मोदी सरकार के आगे पाकिस्तान नाक रगड़ने लगा है!

भारत की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली धारा 370 व 35ए हटाने के बाद पाकिस्तान ने भारत से सभी करोबारी रिश्ते खत्म करने का ऐलान किया था। पाकिस्तान ने कहा था कि जब तक भारत के द्वारा जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त 2019 से पहले की स्थिति बहाल नहीं की जाएगी, तब तक भारत के साथ किसी भी तरह का कारोबार नहीं किया जाएगा। पाकिस्तान लाख महंगाई झेलकर भी बीते करीब पौने तीन साल से अपने इस वादे को निभा रहा था, लेकिन अब कंगाली की हालत में पहुंच चुके पाकिस्तान को अपना ही वादा तोड़ना पड़ा है। ऐसे क्या कारण हैं कि पाकिस्तान अपने ही वादे से मुकर रहा है? पाकिस्तान ने की नई सरकार ने घोषणा की है कि वह भारत के साथ फिर से कारोबारी रिश्ते कायम करना चाहती है। इसको लेकर पाकिस्तान के नये प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने बकायदा एक मंत्री को नियुक्त कर रिश्ते कायम करने की पहल करने की जिम्मेदारी सौंप दी है। शाहबाज शरीफ ने कहा है कि हम बिना शर्त के भारत से कारोबार शुरू करना चाहते हैं और भारत सरकार से अपील करते हैं कि इसको लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं। हालांकि, अभी तक भारत की ओर से इस बारे में कोई बयान नहीं दिया गया है। पिछले महीने की 10 तारीख को पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान को हटाकर शाहबाज शरीफ नये प्रधानमंत्री बने थे, उसके बाद पाकिस्तान के सबसे बड़े उद्योगपति मियां मुहम्मद मंशा ने का था कि जब चीन व भारत के बीच सीमा विवाद होने के बाद भी कारोबार हो सकता है, तो फिर भारत व पाकिस्तान के बीच क्यों नहीं हो सकता? मंशा ने कहा था कि विवाद की चीजें बैठकर सुलझाई जा सकती हैं, लेकिन उससे पहले कारोबार बंद करने का क्या तुक है? असल में तो शाहबाज शरीफ भी एक कारोबारी हैं। उनका स्टील का बड़ा कारोबार है और पाकिस्तान स्टील के मामले में भारत पर निर्भर रहता है, जिससे खुद शाहबाज शरीफ को भी बड़ा नुकसान हो रहा है। पाकिस्तान ने भारत के साथ कारोबार शुरू करने का निर्णय क्यों किया है, इसको लेकर विस्तार से बात करेंगे, लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि भारत व पाकिस्तान के बीच कौन कौन सी वस्तुओं का का कारोबार होता है? पाकिस्तान द्वारा भारत को ताजे फल, सीमेंट, खनिज—अयस्क, तैयार चमड़ा, प्रसंस्कृत खाद्य, अकार्बनिक रसायन, कच्चा कपास, मसाले, ऊन, रबड़ उत्पाद, अल्कोहल पेय, चिकित्सा उपकरण, समुद्री सामान, प्लास्टिक, डाई और खेल का सामान निर्यात किया जाता था, जबकि भारत जैविक रसायन, कपास, प्लास्टिक उत्पाद, अनाज, चीनी, कॉफी, चाय, लौह और स्टील के सामान, दवा और तांबा इत्यादि निर्यात करता रहा है। पाकिस्तान द्वारा भारत से पक्का कपास खरीदा जाता था, जिसके दम पर उसकी कपड़ा इंडस्ट्री चलती थी, लेकिन बीते तीन साल से यह ठप पड़ी है, या अफगानिस्तान से हल्का और महंगा कपास खरीदता है। बात पाकिस्तान के अपने ही ऐलान से बदलने की करें तो सबसे बड़ा और पहला कारण हाल ही में वहां पर सरकार बदलना रहा है। इमरान खान को चीनी समर्थक माना जाता है, जिन्होंने हटने से पहले और बाद में भी सार्वजनिक तौर पर कहा था कि अमेरिका द्वारा अरबों रुपये खर्च कर उनको प्रधानमंत्री पद से हटाने की साजिश रची है। दुनिया इस बात को जानती है कि अमेरिका द्वारा विश्व के कई देशों के में ऐसे खेल किए जाते हैं। नऐ प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ पाकिस्तान के तीन बार प्रधानमंत्री रहे नवाज शरीफ के भाई हैं, जिनको हमेशा ही अमेरिकी सरपरस्त माना जाता है। साथ ही नवाज शरीफ भारत के साथ रिश्ते रखने के भी पक्षधर माने जाते हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने पहले कार्यकाल में अचानक पाकिस्तान पहुंचकर नवाज शरीफ की मां को जन्मदिन पर आमों की टोकरी व शॉल भेंट कर बधाई दे चुके हैं। ऐसे ही नवाज शरीफ के परिवार का कारोबारी होना भी बड़ी वजह है, जो अपने देश में कारोबार बढ़ाना चाहता है। दूसरा कारण यह है कि पाकिस्तान इस वक्त बहुत बुरे आर्थिक दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म होने के कगार पर पहुंच चुका है। इसको लेकर पिछले दिनों ही प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ सउदी अरब के पास जाकर ऋण मांगकर आए हैं, जबकि चीन ने 19000 करोड़ की सहायता का वादा किया था, लेकिन सरकार बदलने के बाद उसने भी मना कर दिया है। कहा जा रहा है कि पाकिस्तान को कहीं से भी लोन नहीं मिल रहा है, जिसके कारण वह बुरी तरह से फंस गया है। इधर, श्रीलंका के पास विदेश मुद्रा भंडार खत्म होने के बाद खुद को कंगाल घोषित