इस बिल में ऐसा क्या है, जो भजन लाल शर्मा सरकार की हर तरफ तारीफ हो रही है?

राजस्थान की भजन लाल सरकार की एक बिल के कारण पूरे देश में तारीफ हो रही है। बीजेपी सरकार ने विधानसभा में Rajasthan Prohibition of Unlawful Religious Conversion Bill, 2025 पेश किया है, जिसमें धर्मांतरण के मामलों—जिनमें फर्जी जानकारी, प्रलोभन, दबाव, बल, शादी के बहाने या धोखे से धर्म बदलवाना शामिल है] को रोकने के लिए बेहद सख्त प्रावधान शामिल हैं। यह बिल पिछली फरवरी में पेश प्रस्तावित बिल की तुलना में अधिक कठोर है और इसके प्रावधान व्यापक और निर्णायक बदलाव लेकर आए हैं।

इस बिल के कारण राजस्थान की भजन लाल शर्मा सरकार की राष्ट्रीय स्तर पर तारीफ हो रही है। आपको बता दें कि राजस्थान के दक्षिण इलाके में, जहां अधिकांश आदिवासी रहते हैं, वहां पर ईसाई मिश्नरियों द्वारा अवैध धर्मान्तरण कराने के कई मामले सामने आए हैं। इसके कारण आदिवासियों को बहला फुसलाकर, लालच देकर या डराकर धर्मान्तरण का खेल चल रहा है। ईसाई मिश्नरीज पूरे देश में सक्रिय हैं, लेकिन राजस्थान के गरीब और पिछले इलाकों में इनका काम आसान हो जाता है।

मुख्य प्रावधान-सजा और जुर्माना

—सामान्य मामलों में (जिनमें प्रलोभन, धोखाधड़ी, दबाव आदि शामिल हैं) सज़ा 7 से 14 साल की जेल और न्यूनतम ₹5 लाख जुर्माना।

—यदि धर्म परिवर्तन में शामिल व्यक्ति नाबालिग, महिला, विकलांग, या अनुसूचित जाति/जनजाति से हैं, तो 10 से 20 साल जेल और ₹10 लाख जुर्माना।

—समूह में बड़े पैमाने पर (mass) धर्मांतरण पर 20 साल से लेकर उम्रकैद की सजा और न्यूनतम ₹25 लाख जुर्माना।

—विशेष रूप से बल, शादी का वादा, मानव तस्करी जैसे मामलों में—कम से कम 20 साल से उम्रकैद और ₹30 लाख जुर्माना।

—दोहराए जाने वाले अपराध पर आयु कैद (life imprisonment) और न्यूनतम ₹50 लाख जुर्माना।

—दूसरी ओर, अपनी मूल आस्थागत धर्म में लौटने यानि “घर वापसी” (ghar wapsi) को धर्मांतरण से मुक्त रखा गया है—यानी यह कानून उस पर लागू नहीं होगा।)

इसके अलावा:

—अपराध गैर-जमानती (non-bailable) और समझने योग्य (cognizable) होंगे—जिसका अर्थ है कि गिरफ्तारी वारंट के बिना हो सकेगी।

—सबूत की जिम्मेदारी (burden of proof) अपराधी पर होगी—यानी अभियुक्त को अपने आप को निर्दोष साबित करना होगा।, 

—संस्था को दंडित करने की धारा—यदि कोई संस्था धर्मांतरण में शामिल पाई गई तो उसका पंजीकरण रद्द हो सकता है, सरकारी अनुदान (grants) रोक दिए जाएंगे, और जिन संपत्तियों में ऐसी गतिविधियाँ हुईं, उन्हें जब्त या गिराया जा सकता है।

—निर्माण संबंधी विवाह (marriage solemnised for conversion) को अमान्य घोषित करने का प्रावधान बरकरार रखा गया है।

