भारत का S-400 दुनिया का सबसे बेहतर कैसे है?

इन दिनों भारत, पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा है। भारत ने आतंकवाद को समूल नष्ट करने के लिए ओपरेशन सिंदूर चलाया हुआ है। जवाब में पाकिस्तान मिसाइल और ड्रॉन से हमले कर रहा है। भारत को अब तक इनसे खास नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि अधिकांश मिसाइलें और ड्रॉन हवा में ही नष्ट किए जा चुके हैं। भारत ने पहली बार एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम काम लिया है, जो कुछ ही बरस पहले रूस से खरीदे थे। पाकिस्तान भी चीन से खरीदे अपने वायु रक्षा प्रणाली एचक्यू 9बी का उपयोग कर रहा था, लेकिन भारत ने उनको नष्ट कर दिया है। पाकिस्तान अब तक भारत का एक भी फाइटर जेट या मिसाइल को नहीं मार पाया है। दोनों देशों के पास एयर डिफेंस सिस्टम हैं, लेकिन भारत के भारी कर पड़ रहे हैं। क्या कारण है कि भारत के काम कर रहे हैं और पाकिस्तान के नष्ट हो गए हैं?

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दरअसल, भारत के पास S-400 नामक जो सबसे उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे 'सुदर्शन चक्र' के नाम से जाना जाता है। इसे रूस की सरकारी रक्षा कंपनी Almaz-Antey ने विकसित किया है। एल्माज एंटेनी ठीक वैसे ही काम करती है, जैसे भारत की सरकारी कंपनी 'हिंदुस्तान एयरोटोनिक्स लिमिटेड', यानी 'हैल' काम करती है। रूस के द्वारा एस 400 को विकसित करने का काम 1990 के दशक में शुरू किया गया था। करीब 17 साल बाद 2007 में इसे रूस की सेना में शामिल किया गया था।

एस-400 भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस से 35,000 करोड़, यानी लगभग 5.4 बिलियन डॉलर में खरीदा था। जिसके तहत पांच स्क्वाड्रन S-400 सिस्टम का सौदा किया गया था। इनमें से तीन पहले ही भारत को मिल चुके हैं, जबकि शेष दो 2026 तक डिलीवर होने की उम्मीद है। जो तीन सुदर्शन चक्र भारत के पास हैं, उनको राजस्थान, पंजाब और सिक्किम में एक्टिवेट किया हुआ है। आने वाले समय में दो और मिलेंगे, जिन्हें दिल्ली और चीन की बॉर्डर पर तैनात किए जाने की संभावना है। माना जा रहा है कि इसकी शानदार पर्फोमेंश को देखते हुए भारत जल्द ही इसकी उन्नत तकनीक एस-500 खरीद सकता है।

एस-400 इन दिनों पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रॉन्स को धूल तो चटा रहा है। इसके सटीक निशाने दुनियाभर में भारत ख्याति बढ़ा रहे हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि S-400 काम कैसे करता है। देखिए, S-400 एक मल्टी-लेयरड सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम है, जो दुश्मन के एयरक्राफ्ट, मिसाइल, क्रूज़ मिसाइल और यहां तक कि छुपे हुए टारगेट्स को भी पहचान कर उन्हें हवा में ही खत्म कर सकता है। यह 600 किलोमीटर से ही टारगेट की पहचान करना शुरू कर देता है, जिस 400 किलोमीटर के दायरे में आने लक्ष्य बनाता है। इसकी मारक क्षमता 400 किमी तक है, और आसमान में यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक के टारगेट को मार सकता है।

सुदर्शन चक्र 600 किमी दूर तक एकसाथ 300 से ज्यादा टारगेट को ट्रैक कर सकता है। रडार से मिले डाटा को यह एनालिसिस करता है और तय करता है कि कौनसा टारगेट कितना खतरनाक है। S-400 के ट्रांसपोर्टर-एरेक्टर-लॉन्चर्स में चार अलग-अलग रेंज की मिसाइलें लोड होती हैं। अधिक दूरी की 400 किमी, दूरी की 250 किमी, मध्यम दूरी की 120 किमी और कम दूरी की 40 किमी की मिसाइलें होती हैं। ये मिसाइलें हाइपरसोनिक स्पीड से उड़ती हैं और अपने लक्ष्य को सीधे टक्कर मारकर या निकट जाकर ब्लास्ट से नष्ट करती हैं। इसमें दो बैटरियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक में 6 लॉन्चर, एक कमाण्ड एण्ड कंट्रोल सिस्टम, निगरानी राडार और एंगेजमेंट राडार लगे होते हैं। इसकी प्रत्येक बेट्री 128 मिसाइलें छोड़ने की पॉवर रखती हैं। यह एक साथ 300 टारगेट को ट्रेक कर 80 से अधिक टारगेट को निशाना बना सकती है। दुश्मन की भारी बममारी के बीच इसकी क्षमता 80 फीसदी तक सटीक होती है। 