कर चुका है और देश में आर्थिक आपातकाल लागू कर दिया गया है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे का इस्तीफा होने के बाद आंदोलनकारियों ने उनके घर को आग के हवाले कर दिया है और कई सांसदों के घरों को जलाकर खाक कर दिया है। यही कारण है कि शाहबाज शरीफ नहीं चाहते हैं कि भारत से दुश्मनी रखकर अपने देश को कंगाल कर श्रीलंका जैसे हालात बनने को मजबूर किया जाए। तीसरा कारण यह है कि पाकिस्तान को अब यह समझ आ चुका है कि यह नया भारत है, जो ना तो झुकता है और ना ही आगे बढ़कर पाकिस्तान के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाएगा। साथ ही उल्टी सीधी हरकत करने पर घर में घुसकर मारता भी है। पौने तीन साल तक भारत की पहल का इंतजार करने के बाद पाकिस्तान को यह समझ आ चुका है कि भारत की ओर से कारोबारी पहल नहीं की जाएगी। साथ ही वह भारत की बढ़ती सामरिक व आर्थिक ताकत के साथ ही वैश्विक ताकत को भी पहचान चुका है। उसको यह भी पता चल चुका है कि भारत से वह युद्ध समेत किसी भी मोर्चे पर नहीं जीत सकता। उसको यह भी पता चल चुका है कि भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियां करके झुकाया नहीं जा सकता है, यही कारण है कि अब उसने कारोबारी रिश्तों के सहारे भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ाने का निर्णय लिया है। चौथा कारण है अमेरिका, जो रूस यूक्रेन युद्ध के दरमियान जान इस बात को अच्छे से जान चुका है कि यदि भारत के साथ संबंध रखने हैं तो बाराबरी का दर्जा देना होगा। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि अमेरिका ने भी पाकिस्तान को आगे बढ़कर भारत से रिश्ते सुधारने को कहा है। क्योंकि इंडो—पेसेफिक रीजन में अमेरिका को चीन से मुकाबला करने के लिए भारत की सख्त जरुरत है। यदि भारत व पाकिस्तान के बीच रिश्ते सहज रहेंगे, तो अमेरिका को भी फायदा होगा, क्योंकि चीन जैसा देश पाकिस्तान को कर्जजाल में फंसाकर गुलाम नहीं बना पाएगा, जो एशिया में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए बेहद जरुरी है। अमेरिका चाहता है कि भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सामान्य बनें, ताकि पाकिस्तान की चीन पर निर्भरता कम हो, जिससे वह भी पाकिस्तान में अपनी पकड़ बनाए रख सके। पांचवा कारण यह है कि चीन सीपीईसी जैसी बहुउद्देश्य योजना के जरिये पाकिस्तान को आर्थिक गुलाम बनाने पर तुला हुआ है। पाकिस्तान व भारत के कारोबारी रिश्ते नहीं होने के कारण पाकिस्तान को चीन या दूसरे देशों से महंगे सामान आयात करने पड़ते हैं, जिसके कारण उसका विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होता है और उसको कर्ज लेना पड़ता है। चीन इसका फायदा उठाता है और श्रीलंका व नेपाल की तरह पाकिस्तान को भी अपने कर्जजाल में फंसा लेता है। ​यदि पाकिस्तान पर चीन का कर्जा अधिक हुआ तो वह पाकिस्तान की सत्ता पर अधिपत्य जमा सकता है, इसलिए अमेरिका भी चाहता है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति सामान्य करने के लिए भारत के साथ उसके व्यापारिक संबंध फिर से कायम होने चाहिए। छठा कारण है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत की अबतक की सबसे मजबूत सरकार, जो पहले दोस्ती का हाथ बढ़ाती है और जब सामने से दुश्मनी कर पीठ में छुरा घोंपने का काम किया जाता है तो उसके साथ उसी तरह से बर्ताव करती है। भारत ने पठानकोट हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा अटैक के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देकर समझा भी दिया है। अब वह जमाना गया, जब पाकिस्तान भारत में आतंकी भेजता था और भारत अमेरिका के सामने गिड़गिड़ाता था। अब सरकार खुद निर्णय लेने व सख्त कार्रवाई करने में सक्षम है। इस बात को पाकिस्तान अच्छे से समझ चुका है। यही कारण है कि वह भारत से दुश्मनी रखकर अपना ही नुकसान नहीं करना चाहता है। इन्हीं कारणों से पाकिस्तान की सरकार ने करीब पौने तीन साल बाद अपनी ओर से बढ़कर फिर से व्यपार शुरू करने की पहल की है। एशिया महाद्वीप समेत पूरी दुनिया की अब इस बात पर नजर है कि मोदी सरकार क्या करती है? देखना यह है कि हैकड़ी निकालकर झुक चुके पाकिस्तान के प्रस्ताव पर मोदी सरकार सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाती है, या फिर उसे पूरी तरह से नाक रगड़ने को मजबूर करती है? हालांकि, जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद भारत अभी भी पाकिस्तान से पीओके वापस लेने का संकल्प भी लेकर बैठा है। ऐसे में मोदी सरकार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर वापस लेने तक सख्त रुख बरकरार रख सकती है।

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