इजराइल तुर्की और ईरान को सिखायेगा सबक

Ram Gopal Jat
इज़राइल ने तुर्की में रहने वाले अपने नागरिकों को तुरंत देश छोड़ने को कहा है। इजराइल ने कहा है कि जो भी नागरिक इस वक्त इंस्तांबुल में रह रहे हैं, या वहां पर जाने का प्लान कर रहे हैं, वह अपना इरादा छोड़कर तुरंत वापस लौट आयें। इजराइल सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने ईरान के लिये चेतावनी के स्तर को बढ़ाकर 3 से 4 कर दिया है, जो सबसे अधिक है। इजरायलियों को स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वे तुर्की में किसी क्षेत्र का दौरा न करें और अगर वे पहले से ही अंदर हैं तो छोड़ दें। चेतावनी का स्तर चार है और इसको सबसे उच्च स्तर माना जाता है। स्तर-4 के तहत "उच्च खतरे" की चेतावनी वाले देशों में इराक, यमन, अफगानिस्तान और ईरान शामिल हैं। सवाल यह उठता है​ कि आखिर अचानक इजराइजल ने तुर्की को लेकर ऐसी चेतावनी क्यों दी है और इसके बाद क्या ईरान की तरफ से इजराइल के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जा सकती है? तमाम तरह के सवाल हैं, जो अमेरिका तक की नीयत पर सवाल उठाते हैं। आइये जानने का प्रयास करते हैं कि इजराल ने ऐसा क्यों किया है? किंतु उससे पहले पहले तुलनात्मक रुप से इजराल और ईरान की ताकत का अंदाजा लगा लेते हैं।
ईरान की मुद्रा रियाल है। इस देश की कुल करीब जीडीपी एक हजार बिलियन डॉलर है। ईरान दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस उत्पादक देश है, तो तीसरा सबसे बड़ा ऑयल रिजर्व देश। ईरान की सीमा 10 देशों से मिलती हैं, जिसमें आर्मेनिया, अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ओमान, यूएई, कुवैत, इराक और तुर्की हैं। ईरान दुनिया के महान योद्धाओं दानियल, साइरस महान, रानी ईस्थर, दारियस महान की धरती रहा है। ईरान क्षेत्रफल के मामले में दुनिया का 18वां सबसे बड़ा देश है और 80 मिलियन की आबादी के साथ जनसंख्या में भी दुनिया का 18वां देश है। ईरान में इस्लाम धर्म ही राजधर्म है। यहां शिया मुस्लिम ही बहुमत में हैं। शिया के बाद सुन्नी मुस्लिमों की सर्वाधिक आबादी है, तो यहूदी, इसाई और बहाई भी इरान में रहते हैं। ईरान की राजधानी का नाम तेहरान है। दूसरी ओर इजराइल की कुल जनसंख्या करीब 97 लाख है और भोगौलिक दृष्टि से यह दुनिया में 150वें नंबर पर आता है, जिसका कुल क्षेत्रफल महज 20772 वर्गकिलोमीटर है। इजराइल चारों तरफ से दुश्मन देशों से घिरा हुआ है। इजराइल की 75 फीसदी जमीन रेगिस्तानी है, जबकि एक बैरल भी तेल नहीं निकलता है। इजराइल के चारों ओर बसे देशों में तेल के अकूत भंडार हैं। इस देश के प्रत्येक नागरिक को सेना का प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है। लड़कियों को भी 18 साल की होते ही लड़कों की तरह कठोर मिल्ट्री ट्रेनिंग दी जाती है। इजराइल का सबसे घनिष्ठ मित्र अमेरिका है, जो हर समय उसकी मदद करने को तैयार रहता है। इस्लाम के नाम पर इजराइल हमेशा खाड़ी देशों के निशाने पर रहता है, जबकि उसकी खुफिया एंजेंसी मौसाद को दुनिया सबसे खूंखार एजेंसी माना जाता है। इजराइल दुनिया के किसी भी देश में बसे यहूदियों को अपना नागरिक मानता है, और उनपर होने वाले आक्रमण को खुद के उपर मानते हुये सजा देता है। कहा जाता है कि मौसाद अपने नागरिकों की मौत का बदला लेने के लिये किसी भी देश में घुसकर अभियान को अंजाम दे डालती है।
बात इजराइल द्वारा तुर्की में अपने नागरिकों को जाने से इनकार किये जाने की हो, तो उसने कहा है कि इंस्तांबुल में इजरायल के लोगों को नुकसान पहुंचाने के ईरानी इरादों के बढ़ते खतरे के बीच चेतावनी का स्तर बढ़ाया गया है। इजराइल के विदेश मंत्री यायर लैपिड ने तुर्की में इजरायलियों से तुरंत लौटने और नागरिकों से देश की यात्रा योजनाओं को रद्द करने का आह्वान किया है। यदि कोई पहले से ही इस्तांबुल में हैं, तो जल्द से जल्द इज़राइल लौट आएं, यदि किसी ने इस्तांबुल की यात्रा की योजना बनाई है तो इसे रद्द कर दें। टर्की की कोई भी यात्रा लोगों के जीवन को जोखिम में डाल सकती है। इजरायल और तुर्की सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले महीने तुर्की में इजरायली पर्यटकों के अपहरण की एक ईरान की साजिश को नाकाम कर दिया था। इज़राइली सुरक्षा संगठन, विदेश मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय समेत सभी स्तर पर बड़े पैमाने पर प्रयास किये जा रहे हैं, जिसने इज़राइली लोगों को बचाया जा सके। सरकार के प्रयासों के कारण इजराइली लोगों ने तुर्की को छोड़ना शुरू कर दिया है। इजराइल का कहना है कि ईरानी एजेंट अभी भी तुर्की में रह रहे इजरायलियों की हत्या या अपहरण की कोशिश कर रहे हैं।