राजस्थान में धर्मांतरण की वर्तमान स्थिति

ऐसे हालिया आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं जो राज्य में होने वाले धर्मांतरणों की संख्या बताएं। केंद्रीय या राज्य सरकारी स्रोतों में इस संबंध में विस्तृत जानकारी नहीं मिली है। कुछ रिपोर्ट्स संकेत देती हैं: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कुछ जिलों में ईसाई धर्म अपनाने वालों में तेजी से वृद्धि देखी गई है—कई ग्रामीण इलाकों में 41% तक इजाफा हुआ है, लेकिन इसमें राज्यवार आंकड़े नहीं बताए गए। राष्ट्रीय स्तर पर, अनेक राज्यों में कानून बनने के बाद भीधंड़ा (mass) धर्मांतरण की कथित घटनाओं पर कार्रवाई स्पष्ट रूप से हुई है, लेकिन राजस्थान से जुड़े खातों में अभी तक कोई विशिष्ट क़ानूनी केस या संख्या उपलब्ध नहीं है।

राजस्थान में धर्मांतरण विरोधी बिल पेश, सजा-दण्ड और जुर्माने के प्रावधान कठोर रखे गए हैं। सरकार का तर्क है कि नाबालिग, महिलाएं, विकलांग और SC/ST जैसे कमजोर वर्गों को संरक्षण मिले, और गलत तरीकों से धर्मांतरण को अंजाम देने वालों को कठोर दंड मिल सके। इस बिल में अपराधों को गैर-ज़मानती व संज्ञानात्मक बनाया गया है, जिससे त्वरित कार्रवाई संभव हो सके, और अब प्रमाण की जिम्मेदारी आरोपी पर होगी—जो न्यायाधिकाराशील व्यवस्था के पारंपरिक सिद्धांतों से हटकर है।

कड़ी सज़ा और जुर्माना:

—सामान्य मामलों: 7–14 साल जेल, ₹5 लाख जुर्माना।

—कमजोर वर्गों के मामलों में: 10–20 साल, ₹10 लाख जुर्माना।

—बड़े पैमाने पर धर्मांतरण: 20 साल–उम्रकैद, ₹25 लाख जुर्माना।

—जबरन, धोखे या मानव तस्करी से जुड़े: 20 साल–उम्रकैद, ₹30 लाख जुर्माना।

—दोहराए जाने वाले मामलों में: उम्रकैद और ₹50 लाख जुर्माना।

संस्थागत दंड:

—दोषी संस्था का पंजीकरण रद्द।

—सरकारी अनुदान रुकवाया जाए।

—संबंधित संपत्ति ज़ब्त या गिराई जा सके।

—"घर वापसी" (अपने मूल धर्म में लौटना) को छूट।

बिल का उद्देश्य है अवैध धार्मिक प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाना, लेकिन आलोचक इसे व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता का हनन भी मान रहे हैं। विपक्ष ने कहा कि यह बिल मास मार्केटिंग या सतही धर्मांतरण की आड़ में संविधान द्वारा प्रदत्त धर्म की स्वतंत्रता पर अतिक्रमण करने का प्रयास है।

प्रभाव और भविष्य:

बिल पारित हो जाने पर ऐसे धर्मांतरणों पर कठोर शासन होगा, लेकिन साथ ही यह सवाल भी गहरा करता है कि क्या इससे अक्सर गलत आरोप और सामाजिक तनाव को बढ़ावा मिलेगा। क्योंकि राजस्थान धर्मनिरपेक्ष देश का हिस्सा है—जहाँ Article 25 के अंतर्गत “धर्म की स्वतंत्रता” का संरक्षण है।

वर्तमान में राजस्थान में धर्मांतरण की संख्या-आधारित आंकड़े नहीं मिलने से यह मसला सार्वजनिक रूप से विवादित बना रहेगा। लेकिन बिल यह संकेत देता है कि सरकार धर्मांतरण को रोकने पर दृढ़ है, और कानून-व्यवस्था का यह नया अध्याय आने वाले दिनों में सामाजिक-राजनीतिक गर्मी ला सकता है।

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