दूसरी तरफ पाकिस्तान के पास चीन निर्मित HQ-9B एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे चीन की China Precision Machinery Import-Export Corporation द्वारा विकसित किया गया है। माना जाता है कि चीनी कंपनी ने रूस के पुराने S-300 सिस्टम की कॉपी करके इसे बनाया था। HQ-9B की रेंज लगभग 200 से 300 किलोमीटर तक मानी जाती है, लेकिन इसकी करेक्ट एंड रिप्लाई स्पीड S-400 जितनी उन्नत नहीं है। इसकी ट्रैकिंग क्षमता भी कम है और यह छुपे हुए टारगेट डिटेक्शन में कैपेबल नहीं है। पाकिस्तान ने इसे कब खरीदा, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन 2016 के बाद से पाकिस्तान में इसकी तैनाती की रिपोर्ट्स सामने आई थीं। संभवतः पाकिस्तान को चीन द्वारा रक्षा सहयोग के तहत सस्ती दरों पर दिया गया था या किसी पैकेज डील में दिया गया है, इसलिए इसे सार्वजनिक नहीं किया गया।

इन दोनों की तकनीकी तुलना करें तो S-400 की अधिकतम रेंज 400 किमी है। यह एक साथ 80 से अधिक टारगेट लगा सकती है। इसकी रडार ट्रैकिंग 600 किमी तक और स्टेल्थ डिटेक्शन में सक्षम है। जबकि पाकिस्तानी HQ-9B की अधिकतम रेंज 300 किमी, एक साथ 50 टारगेट ट्रैक करती है। इसकी रडार ट्रैकिंग लगभग 350 किमी तक है और सीमित स्टेल्थ डिटेक्शन की कैपेसिटी है।

यदि दुनिया के अन्य एयर डिफेंस सिस्टम्स की बात करें तो अमेरिका के लिए Patriot और THAAD सिस्टम्स काम कर रहे हैं। Patriot की रेंज 70 से 160 किमी है, जबकि THAAD की रेंज 200 किमी से अधिक है। यह हाइपरसोनिक टारगेट को भी नष्ट कर सकता है। लंबे समय से हमास को नष्ट करने में लगे भारत के मित्र राष्ट्र इज़राइल के पास Iron Dome, David’s Sling, और Arrow सिस्टम्स हैं। Iron Dome शॉर्ट-रेंज रॉकेट्स और मोर्टार को रोकने के लिए है, David’s Sling मध्यम रेंज का सिस्टम है, और Arrow लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों से सुरक्षा के लिए है। माना जाता है कि इसराइल दुनिया में सबसे अधिक एयर डिफेंस सिस्टम काम लेता है, क्योंकि उसके चारों तरफ दुश्मन देश हर वक्त हमले के लिए तैयार रहते हैं। 

इसी तरह से फ्रांस के पास Mamba एयर डिफेंस सिस्टम, जो Aster 30 मिसाइल का उपयोग करता है। इसकी रेंज लगभग 120 किमी है। क्योंकि फ्रांस भी नाटो सदस्य है, इसलिए यह NATO मानकों पर आधारित है। चीन के पास भी रूस के एस 400 ही हैं, जो उसने 2018 में खरीदे थे। चीन अपने बनाए एयर डिफेंस सिस्टम को काम नहीं लेता, उन्हें पाकिस्तान को बेचता है, जबकि खुद रूस से एस 400 खरीद रखे हैं।

ब्रिटेन के पास एयर डिफेंस के लिए Sky Sabre सिस्टम है, जो CAMM मिसाइल पर आधारित है। यह 25-40 किमी की दूरी तक हवाई खतरों को रोक सकता है। रूस के पास S-300, S-400, और S-500 सिस्टम्स हैं। S-500 Prometheus 2021 में तैयार किया गया था। यह हाइपरसोनिक मिसाइलें, लो-अर्थ ऑर्बिट उपग्रह, और स्पेस-बेस्ड थ्रेट्स को भी मार सकता है।

इस तरह से देखा जाए तो भारत का S-400 ट्रायम्फ इस समय विश्व के टॉप-टियर एयर डिफेंस सिस्टम्स में से एक है। इसकी लंबी दूरी, मल्टी टारगेट क्षमता, स्टेल्थ डिटेक्शन और हाई एक्युरेसी इसे पाकिस्तान के HQ-9B से कहीं ज्यादा प्रभावी बनाती है। जहां चीन और पाकिस्तान मिलकर रक्षा सहयोग बढ़ा रहे हैं, वहीं भारत ने रूस, इज़राइल और अमेरिका जैसे देशों से उच्चतम स्तर की तकनीक हासिल की है। पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मन देशों की हरकतों को रोकने के लिए आने वाले समय में भारत अपने आर्मी पॉवर में S-500 या स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम्स भी शामिल कर सकता है।

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