इजराइल मानता है कि तुर्की का पर्यटन दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन वे यह भी समझते हैं कि ऐसे जोखिम हैं जो नहीं उठाने चाहिए। उसका यह भी कहना है कि इसके बाद भी अगर ईरानी एजेंट्स इजरायल को नुकसान पहुंचाने में सफल रहते हैं, तो इजरायल ईरान के खिलाफ सख्त जवाबी कार्रवाई करेगा। हिब्रू मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इजरायल और तुर्की की सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले महीने तुर्की में इजरायली पर्यटकों के अपहरण की एक ईरानी साजिश का खुलासा किया था, जिसको समय रहते नाकाम कर दिया गया था। इजरायली सुरक्षा अधिकारियों ने तुर्की में अपने समकक्षों को योजना के बारे में बात कर हमले को विफल करने के लिए कार्रवाई करने को भी कहा है। इजराइल का कहना है कि तुर्की में में अभी भी ईरानी सेल है। मोसाद और तुर्की सुरक्षा एजेंसियों के बीच सहयोग चल रहा है और संभावित हमलों को विफल करने के लिए इजराइल ने योजना बना ली है। इजराइल ने पिछले महीने तुर्की के लिए यात्रा करने वालों की चेतावनी को 3 से 4 के स्तर पर ले लिया है। इजराइल का कहना है कि वहां और आसपास के देशों में "ईरानी आतंकवादी गुर्गों" से इजरायलियों के लिए खतरा है। चेतावनी के बाद इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के एक वरिष्ठ अधिकारी कर्नल हसन सैय्यद खोदैई की हत्या कर दी गई, जिसके लिए ईरान ने इस्राइल पर आरोप लगाया था।
22 मई को तेहरान के मध्य में मोटरबाइकों पर दो अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा खोदेई को उनकी कार में पांच बार गोली मारकर हत्या कर दी थी। बताया जाता है कि वह कथित तौर पर ईरान के बाहर हत्याओं और अपहरणों में शामिल था, जिसमें इजरायल के लोगों को निशाना बनाने के प्रयास भी शामिल थे। इजरायल के राजनयिक मिशन अलर्ट पर हैं। ईरान से हत्या का बदला लेने की उम्मीद है, इसलिये इजराइल ने अपने यह अलर्ट जारी किया है। लैपिड की टिप्पणी से कुछ समय पहले ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सईद खतीबजादेह ने कहा कि इस्लामिक गणराज्य इजरायल के खिलाफ जो भी "प्रतिक्रिया" करेगा, वह इजरायल के अंदर होगी, अगर हम इजरायल की गतिविधियों का जवाब देना चाहते हैं, तो हमारा जवाब उसके स्थान पर दिया जाएगा, न कि किसी तीसरे देश में, यानी ईरान ने साफ कर दिया है​ कि उसकी तरफ से इजराइल के लोगों पर तुर्की में हमला नहीं किया जायेगा। ईरान ने इजराइल की चेतावनी के बाद यह भी कहा है कि यदि उसके खिलाफ इजराइल की ओर से कार्रवाई की जायेगी, तो उसका उचित जवाब दिया जायेगा।
ईरान ने आरोप लगाया है कि मारा गया खोदेई कुद्स फोर्स में एक अन्य अधिकारी है, जो आईआरजीसी के विदेशी संचालन की देखरेख करता था और उसकी संदेहास्पद परिस्थितियों में मृत्यु हो गई थी, क्योंकि एक सैन्य साइट पर एक इंजीनियर और एक वैज्ञानिक था, जो मिसाइलों और ड्रोन विकसित करने में शामिल था। इज़राइल का मानना ​​​​है कि ईरानियों के पास इस समय इजरायल के खिलाफ एक्शन लेने के कई बहाने हैं। आईआरजीसी इजराइल से विदेशी सीमाओं से अवरोध को हटाने की मांग कर रहा है। मामला इजराइल और ईरान के बीच का है, लेकिन क्योंकि इजराइल के नागरिक तुर्की में घूमने—फिरने के लिहाज से जाते हैं, जहां पर ईरान के ऐजेंट्स उनको निशाना बनाते हैं। इसलिये इजराइल ने अपने लोगों को तुर्की छोड़ने को कहा है। असल में ईरान समेत तकरीबन सभी इस्लामिक देश हमेशा ही इजराइल के दुश्मन रहे हैं, जिसका कारण फिलीस्तीन है, जहां पर गाजा पट्टी पर कब्जे को लेकर इजराइल व मुस्लिम देशों के बीच युद्ध चलता रहता है।
दुनिया में सबसे अधिक महंगाई से जूझ रहा तुर्की अब परोक्ष रुप से इजराइल के निशाने पर है। ईरान व तुर्की में वैसे तो कोई दोस्ती नहीं है, लेकिन इ्स्लाम के नाम पर दोनों एक हो जाते हैं। यह भी जोरदार बात है कि तुर्की जहां अमेरिका का पिट्टू देश है, तो ईरान पर अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं। भारत की बात करें तो उसकी ईरान से अच्छी मित्रता है, दुनिया में ईरान का भारत ही सबसे अच्छा मित्र है, जबकि तुर्की हमेशा भारत के खिलाफ गतिविधियों में शामिल रहता है। भारत व इजराइल के बीच भी गहरी मित्रता पनप चुकी है, इसलिये इजराइल हमेशा भारत का सहयोग करने को तैयार रहता है।

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