पाकिस्तान बन जायेगा चीन का गुलाम

Ram Gopal Jat
याद कीजिए करीब चार सौ साल पहले कारोबार करने के लिए इस्ट इंडिया कंपनी भारत आई थी, और उसके बाद कैसे धीरे धीरे पैर पसारते हुए पूरे देश को गुलाम बनाया गया। उस गुलामी से मुक्ति पाने में देश को करीब 100 साल तक लड़ना पड़ा था। अब एक बार फिर से इस्ट इंडिया कंपनी की तरह से चीन ने पाकिस्तान में गुलामी का जाल फेंक दिया है। पहले से चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के नाम पर चीन द्वारा पाकिस्तान में करीब 60 बिलियन डॉलर का निवेश किया जा रहा है। उसके बाद पाकिस्तान में 5 लाख चीनी नागरिकोंं को बसाने के लिए एक अलग से पूरा शहर बसाया जा रहा है, जहां पर चीन के नियम, कायदे चलते हैं, साथ ही इस पूरे शहर में चीन की मुद्रा में ही लेनदेन किया जाता है। जब से चीन ने पाकिस्तान में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से ग्वादर बंदरगाह तक की इस योजना को शुरू किया है, तब से वहां के कल्चर में भी चीन की घुसपेठ हो चुकी है। बड़े पैमाने पर चीनी लोग पैसे देश पाकिस्तान की ल​डकियों से शादी करके अपने देश ले जा रहे हैं। एक बड़ा क्षेत्र विकसित कर दिया गया है, जहां पर केवल चीन का कानून चलता है, उसी की भाषा, उसी की मुद्रा और वहीं के नागरिक रहते हैं, इस क्षेत्र में पाकिस्तान का कोई हक नहीं है। एक तरह से कहें तो यह क्षेत्र ही पाकिस्तान ने चीन को बेच दिया है, जहां पर अब पाकिस्तान का कोई हक नहीं होगा। कहने को तो चीन ने पाकिस्तान में यह निवेश के नाम पर किया है, किंतु हकिकत यह है कि अब भविष्य में पाकिस्तान इस क्षेत्र पर कोई हक नहीं जता सकेगा। सीपीईसी के साथ ही चीन में बड़े प्लांट बनाने के सारे काम चीनी कंपनियों के पास आ गये हैं। अब पाकिस्तान का कोई भी बड़ा काम चीन की कंपनियां ही करेगी, दूसरे किसी देश की कंपनी हाथ नहीं डाल सकती, यानी चीन जब चाहे, तब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का धवस्त कर सकता है।
इसी सिलसिले में पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने जनवरी 2018 में चीन के साथ करार करते हुए चीन की मुद्रा युवान को पाकिस्तान के साथ एक्सचेंज के तौर पर स्वीकार कर लिया था। इसका मतलब यह था कि चीन व पाकिस्तान के बीच होने वाले द्विपक्षीय कारोबार के लिए डॉलर के बजाये केवल युवान ही काम लिया जाएगा। तभी से चीन की मुद्रा में ही दोनों देश व्यापार कर रहे हैं। वैसे तो पाकिस्तान से चीन केवल आयात ही करता है, लेकिन जो कुछ निर्यात करता है, वह भी युवान में ही भुगतान किया जाता है। वर्तमान में पाकिस्तान का रुपया दम तोड़ता जा रहा है। एक डॉलर की कीमत 200 पाकिस्तानी रुपये तक पहुंच चुकी है। एक तरफ जहां भारत सरकार अपने नागरिकों को डीजल पेट्रेाल व रसौई गैस में सब्सिडी देने का काम कर रही है, तो पाकिस्तान की सरकार ने साफ कर दिया है​ कि सभी प्रकार की सब्सिडी खत्म की जायेगी। पाकिस्तान के 45 दिन पुराने प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने देश को संबोधित करते हुये कहा है कि यदि सब्सिडी खत्म नहीं की गई, तो देश कंगाल हो जाएगा, मतलब यह कि पाकिस्तान भी श्रीलंका की तरह बर्बाद हो जायेगा। इससे पहले जब सरकार गिरने की नौबत आ रही थी, तब आईएमएफ द्वारा चेतावनी देने के बाद भी इमरान खान ने सरकार बचाने के लिए डीजल पेट्रोल की कीमतों को बढ़ाने के बजाये 10 रुपये कम कर देश को संकट में धकेलने में अहम भूमिका निभाई है।
चीन के कर्ज के जाल में पहले से ही फंसे पाकिस्तान को लेकर पिछले कई सालों से कहा जा रहा था कि आज नहीं तो कल पाकिस्तान चीन का इकोनॉमिक कॉलोनी, यानी आर्थिक गुलाम बन जाएगा और पाकिस्तान सरकार के कहने पर स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान को एक ऐसा फैसला करना पड़ रहा है, जो पाकिस्तान को चीन का इकोनॉमिक कॉलोनी बनने के एक कदम करीब और ला देगा। चीन के केंन्द्रीय बैंक ने पिछले दिनों पाकिस्तान को एक चिट्ठी लिखी है और पाकिस्तान को कहा है कि वो अब चीन के करेंसी में व्यापार और लेनदेन शुरू करे। चीन ने पाकिस्तान सरकार को जो चिट्ठी लिखी है, उसमें कहा गया है कि पाकिस्तान, चीनी मुद्रा में व्यापार और लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए आरएमबी कैपिटल सर्कुलेशन सिस्टम स्थापित करेगा या नहीं। चिट्ठी में कहा गया है कि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान, चीन के केन्द्रीय बैंक से बात करे और इस बाबत आगे की कार्यवाही शुरू करें। इस चिट्ठी के बाद पाकिस्तान सरकार ने