प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसलिये फ्री स्कीम्स और मुफ्त घोषणाओं के खिलाफ हैं

हाल ही में केंद्रीय मंत्रीपरिषद की बैठक दिल्ली में हुई थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिंता जताते हुए कहा​ कि वो रेवडी कल्चर, यानी फ्री योजनाओं के कारण मौजूदा राजनीति में फिट नहीं बैठते हैं। मोदी ने कहा कि उन्होंने देश को विकास के पथ पर ले जाने का सपना देखा और उसी के अनुसार बीते 9 साल में काम किया है, लेकिन कई राज्यों में फ्री योजनाओं के कारण विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है। पीएम मोदी की यह चिंता उस संदर्भ में है, जिसके कारण कई राज्य भयानक कर्जे में दबे होने के बाद भी केवल चुनाव जीतने के लिए मुफ्त की रेवडियां बांट रहे हैं। दिल्ली, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, कर्नाटक जैसे राज्य के इसके उदाहरण हैं। चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों द्वारा तरह—तरह की फ्री योजनाएं शुरू कर दी जाती हैं। राजस्थान सरकार ने इन सभी राज्यों से दस कदम आगे बढ़ते हुए केवल योजनाओं का वीडियो बनाकर डालने वालों को ही प्रतिदिन ढाई लाख रुपये का इनाम देने की योजना शुरू कर दी है। इसके लिए सरकार ने 2.50 करोड़ रुपये का शुरुआती बजट भी रख दिया है। इससे पहले राजस्थान सरकार ने दर्जनभर से भी अधिक फ्री योजनाएं चला रखी हैं। पानी फ्री है, बिजली के 100 यूनिट तक फ्री, 200 यूनिट तक सब्सिडी है, किसानों को 2000 यूनिट तक बिजली फ्री है, अस्पतालों में फ्री चिकित्सा सुविधाएं हैं, 25 लाख तक प्राइवेट अस्पतालों में इलाज मुफ्त है, दिव्यांग और बुजुर्गों को 1000 मासिक पेंशन मिल रही है, मासिक तौर पर राशन किट शुरू हो रहा है, इंदिरा रसोई योजना का 8 रुपये में भरपेट खाना मिलता है, जल्द ही महिलाओं को 18 हजार रुपये का मोबाइल गिफ्ट दिया जायेगा, सरकारी बसों में महिलाओं का किराया 50 फीसदी है। इनके आलावा और भी कई अन्य योजनाएं हैं, जिसके सहारे सरकार वोट पाकर सत्ता रिपीट कराने का सपना देख रही है। सोचनीय बात यह है कि साल 2004 में सभी राजनीतिक दलों की सहमति से अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की लीडरशिप में बंद की गई पुरानी पेंशन योजना को अशोक गहलोत सरकार ने फिर से शुरू कर दिया है। इसके बाद छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, दिल्ली जैसे राज्यों में यही मॉडल अपनाया जा रहा है। इस योजना के दम पर कांग्रेस राजस्थान में सत्ता रिपीट कराने का प्रयास कर रही है। हालांकि, पीएम बनने के बाद मोदी ने देश में रसोई गैस सब्सिडी बंद कर दी है। इसको बंद करने से पहले लोगों को प्रोत्साहित किया गया। जो लोग सक्षम थे, उनसे खुद मोदी ने अपील करी कि जो गैस सब्सिडी छोड़ सकते हैं, वो आगे आएं और गरीबों के हित में इस अनुदान राशि को छोड़ दें। उसके बाद देश के एक करोड़ से अधिक लोगों ने गैस का अनुदान छोड़ दिया था। जब कोरोना शुरू हुआ और देश दुनिया ठप हो गई थी, तब सरकार ने देश के 80 करोड़ लोगों को पांच किलोग्राम अनाज और चावल मासिक तौर पर देना शुरू किया था, उस योजना को बंद नहीं किया गया है, जिसके कारण भाजपा सरकार पर भी सवाल उठते रहते हैं। समझने वाली बात यह है कि भाजपा की सरकारें फ्री योजनाएं क्यों