लंदन से शुरू हुई सचिन-सारा लव स्टोरी का अंत टोंक में हो गया?



सचिन पायलट और सारा पायलट के तलाक की खबर ने पायलट समर्थकों की नींद उड़ा दी है। हर तरफ यही खबर चल रही है कि आखिर पायलट का तलाक क्यों हुआ। तो इस वीडियो में आज यही बताने वाला हूं कि 2004 में 19 साल पहले लंदन से शुरू हुई सचिन—सारा की लव स्टोरी का अंत तलाक से क्यों हुआ? तलाक का पूरा सच बताने वाला हूं, लेकिन उससे पहले काफी शॉर्ट में दोनों की लव स्टोरी को जान लीजिए।


दरअसल, मंगलवार को सचिन पायलट के नामांकन पत्र को लेकर काफी उत्साह था, लेकिन जैसे ही पायलट ने टोंक से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया, वैसे ही पूरा सियासी दृश्य बदल गया। जो फोकस सचिन पायलट के नामांकन दाखिल करने पर था, वो पूरा सचिन और सारा के तलाक होने, उसके कारणों पर आकर टिक गया। पायलट के नॉमिनेशन के बाद से ही सोशल मीडिया पर सचिन सारा के तलाक की खबरें ट्रेंड कर रही हैं। पायलट समर्थक और प्रदेश के मतदाता यह जानना चाह रहे हैं कि अपने पिता फारूख अब्दुलाह की मर्जी के खिलाफ जाकर लव मैरिज करने वाली सारा पायलट का आखिर तलाक क्यों हुआ। 


आमतौर पर जब भी किसी बड़े दंपत्ति का तलाक होता है, तो मीडिया की सुर्खियां बनती हैं और उसपर खूब हल्ला मचता है। इसलिए राजस्थान का हर आदमी यह जानना चाहता है​ कि बिना किसी शोर शराबे के सचिन सारा का तलाक हो गया और मीडिया को कानों कान खबर तक क्यों नहीं हुई?


सचिन और सारा की लव स्टोरी 1999 में तब शुरू हुई, जब दोनों लंदन में साथ पढ़ रहे थे। राजनीतिक परिवार से होने के कारण दोनों के परिवार एक दूसरे को जानते थे, लेकिन फिर भी दोनों में नजदीकियां लंदन की पैन्सिवेलनियां यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान ही आईं। एक इंटरव्यू में इस पूरे किस्से को खुद सचिन और सारा पायलट ने सार्वजनिक किया कि उनकी लव लाइफ कैसे शुरू हुई और उसके बाद दोनों ने शादी कैसे की। साल 2000 में सड़क हादसे में राजेश पायलट के निधन के बाद उपचुनाव में सचिन की मां रमा पायलट ने दौसा से लोकसभा का चुनाव जीता। 


इसके बाद भी सचिन और सारा का प्यार पांच साल चला। दोनों ने पांच साल तक अपने अपने परिजनों को मनाने का प्रयास किया। पायलट ने जहां अपनी मां को मनाने की कोशिशें कीं तो सारा ने अपने पिता फारूख अब्दुलाह को अपनी शादी के लिए राजी करने का खूब प्रयास किया, लेकिन दोनों की शादी के कारण घाटी में तनाव होने के कारण नेशनल कॉन्फ्रेंस नेताओं ने इसका विरोध किया। खुद सारा के भाई उमर अब्दुलाह भी इसके लिए तैयार नहीं हुए, जबकि सारा के पिता और भाई, दोनों ने लव मैरिज की थी। सारा की मां क्रिश्चियन है, जबकि भाभी सिख परिवार से है।


सारा की लाख कोशिशों के बाद भी जब पिता और भाई नहीं माने तो सचिन और सारा ने 2004 में पायलट परिवार और कुछ खास रिश्तेदारों की मौजूदगी में शादी कर ली। इस शादी में न तो फारूख अब्दुलाह शामिल हुए और न ही उमर अब्दुलाह। हालांकि, फारूख अब्दुलाह बीमार होने के कारण तब लंदन के एक अस्पताल में भर्ती थे। इसके बाद 2004 का लोकसभा चुनाव हुआ और कांग्रेस ने 26 साल की उम्र में सचिन पायलट को दौसा से टिकट दिया। 


सचिन पायलट ने पहला चुनाव 1.20 लाख मतों के बड़े अंतराल से जीता। इस जीत के बाद सारा के पिता ने इस शादी को भी स्वीकार कर लिया, हालांकि, उमर अब्दुलाह ने इसके काफी समय बाद स्वीकार किया। बाद में दोनों के दो बेटे हुए। पायलट ने 2009 को दूसरा चुनाव जीता और मनमोहन सरकार में कॉर्पोरेट राज्य मंत्री बने। साल 2014 में जब सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बने, तब भी यह अफवाह उड़ाई गई थी कि उनके अपनी पत्नी से तलाक हो गया है। 


