कर्जा माफ करे। इस विषय में सीएम गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गत दिनों एक पत्र भी लिखाकर भी राजनीति करने का प्रयास किया था। क्योंकि अब चुनाव नजदीक आ रहे हैं तो किसान जवाब मांगने वाले हैं, इसी वजह से गहलोत ने मोदी को पत्र लिखकर राजनीति करना शुरू कर दिया है। 


इस मामले को लेकर 24 जनवरी 2022 को तत्कालीन भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और वर्तमान उप नेता प्रतिपक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने सीएम गहलोत को एक पत्र लिखकर मांग की थी कि अपने वादे के अनुसार प्रदेश के समस्त किसानों के बैंक लोन माफ किए जाएं। अपने पत्र में सतीश पूनियां ने एक लाख 35 हजार किसानों के सामने बैंकों का कर्जा ना चुका पाने पर जमीनें कुर्क होने का खतरा मंडराने की चेतावनी भी दी थी।


तबतक विभिन्न बैंकों ने 9000 किसानों की जमीनों को कुर्क करवाने के लिए सरकारी-विधिक कार्रवाई शुरू भी कर दी थी। पूनिया ने लिखा था कि प्रदेश सरकार को अपना वादा निभाना चाहिए। बेवजह गेंद को केंद्र सरकार के पाले में नहीं फेंकना चाहिए, लेकिन इसके बावजूद गहलोत सरकार ने कुछ नहीं किया।


उल्लेखनीय बात यह है कि कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने 26 नवंबर 2018 को जैसलमेर के पोकरण में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले हुई एक सभा में यह वादा किया था कि अगर कांग्रेस की राजस्थान में सरकार बनेगी तो 10 दिनों के भीतर किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा। इस सभा में अशोक गहलोत और सचिन पायलट भी मौजूद थे।


पोकरण के बाद यही वादा राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुई विभिन्न सभाओं में भी किया था। जिसका परिणाम यह हुआ कि किसानों ने कांग्रेस पर विश्वास जताकर बंपर वोट दिया और दिसंबर 2018 में तीनों राज्यों में कांग्रेस की जीत हुई थी। मप्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में राहुल गांधी ने कर्ज माफी का वादा किया था, इसे कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण माना गया था।


असल बात यह है कि प्रदेश में जो भी कर्जमाफी हुई, केवल सहकारिता बैंकों की हुई। इसके एवज में राज्य सरकार द्वारा अब तक करीब 16000 करोड़ रुपए तक का भार वहन किया गया है। जबकि किसान कर्ज केवल सहकारिता बैंकों से नहीं बल्कि नेशनल, कॉमर्शियल, नेशनलाइज्ड रूरल बैंकों आदि से भी लेते हैं।


खेती-किसानी के नाम पर प्रतिवर्ष जो कर्जा लिया जाता है, अच्छी फसल होने पर वापस चुका दिया जाता है, लेकिन कई बार फसल नहीं हो पाने पर गिरवी रखी जमीन पर नीलाम होने का खतरा मंडराने लगता है। 5 से 10 बीघा वाले छोटे किसानों को ज्यादा परेशानी होती है और जमीन कुर्क करने की कार्रवाई शुरू हो जाती है।


राजस्थान सरकार के राजस्व विभाग और राजस्व मंडल के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश भर में 19 हजार 422 किसानों की जमीनें कर्ज नहीं चुका पाने के चलते कुर्क की गई हैं। इनमें सर्वाधिक मामले अलवर, जयपुर और हनुमानगढ़ जिलों के हैं। अलवर में 4421, जयपुर में 2945 और हनुमानगढ़ में 1906 किसानों की जमीनें कुर्क की गईं।


सरकार के अनुसार जैसलमेर, डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिलों में एक भी किसान की जमीन कुर्क नहीं की गई। जयपुर, श्रीगंगानर, भरतपुर, अलवर, कोटा, टोंक, सीकर, झुंझुनूं, नागौर जिलों में ज्यादा किसानों की जमीनें कुर्क हुई हैं। यह वे जिले हैं, जहां खेती-किसानी बहुत समृद्ध हैं और जमीनों के भाव भी बहुत ऊंचे हैं।


राजस्थान में करीब 8 करोड़ लोग रहते हैं। आयोजना विभाग व वित्त विभाग के आंकड़ों के अनुसार अनुसार लगभग 65 प्रतिशत, यानी करीब 5 करोड़ 20 लाख लोग सीधे कृषि कार्यों पर निर्भर हैं। ऐसे में 19,422 किसानों से उनकी जमीन छिन जाने का सीधा असर लाखों लोगों के जीवन पर पड़ेगा। सरकार के पास अभी भी पूरा आंकड़े मौजूद नहीं हैं, इसलिये अभी हजारों किसान और भी हो सकते हैं, जिनकी जमीनों पर कुर्क होने का खतरा मंडरा रहा हो।


जबकि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र को जन घोषणा पत्र करार देते हुए उसके अधिकांश वादों को पहली कैबिनेट में ही पास करने का वादा किया था। सरकार के साढ़े चार साल बीत गये हैं, लेकिन किसान खून के आंसू रो रहे हैं, जो साबित करते हैं कि राहुल गांधी, अशोक गहलोत, सचिन पायलट ने चुनाव से पहले झूठा वादा किया था, जो हजारों किसानों की जमीनें नीलाम करवा चुका है। 

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