कब थमेगी नेताओं की बदजुबानी?

भारत में 'ओपरेशन सिंदूर' के सफल निष्पादन के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि देश की विदेश नीति अब इतनी सशक्त हो चुकी है कि विश्व के प्रमुख राष्ट्र भी भारत को अपनी इच्छानुसार प्रभावित नहीं कर सकते। इस सैन्य अभियान के दौरान और उसके पश्चात, भारतीय सेना की वीरता और रणनीतिक कौशल ने न केवल पाकिस्तान को चौंकाया, बल्कि अमेरिका और चीन जैसे देशों को भी भारत की शक्ति का अहसास कराया। 

हालांकि, इस सफलता के बीच, कुछ भारतीय नेताओं द्वारा दिए गए विवादास्पद बयान इस उपलब्धि की गरिमा को कम करने वाले सिद्ध हुए हैं। भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' की सफलता के बाद देशभर में गर्व और उत्साह का माहौल था, लेकिन कुछ नेताओं के बयानों ने इस गर्व को विवादों में बदल दिया। भारतीय सेना की वीरता और समर्पण की प्रशंसा करने के बजाय, कुछ नेताओं ने जाति और धर्म के आधार पर टिप्पणियां कीं, जिससे सेना की निष्पक्षता और एकता पर प्रश्नचिह्न लग गया।

मध्य प्रदेश के एक मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी के धर्म पर की गई टिप्पणी और समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव द्वारा विंग कमांडर व्योमिका सिंह की जाति पर की गई टिप्पणी न केवल निंदनीय हैं, बल्कि ये भारतीय सेना की एकता और समर्पण पर भी प्रश्नचिह्न लगाते हैं। मंत्री शाह ने कर्नल सोफिया कुरैशी के धर्म पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दहशतवादियों का बदला लेने के लिए हमने उनकी बहन को भेजा। 

यह बयान सेना की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ माना गया और इसकी व्यापक निंदा हुई। इन बयानों से यह प्रतीत होता है कि कुछ राजनेता अपनी संकीर्ण सोच और राजनीतिक लाभ के लिए सेना के बलिदान को भी विभाजित करने का प्रयास कर रहे हैं। भारतीय सेना, जो विविधता में एकता का प्रतीक है, उसमें धर्म, जाति या क्षेत्र के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता। 

सेना के जवान और अधिकारी केवल राष्ट्र की सेवा और सुरक्षा के लिए समर्पित होते हैं। ऐसे में, नेताओं द्वारा की गई इस प्रकार की टिप्पणियाँ न केवल अनुचित हैं, बल्कि यह सेना के मनोबल को भी प्रभावित कर सकती हैं।

मध्य प्रदेश के डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने कहा कि पूरा देश और सेना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चरणों में नतमस्तक है। यह बयान सेना की स्वायत्तता पर सवाल उठाता है और इसे सत्ता के प्रति अतिशयोक्तिपूर्ण प्रशंसा के रूप में देखा गया। भारतीय सेना को प्रधानमंत्री मोदी के चरणों में समर्पित बताना भी एक अत्यंत आपत्तिजनक बयान है। 

सेना का राजनीतिकरण करना और उसे किसी राजनीतिक नेता के अधीन बताना, सेना की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर आघात करता है। सेना का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र की रक्षा करना है, न कि किसी राजनीतिक दल या नेता की सेवा करना। इन विवादों के बीच, कर्नल सोफिया कुरैशी की बहन शबाना कुरैशी ने कहा, "हम न हिंदू हैं, न मुसलमान, हम भारतीय हैं।" 

यह बयान उन सभी नेताओं के लिए एक संदेश है जो सेना को जाति और धर्म के चश्मे से देखते हैं। इन बयानों से यह स्पष्ट होता है कि कुछ नेता अपने राजनीतिक लाभ के लिए सेना के बलिदान और उपलब्धियों का उपयोग करने का प्रयास कर रहे हैं। यह न केवल अनुचित है, बल्कि यह राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए भी खतरा उत्पन्न कर सकता है।

भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में, जहां विभिन्न धर्मों, जातियों और भाषाओं के लोग रहते हैं, वहां सेना एक ऐसा संस्थान है जो सभी को एकजुट करता है। सेना की यह एकता और समर्पण ही है जो देश को सुरक्षित रखता है। 

ऐसे में, नेताओं द्वारा की गई विभाजनकारी टिप्पणियाँ न केवल अनुचित हैं, बल्कि यह देश की सुरक्षा और एकता के लिए भी खतरा उत्पन्न कर सकती हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि सभी राजनीतिक दल और उनके नेता सेना के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता दिखाएं। उन्हें यह समझना चाहिए कि सेना का राजनीतिकरण करना और उसके बलिदान का उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए करना, न केवल अनुचित है, बल्कि यह देश की सुरक्षा और एकता के लिए भी खतरा उत्पन्न कर सकता है। 

इसके अलावा, मीडिया और समाज को भी इस प्रकार के बयानों की निंदा करनी चाहिए और नेताओं को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाना चाहिए। सेना के बलिदान और समर्पण को राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह देश की सुरक्षा और एकता के लिए भी खतरा उत्पन्न कर सकता है।

अंततः, यह आवश्यक है कि सभी राजनीतिक दल और उनके नेता सेना के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता दिखाएं। उन्हें यह समझना चाहिए कि सेना का राजनीतिकरण करना और उसके बलिदान का उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए करना, न केवल अनुचित है, बल्कि यह देश की सुरक्षा और एकता के लिए भी खतरा उत्पन्न कर सकता है। 

नेताओं को चाहिए कि वे अपने बयानों में संयम बरतें और सेना की गरिमा को बनाए रखें। सेना की सफलता का श्रेय किसी एक व्यक्ति या पार्टी को नहीं, बल्कि पूरे देश को जाता है। हमें गर्व है अपनी सेना पर, और हमें उसका सम्मान करना चाहिए।

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