इसको खुद पायलट ने खारिज किया था। मोदी लहर के कारण मई 2014 को चुनाव सचिन पायलट अजमेर से हार गए। उन्होंने दिसंबर 2018 का विधानसभा चुनाव टोंक विधानसभा से जीता। उस जीत के बाद पायलट उपमुख्यमंत्री बने तो उनकी पत्नी सारा पायलट और दोनों बच्चे शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। किंतु 31 अक्टुबर 2023 को टोंक से दूसरी बार अपना नॉमिनेशन भरने पर खुलासा हुआ कि पायलट और सारा का तलाक हो चुका है। 


अब आप उस सच​ को जानिए, जो हर कोई नहीं जानता है। दरअसल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने को 70 साल तक अपने मिशन में लेकर चल रही भाजपा की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35ए को हटाया, तब देश के वो 170 कानून भी कश्मीर में लागू हो गए, जो 370 के कारण प्रभावी नहीं थे। इन कानूनों के कारण वहां के नागरिकों को भेदभाव झेलना पड़ रहा था, जब देश के अन्य नागरिक भी कश्मीर में देश के सभी अधिकार नहीं ले पाते थे। सैकड़ों ऐसे कानून थे, जिसके चलते कश्मीर के नागरिक अन्य राज्यों से अलग थलग पड़े थे। ऐसा ही एक कानून सचिन और सारा के प्यार में भी बाधा बना था। 


घाटी में धारा 370 के होते हुए कश्मीर की कोई भी लड़की जब किसी दूसरे राज्य के लड़के शादी करती थी तो वह अपने पिता की संपत्ति के सभी अधिकार खो देती थी। लव मैरिज के बाद सारा पायलट की लव लाइफ तो शानदार चल रही थी, लेकिन वो अपने पिता फारूख अब्दुलाह की अपार संपत्ति से वंचित हो गईं। 5 दिसंबर 2019 तक देश के किसी नेता या नागरिक को यह भरोसा नहीं था कि कश्मीर से धारा 370 हट सकती है और वह भारत का अभिन्न अंग बन सकता है। गौरतलब यह है कि दिसंबर 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान सचिन और सारा का तलाक नहीं हुआ था, लेकिन उसी दौरान जब फारूख अब्दुलाह की संपत्ति के बंटवारे की बात सामने आई तो बेटी द्वारा दूसरे राज्य के युवक से शादी करने के कारण कानूनी तौर पर उसे पिता की संपत्ति में से हिस्सा नहीं मिलने का तकनी​की पेच आड़े आ गया। 


यहीं से सचिन और सारा की शानदार लव स्टोरी में बदलाव आया। इसका समाधान निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन दूसरा कोई आसान रास्ता नहीं​ निकला। इसके बाद सचिन और सारा ने दोनों की सहमति से कागजी तलाक ले लिया। हालांकि, आजतक भी यह कागजी तलाक ही रहा है। असल बात यह है कि सचिन पायलट और सारा पायलट दिल्ली में आज भी साथ रहते हैं। अक्सर देखा गया है कि सचिन पायलट पांच दिन जयपुर में और दो दिन दिल्ली में अपने बच्चों और पत्नी के साथ रहते हैं। 5 अगस्त 2019 को धारा 370 हटने के बाद घाटी की लड़कियों को भी दूसरे राज्य में शादी करने पर पिता की संपत्ति में हिस्से का अधिकार तो मिल गया, जिसके कारण कानूनन सारा पायलट भी अपने पिता फारूख अब्दुलाह की संपत्ति में हिस्सेदार बन गईं, लेकिन सचिन पायलट और सारा पायलट का कागजी तलाक पहले ही डिसाइड हो चुका था, इसलिए मंगलवार को जब पायलट ने अपना चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया तो उनको ​तलाकशुदा ही लिखना पड़ा। 


मजबूरीवश सचिन सारा ने कागजी तलाक तो ले लिया, लेकिन तलाक को निष्प्रभावी बनाने के लिए दो तरीके होते हैं। पहला तरीका तो यह है कि दोनेां अपनी मर्जी से तलाक को निष्प्रभावी बनाने के लिए कोर्ट में जाएं और वहां से डिसाइड हो। इसके साथ ही कोर्ट के बाहर दोनों को दूसरी बार शादी करने पड़ती है। संभवत: दोनों ने आपस में ही दूसरी बार शादी करना जरूरी नहीं समझा। दोनों का तलाक इसी तकनीति कारण से कागजों तक सीमित है, बल्कि सुना यह है कि इस कागजी तलाक के बाद भी दोनों की निजी जिंदगी में इसका कोई असर नहीं पडा है। दोनों के बीच कोई मनमुटाव नहीं है, इस वजह से दोनों साथ ही रहते हैं। वैसे तो दोनों अपनी निजी जिंदगी में कम ही सार्वजनिक दिखाई देते रहे हैं। दोनों के बीच तकाल की अफवाह 2014 में उड़ी थीं, लेकिन 17 दिसंबर 2018 को जब सचिन पायलट राजस्थान के उपमुख्यमंत्री बने, तब उनकी प​त्नी और दोनों बेटे शपथ ग्रहण समारोह में जयपुर में मौजूद थे।


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