नहीं चलाती हैं? क्या भाजपा शासित राज्यों के पास पैसा नहीं है? या फिर भाजपा की नीयत ही खराब है। दरअसल, दुनिया में कई ऐसे उदाहरण हैं, जहां फ्री योजनाओं के कारण देश ही बर्बाद हो गये हैं। श्रीलंका में लंबे समय से राजपक्षे भाइयों का शासन रहा और उसको बचाए रखने के लिए आए साल नई नई फ्री योजनाएं शुरू कर दी गईं। श्रीलंका ने चीन जैसे खतरनाक देश से भी कर्जा ले लिया, जिसका परिणाम एक बंदरगाह को खोने रुप में सामने आया। पिछले साल उन्हीं फ्री योजनाओं के कारण कंगाल हो गया था, जिसको भारत ने सहायता देकर बाहर निकाला है। इसी तरह से लेटिन अमेरिका में अमीर देशों में से एक था वेनेजुएला। हुगो राफेल चावेज फ्रियास 80 के दशक तक वेनेजुएला के बड़े सैन्य अधिकारी थे, जो 1999 से 2013 तक तीन बार राष्ट्रपति रहे। उन्होंने अपने शासनकाल में जनता के लिए सबकुछ फ्री कर दिया था। पानी, बिजली, चिकित्सा, फ्री स्कूल, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और अनाप शनाप फ्री चीजें कर दीं। कहा जाता है कि चावेज के समय वेनेजुएला समाजवाद का स्वर्ग कहा जाने लगा था। वेनेजुएला सरकार ने तेल से होने वाली कमाई से सभी चीजों पर बड़े पैमाने पर पैसा खर्च किया और अपनी जनता को फ्री देने लगा। तब हुगेा चावेज समाजवाद की क्रांति का पोस्टर बॉय बन गया, जो कि देश के सभी नागरिकों के लिए सबकुछ फ्री कर चुका था। चावेज ने देश का तेल बेचकर जनता को फ्री खिलाने पिलाने का काम किया। भारत में मोदी की पहली सरकार बनी तक तक भी वेनेजुएला की सरकार फ्री योजनाओं पर मोटा पैसा खर्च कर रही थी। सरकार ने सभी सेक्टर्स का राष्ट्रीयकरण कर दिया। यहां तक की खेती का भी राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। इसके कारण लोगों को कल चिंता खत्म हो गई और देश का उत्पादन गिराता चला गया। इसके चलते कुछ ही समय में वेनेजुएला में खाद्य पदार्थों की कमी आने लगी। परिणास्वरुप देश में माफिया राज पनप गया। खाद्दान का संकट आया तो माफिया ने उंची कीमतों पर माल बेचना शुरू कर दिया। सरकार ने मुद्रा छापने की तादात बढ़ा दी। नतीजा यह हुआ कि लोगों के पास पैसा तो खूब हो गया, लेकिन देश में चीजों की कमी आने लगी और मांग बढ़ने के कारण सबकुछ गड़बड़ हो गया। इसके चलते अर्थव्यवस्था धराशाही होने लगी। मांग के मुकाबले पूर्ति नहीं होने के कारण महंगाई तेजी से बढ़ने लगी। साल 2016 में वेनेजुएला की महंगाई दर 274 प्रतिशत थी, जो एक साल बाद 2017 में बढ़कर 863 फीसदी हो गई। साल 2018 में तीन लाख प्रतिशत हो गई और इसके बाद 2019 में महंगाई दर बढ़कर 10 लाख फीसदी हो गई। एक समय ऐसा आया, जब एक कॉपी का कप 25 लाख रुपये का हो गया। बढ़ती महंगाई के चलते चारों तरफ हाहाकार मच गया। लोग थैला भरकर पैसा ले जाते और मु​ठ्ठी भरकर चीज खरीद पाते थे। पिछले साल के शुरूआत में वेनेजुएला सरकार ने दस लाख रुपये का नोट छापा, जिसकी भारतीय मुद्रा में कीमत केवल 39 रुपये थी। पूरे विश्व में वेनेजुएला एकमात्र ऐसा देश है, जिसने 10 लाख रुपये का नोट प्रकाशित किया है। जब देश की हालात बिलकुल कंगाल हो गई, तब सरकार की नींद खुली। आज की तारीख में वैनेजुएला की सरकार ने सभी फ्री योजनाओं को बंद कर दिया। बिजली, पानी, तेल समेत सभी फ्री स्कीम्स को बंद कर दिया गया है। देश चलाने के लिए पैसा