वित्त मंत्रालय और केंद्रीय बैंक से चीनी अधिकारियों के प्रस्ताव की समीक्षा करने और व्यावहारिक कदम उठाने को कहा है। पाकिस्तानी अखबार ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक उम्मीद है कि जल्द ही इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति होगी और इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच औपचारिक बातचीत शुरू की जाएगी। चीन की करेंसी पिछले कई महीनों से गिर रही है और चीन की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हुई है, लिहाजा चीन ने अपना घर बचाने के लिए पाकिस्तान को 'बलि का बकरा' बनाने का फैसला कर लिया है। चीन के इस आदेश का पाकिस्तान के लिए मतलब है, कि अब पाकिस्तान जो भी इंटरनेशनल लेन देन करेगा, खरीद बिक्री करेगा, उसे वो चीन की करेंसी आरएमबी, यानी युवान में करना होगा। चीन ने इसके पीछे तर्क ये दिया है, कि अगर पाकिस्तान चीन की करेंसी में अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन करता है, तो उसकी करेंसी जो डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रही है, उसका गिरना बंद हो जाएगा और पाकिस्तानी रुपये का जो वैल्यू करीब 300 तक पहुंचने की आशंका है, वो 250 के आसपास रूक जाएगा।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमराई हुई है और देश को डिफॉल्टर होने से बचाने के लिए शहबाज शरीफ ने पेट्रोल की कीमत में 30 रुपये और बिजली दर में 7 रुपये की बढ़ोतरी की है। आर्थिक विशेषज्ञों ने आशंका जताई है, अगर पाकिस्तान एक बार भी अपने कर्ज का किश्त चुकाने में नाकामयाब रहता है, तो डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये का वैल्यू 350-400 को पार कर सकता है और चीन भी इस बात को अच्छी तरह से जानता है, लिहाजा पाकिस्तान के आपदा में चीन अपना अवसर तलाश रहा है। यहां एक चीज और जान लेना जरूरी है, कि चीन पाकिस्तान से सिर्फ ये नहीं कर रहा है, कि चीन-पाकिस्तान व्यापार में ही चीनी करेंसी का इस्तेमाल किया जाए, बल्कि चीन ने ये कहा है, कि पाकिस्तान भविष्य में किसी भी देश के साथ कोई लेन-देन क्यों वा करे, वो लेनदेन चीन की करेंसी में ही होगी। चीन ने पाकिस्तान को जो प्रस्ताव दिया है, उसके तहत पाकिस्तान को पहले फेज में अपने देश में चीन की करेंसी को लांच करना पड़ेगा। जिससे धीरे धीरे पाकिस्तान के कारोबारियों को चीन की करेंसी का वास्तविक वैल्यू पता चल सके और धीरे धीरे पाकिस्तान के व्यापारी अपने विदेशी लेनदेन में चीनी करेंसी इस्तेमाल करने का अभ्यस्त होने लगे। वहीं, दूसरे फेज में पाकिस्तान अपने हर विदेशी लेनदेन के लिए डॉलर को छोड़कर चीन की करेंसी युआन का इस्तेमाल करे। चीन ने कहा है कि, पाकिस्तानी करेंसी को 'चायना फॉरेन एक्सचेंज सिस्टम' के जरिए चीन की करेंसी में कन्वर्ट कर देगा और फिर उस करेंसी के जरिए पाकिस्तान अपना विदेशी लेनदेन करे।
चीन ने पाकिस्तान सरकार को कहा है कि, वो पाकिस्तानी मुद्रा और चीनी करेंसी में फ्री एक्सचेंज को स्वीकार करे और आरएमबी कैपिटल सर्कुलेशन के जरिए इसका मॉनिटर किया जाएगा। अपने आदेश में चीन ने पाकिस्तान से कहा है कि, इस कार्यक्रम के जरिए पाकिस्तान के सभी निवेशक चीन की करेंसी युआन में ही निवेश करेंगे। यानि, चीन के इस कार्यक्रम के जरिए पाकिस्तान की वित्तीय स्वायत्तता पूरी तरह से चीन के हाथों में चली जाएगी और चीन उसे डॉलर से पूरी तरह काट देगा। बेहद खराब आर्थिक संकट में फंसा पाकिस्तान चीन की बात मानने के लिए बाध्य है और धीरे धीरे चीन पाकिस्तान की पूरी वित्तीय प्रणाली को अपनी मुट्टी में ले लेगा। इस तरह से कहा जा सकता है, कि पाकिस्तान, चीन का पहला इकोनॉमिक कॉलोनी होगा। पाकिस्तान के बाजार में चीन का पूरा कंट्रोल हो जाएगा। यानि, जो पाकिस्तान कुछ साल पहले तक अमेरिका पर निर्भर था, वो पूरी तरह से चीन पर निर्भर हो जाएगा और इस फैसले के साथ ही पाकिस्तान की स्वायत्तता पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
कुल मिलाकर बात यही है कि आने वाले समय में पूरा पाकिस्तान चीन के कब्जे में होगा, जहां पर सरकार बनाना, बिगाड़ना और उसको चलाने का काम चीन में बैठी सरकार करेगी, जैसे गुलामी के समय भारत में ब्रिटेन द्वारा किया जाता था। चीन लगातार छोटे देशों को कर्ज के नाम पर अपनी इकॉनोमिक कॉलोनियां बनाने का काम कर रहा है। वह इसको लेकर श्रीलंका से लेकर बंग्लादेश और पाकिस्तान से लेकर इंडो​नेशिया तक अपनी इस पॉलिसी को लागू करने में जुटा हुआ है।

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