-हाथ-पैर डेढ़ साल से रुके हुए थे, ऑपरेशन कर लौटाई ताकत
रामगोपाल जाट
लकवे के कारण मरीज के हाथों-पैरों की ताकत खोते आपने देखा होगा, लेकिन लकवे जैसी दिखने वाली कुछ और बीमारियां मरीज के हाथ-पैर जाम कर देती हैं।
ऐसे मरीज का समय पर उपचार होना जरूरी होता है। ऐसा ही एक मरीज हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के 60 वर्षीय गंगाराम था, इसके हाथ और पैरों ने काम करना बंद कर दिया था। परिजनों को लगा जैसे लकवा मार गया हो।
इसके चलते गंगाराम को जयपुर समेत कई जगह पर एक दर्जन डॉक्टर्स को दिखाया, किन्तु कोई फायदा नहीं हुआ। मरीज के बेटे प्रदीप शर्मा ने बताया कि कुछ दिनों पहले किसी परिचित ने जयपुर में जयपुर हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरोसर्जन डॉ. राजवेंद्र सिंह चौधरी को दिखाने की राय दी।
डॉ. चौधरी ने सीटी एंजियोग्राफी और एमआरआई जांचें देखने के बाद पाया कि मरीज गंगाराम के गर्दन में सर्वाइकल कॉर्ड माइलोपैथी हो गई है, जो एनोमेलस वट्रीब्रल आर्टरी कम्प्रेशन के कारण हुई है। डॉ. चौधरी ने बताया कि अपने करियर में इस तरह का विचित्र केस देखा है, जिसमें एनोमेलस वट्रीब्रल आर्टरी कम्प्रेशन के कारण सर्वाइकल कॉर्ड माइलोपैथी हुई है।
उन्होंने बताया कि परिजनों की सहमति से ऑपरेशन करने का फैसला किया गया। यह अपने आप में जटिल ऑपरेशन था, जो करीब 6 घंटे तक चला। सर्जरी करने के 3 दिन बाद ही मरीज के हाथों-पैरों में हलचल शुरू हो गई और पांचवे दिन मरीज अपने हाथों से पानी को बोतल उठाकर पानी पीने लगा है।
उन्होंने बताया कि पैरों में भी जिस तेजी से सुधार हो रहा है, उससे उम्मीद है कि आने वाले एक से डेढ़ माह के भीतर मरीज अपने-आप चलने लगेगा।
मरीज के बेटे प्रदीप शर्मा ने बताया कि आज छुट्टी मिल चुकी है, हाथ-पैरों में तेजी से सुधार हो रहा है। डॉक्टर ने छोटी-मोटी व्यायाम की क्रियाएं बताई हैं, जो नियमित शुरू कर दी गई हैं।
डॉ. चौधरी का कहना है कि सर्वाइकल कॉर्ड माइलोपैथी से पीड़ित कई मरीजों के पहले भी ऑपरेशन किये हैं, लेकिन एनोमेलस वट्रीब्रल आर्टरी कम्प्रेशन के साथ सर्वाइकल कॉर्ड माइलोपैथी से पीड़ित मरीज की पहली बार सर्जरी की है। इस ऑपरेशन में एनैस्थिसिया स्पेशलिस्ट डॉ. विजया गुप्ता, ओटी स्टाफ दयाराम व चरणसिंह का भी सहयोग रहा।
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