नहीं बचा, तब सरकार ने सभी बिल फिर से चालू कर दिये। छोटी छोटी सुविधाओं के लिए भी अब बिल देना पड़ रहा है। एयरपोर्ट का बिल 100 गुणा बढ़कर 5000 डॉलर हो गया है। कल तक जो लोग न्यूनतम दरों पर माल खरीद रहे थे, उनको अब मोटा पैसा देकर माल खरीदना पड़ रहा है। कहने का मतलब यह है कि वेनेजुएला का आर्थिक संकट भारत जैसे देशों के लिए एक सबक है, जहां पर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार बिजली, पानी, मोहल्ला क्लिनिक ​इत्यादि चीजें फ्री दे रही है। पंजाब में 300 यूनिट तक बिजली बिल नहीं है, राजस्थान में 100 यूनिट फ्री है, 200 यूनिट तक अनुदान दिया जा रहा है। खाने के पैकेट फ्री मिलने वाले हैं, चुनाव नजदीक आने के साथ ही महिलाओं को मोबाइल दिये जा रहे हैं, पानी पहले से फ्री किया हुआ है। 25 लाख तक स्वास्थ्य बीमा जैसे कई फ्री के फायदे हैं। इस बात पर कोई नहीं जाना चाहता है कि ये फ्री चीजें आ कहां से रही हैं? दिल्ली में 20 हजार लीटर तक पानी फ्री है। जबकि वहां पीने के पानी की भारी किल्लत है। इसके कारण दिल्ली में पानी माफिया पनप गया है। खासकर जहां कच्ची बस्तियां हैं और पानी लाइनें नहीं हैं, वहां पर टैंकर से पानी पहुंचाया जा रहा है। आज सभी कच्ची बस्तियां पानी माफिया के कब्जे में हैं। दिल्ली सरकार की फ्री योजनाओं के चलते बीते 10 साल में दिल्ली सरकार रेवेन्यु सरप्लस 88 फीसदी घट गया है। इसके कारण दिल्ली सरकार ने अक्टूबर से सभी के लिए ​फ्री बिजली बंद करने का निर्णय लिया है। सरकार ने कहा है कि जो लोग सक्षम हैं, उनको बिजली सब्सिडी नहीं दी जायेगी। माना जा रहा है कि इसी तरह से आने वाले बरसों में और भी कई चीजों को फ्री सूची से बाहर किया जायेगा। साल 2016 में मोदी ने जनता से अपील की थी कि जो लोग सक्षम हैं, वो लोग स्वत: ही गैस सब्सिडी छोड़ दें, उसका परिणाम यह हुआ था​ कि 1 करोड़ से अधिक उपभोक्ताओं ने गैस सब्सिडी छोड़ दी थी। दिल्ली सरकार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण जल्द ही वो समय आयेगा, जैसे वैनेजुएला ने सभी तरफ की फ्री स्कीम्स को बंद कर दिया है, वैसे ही दिल्ली सरकार भी सबकुछ बंद कर देगी। पंजाब आज की तारीख में देश का सबसे कर्जदार राज्य है। अनुमान लगाया गया है कि आने वाले 4 साल में पंजाब जीडीपी का का 45 फीसदी कर्जा ले चुका होगा। इसलिये लोगों को यह समझना चाहिये कि कुछ भी फ्री नहीं होता है, जो आज आप फ्री लेकर खा रहे हैं, उसका कर्जा आपके बच्चों को चुकाना होगा। दरअसल, सरकारें जब कोई भी सुविधा या चीज फ्री देती हैं, तो इसके पेटे विकास में लगने वाले बजट में कटौती कर दी जाती है। जैसे बिजली फ्री दी जाती है, तो बिलजी कंपनी घाटे में जाती है। इसके कारण सरकार उसका पैसा देती है, जो जो पैसा बिजली कंपनी को दिया जाता है, वह किसी अन्य योजना में से काट लिया जाता है। बिजली सब्सिडी से बिजली सुधार बंद हो जाता है। पानी फ्री होने से शुद्ध जल की आपूर्ति सुविधा नहीं बढ़ पाती है। खाने के पैकेट फ्री देने से सरकार का खाद्य मंत्रालय कंगाल होने का खतरा है। आए दिन सुनने में आ रहा है कि राजस्थान सरकार को रिजर्व बैंक द्वारा बॉण्ड जारी किये जाते हैं, जिसके बदले में सरकार अपनी संपत्तियां गिरवी रख रही है।

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