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ऑपरेशन सिंदूर: भारत की सैन्य, कूटनीतिक और नैरेटिव युद्ध में निर्णायक विजय

भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चले आ रहे संघर्ष में "ऑपरेशन सिंदूर" एक निर्णायक मोड़ के रूप में उभरा है। 7 मई 2025 को भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में इस ऑपरेशन की शुरुआत की, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। 

इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों पर 24 मिसाइलें दागीं, जिससे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों को भारी नुकसान पहुंचा। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता केवल भौतिक लक्ष्यों के विनाश तक सीमित नहीं रही; इसने पाकिस्तान की वायु शक्ति को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया। 

चार दिनों के भीतर, पाकिस्तान की वायु सेना को इतना नुकसान हुआ कि उसकी क्षमता पांच वर्षों तक पीछे चली गई। भारतीय वायु सेना ने एस-400, आकाश और राफेल जैसे अत्याधुनिक हथियारों का उपयोग करके पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को प्रभावी ढंग से निष्क्रिय किया।

इस सैन्य सफलता के बाद, भारत ने वैश्विक स्तर पर नैरेटिव युद्ध में भी बढ़त हासिल करने के लिए रणनीतिक कदम उठाए। सरकार ने विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं, जैसे शशि थरूर और असदुद्दीन ओवैसी, को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का पक्ष रखने के लिए भेजा, जिससे भारत की एकता और लोकतांत्रिक मूल्यों का संदेश विश्व समुदाय तक पहुंचा। 

हालांकि, कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भारत ने सैन्य मोर्चे पर जीत हासिल करने के बावजूद वैश्विक नैरेटिव को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में थोड़ी देर कर दी। ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य और कूटनीतिक क्षमताओं का प्रदर्शन करते हुए यह सिद्ध कर दिया कि देश अब केवल रक्षा की मुद्रा में नहीं, बल्कि आक्रामक और निर्णायक कार्रवाई करने में भी सक्षम है। इसने भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत किया है और आतंकवाद के खिलाफ उसकी प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया है।

भविष्य में, भारत को अपनी सैन्य और कूटनीतिक रणनीतियों को और अधिक समन्वित और प्रभावी बनाना होगा, ताकि वह वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत कर सके। ऑपरेशन सिंदूर एक उदाहरण है कि कैसे एक राष्ट्र अपनी संप्रभुता की रक्षा करते हुए वैश्विक नैरेटिव को भी नियंत्रित कर सकता है। इस ऑपरेशन की सफलता ने यह भी दिखाया कि भारत अब केवल पारंपरिक युद्धों तक सीमित नहीं है, बल्कि वह नैरेटिव युद्ध में भी समान रूप से सक्षम है। 

यह एक संकेत है कि भारत अपनी सुरक्षा और वैश्विक छवि दोनों को सुदृढ़ करने के लिए सभी मोर्चों पर सक्रिय है। इस प्रकार, ऑपरेशन सिंदूर न केवल एक सैन्य विजय है, बल्कि यह भारत की रणनीतिक सोच, कूटनीतिक कौशल और वैश्विक मंच पर प्रभावी नैरेटिव निर्माण की क्षमता का प्रतीक बन गया है। यह ऑपरेशन भविष्य के लिए एक मार्गदर्शक है कि कैसे एक राष्ट्र अपनी संप्रभुता की रक्षा करते हुए वैश्विक नैरेटिव को भी नियंत्रित कर सकता है।

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