वसुंधरा और शेखावत खेमे के वर्चस्व में भाजपा की गुटबाजी सड़क पर आई



रामगोपाल जाट

राजस्थान में कांग्रेस के बीच जहां सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की गुटबाजी चरम पर चल रही है, तो दूसरी ओर सत्ता विरोधी लहर के सहारे सत्ता प्राप्त करने के सपने पाल रही भाजपा में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के वर्चस्व की जंग ने पार्टी की लड़ाई को भी सड़क पर पहुंचा दिया है।


बुधवार को जोधपुर में आयोजित कार्यक्रम में दो वाकया मंच से देखने को मिला, उससे एक बात तो साफ हो गई है कि भले ही केंद्रीय नेतृत्व बार—बार कहे कि चुनाव मोदी की लीडरशिप में ही होंगे, किंतु फिर भी पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का कैंप अभी भी हार मानने को तैयार नहीं है। राजे खेमा संभवत: अब उस मोड में आ गया है, जहां 'खाने नहीं दिया तो दूसरों को भी नहीं खाने देंगे' की रणनीति शुरू होती है। इसी कारण से इस कैंप की ओर से नेताओं की सार्वजनिक गतिविधियों ने भाजपा को शर्मसार करने का काम भी शुरू कर दिया है। 

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दरअसल, जोधपुर में केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का कार्यकम था। जिसमें मोदी सरकार के 9 साल के कार्यकाल की उपलब्धियों को जनता के सामने रखने का काम किया जाना था। इस मौके पर सभी नेताओं को बोलने का अवसर दिया ​गया। इसी दौरान शेरगढ़ के तीन बार विधायक रह चुके वसुंधरा राजे कैंप के माने जाने वो बाबूसिंह राठौड़ को भी बोलने के लिए आमंत्रित किया गया, लेकिन उन्होंने हाथ हिलाकर इनकार कर दिया। बाद में उपनेता प्रतिपक्ष डॉ. सतीश पूनियां, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने अपना भाषण दिया। इसके बाद प्रोटोकॉल के अनुसार आखिर में जब रक्षामंत्री राजनाथ​ सिंह को बोलन के लिए आमंत्रित किया तो बाबूसिंह राठौड़ खड़े हो गये और बोलने लगे। इसपर देहात महामंत्री जसवंत सिंह ने उनको रोकने का प्रयास किया। 


इस दौरान गजेंद्र सिंह शेखावत गुट के माने जाने वाले राणा प्रतापसिंह ने डायस पर लगा माइक उखाड़कर अपने कब्जे में ले लिया। इस पर बाबू सिंह के पक्ष में नारेबाजी होने लगी। राजनाथ सिंह ने मामले को इशारा करके शांत करने को कहा, लेकिन बाबूसिंह के समर्थक नारेबाजी करने लगे। इसके बाद मामला बिगडता देख शेखावत उठे और माइक को वापस डायस पर लगाया। इसी दौरान डॉ. पूनियां ने मामला संभालते हुए लोगों को शांति रहने को कहा और फिर राजनाथ सिंह की अनुमति से बाबूसिंह राठौड़ को बोलने के लिए आमंत्रित किया। 


दरअसल, पूर्व विधायक बाबूसिंह राठौड़ वसुंधरा खेमे के बेहद खास माने जाते हैं। कहा जाता है कि गत विधानसभा चुनाव के दौरान राणा प्रता​पसिंह, सवाई ​सिंह और राजेंद्र सिंह इंदा ने कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार किया था। तीनों ही नेता गजेंद्र सिंह शेखावत के खास माने जाते हैं। इनके उपर बाबूसिंह राठौड़ के द्वारा शेरगढ़ विधानसभा में पिछले चुनाव के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार करने का आरोप लगाया जाता है। कहा जाता है कि यहां पर वसुंधरा राजे और गजेंद्र सिंह शेखावत गुट के बीच पिछले 5—7 बरस से वर्चस्व की जंग चल रही है। 

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मामला चाहे जो भी हो, लेकिन भाजपा के बीच चल रही इस खेमेबाजी के चलते विधानसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। शेखावत का दो दिन पुराना वीडियो अभी भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में शेखावत ने एक तरह से नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ का सीएम का चेहरा मानते हुए कार्यकर्ताओं से कहा है कि आप राजेंद्र सिंहजी की सरकार बनाओ, ईआरसीपी के लिए 46000 करोड़ रुपये दे दूंगा।


इस वीडियो से दो बातें साफ होती हैं। पहली बात तो यह है कि केंद्र सरकार के पास पैसा है, लेकिन वह ईआरसीपी के लिए जानबूझकर देना नहीं चाहती है। दूसरी बात यह है कि शेखावत ने खुद को सीएम की रेस से बाहर मान लिया है और अब राजेंद्र राठौड़ को सीएम बनाने के मिशन में लगे हुए हैं। इस चक्कर में शेखावत उस प्रोटोकॉल को भी भुला बैठे हैं, जो आलाकमान के द्वारा कोई भी नेता सीएम चेहरा नहीं होने के लिए निर्देशित किया हुआ है। 

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