मोदी सरकार सेना को ठेके पर देने जा रही है?

Ram Gopal Jat
मोदी सरकार द्वारा तीन दिन पहले लॉन्च की गई अग्निपथ योजना को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है। गुरुवार को दूसरे दिन भी देश के सात राज्यों में 5 ट्रेनों को फूंक दिया गया, जबकि हजारों वाहनों को दो दिन में आग के हवाले कर दिया गया है। सरकार युवाओं इस योजना को लाभ बताने के तमाम प्रयास कर रही है, लेकिन जिस तरह से सरकार किसानों को तीन कृषि कानूनों के फायदे नहीं बता पाई, सीएए को लेकर मुस्लिम समाज को नहीं समझा पाई, ठीक उसी तरह से सेना भर्ती के नये मॉडल अग्निपथ योजना को लेकर देशभर में युवाओं को फायदे नजर नहीं आ रहे हैं। आखिर क्या अग्निपथ योजना और क्या इस योजना से युवाओं को अपराध के रास्ते भेजने का प्रयास किया जा रहा है? क्या इस योजना से भारतीय सेना को भी ठेके पर देने की योजना है? क्या इस योजना की वजह से भारत की अर्दसैनिक बलों और पुलिस को मजबूती मिलेगी? क्या सरकार सेना का बजट कम करने के लिये देश के यूथ के भविष्य के साथ खिलावाड़ कर रही है? क्या युवाओं को प्रशिक्षित कर स्व रोजगार के लिये तैयार किया जा रहा है? क्या हिंदू युवाओं को सेना के द्वारा ट्रेंड कर आने वाले समय में गृहयुद्ध से निपटने की तैयारी की जा रही है? और क्या एक बार फिर से भारत का युवा विदेश टूलकिट का हिस्सा बन रहा है? इन सभी सवालों के जवाब जानेंगे, लेकिन उससे पहले इस योजना के फायदों के बारे में बात कर लेते हैं।
अग्निपथ योजना के तहत अगले 90 दिन के भीतर सेना भर्ती शुरू हो जायेगी। सेना में भर्ती के लिये 17.5 से 21 साल उम्र सीमा रखी गई है। साल में दो बार भर्ती होगी और हर साल 45 से 50 हजार तक सैनिक भर्ती किये जायेंगे, जिनको अग्निवीर नाम दिया गया है। इनको अगले 6 महीनें तक सेना की कठोर ट्रेनिंग दी जायेगी। उस दौरान भी उनको 30 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन मिलेगा। इसके बाद उनको सेना ज्वाइन करनी होगी। दूसरे साल 33 हजार रुपये महीना, तीसरे साल 36 हजार रुपये और चौथे साल 40 हजार रुपये महीना वेतन मिलेगा। इस तनख्वाह में से 30 फीसदी कटौती होगी, और इतना ही पैसा केंद्र सरकार सेवानिधि में देगी। यह पैसा चार साल बाद 11.71 हजार रुपये होंगे। सेना में चार साल सेवा देने के दौरान उनको सर्टिफिकेट कोर्स करवाये जायंगे। चार साल बाद युवाओं की सेवा समाप्त होगी, तब उनको 11.71 लाख रुपये एकमुश्त दिये जायेंगे। इसके साथ ही इनमें से 25 फीसदी टॉप क्लास अग्निवीरों को वापस बुला लिये जायेंगे। यानी चार साल बाद हर साल जहां 50 हजार सैनिक सेना में जायेंगे तो साथ ही 40 हजार सैनिक रिटायर हो जायेंगे। अभी भारतीय सेना की औसत उम्र 36 साल है, जो चार साल बाद 23 साल हो जायेगी।
केंद्र सरकार द्वारा योजना लॉन्च करने के बाद भाजपा सरकारों ने तुरंत अपना रियेक्शन दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि जो अग्निवीर सेना से आयेंगे, उनको पुलिस व अन्य सरकारी सेवाओं में वरियता दी जायेगी। इसके साथ ही गुजरात, आसाम, हरियाणा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड़ में भी सरकार पुलिस सेवा में वरियता देने का वचन दिया है। खुद गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि जो भी अर्दसैनिक बल हैं, उनकी भर्तियों में अग्निवीरों को वरियता दी जायेगी। मतलब यह है कि सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ और दिल्ली पुलिस में इनको प्राथमिकता दी जायेगी। संख्या के हिसाब से बात की जाये तो जितने अग्निवीर हर साल सेना से लौटकर आयेंगे, उससे अधिक तो राज्यों में पुलिस की डिमांड रहती है। साथ ही राज्य सरकारों ने कहा है कि इन अग्निवीरों को अन्य सरकारी सेवाओं में प्राथमिकता दी जायेगी, तो फिर इतना बवाल किस बात का है?
हमने सोशल मीडिया के माध्यम से अग्निपथ योजना को लेकर आम लोगों की प्रतिक्रियाएं जानने की कोशिश की है। इससे देश की जनता की राय निकलकर सामने आ रही है। लोगों ने इस योजना के पक्ष में अपनी प्रतिक्रया दी है, तो बहुत लोगों ने डर भी जताया है। इसके साथ ही कुछ लोगों का मानना है कि इस योजना में सेवा अवधि को 15 साल किया जाना चाहिये। कुछ लोगों का कहना है कि योजना की वजह से मोदी सरकार भारत की सेना को ठेके पर देने का काम शुरू कर रही है। लोग यह भी राय दे रहे हैं कि यदि अग्निवीर तैयार हो सकते हैं तो फिर सदनवीर भी तैयार किये जाने चाहिये, ताकि 2 साल बाद उनको रिटायर कर दिया जाये और पेंशन भी नहीं दी जाये। युवाओं का कहना है कि पिछले दो साल से सेना भर्ती नहीं हुई है, जिसके कारण आयुसीमा में छूट मिलती, लेकिन इस योजना से नहीं मिलेगी। आर्मी और एयरफोर्स की जिन्होंने परीक्षा दे रखी थी, उनका परिणाम नहीं आया है, तो वे युवा सेना भर्ती से बाहर हो जायेंगे। एक बार नौकरी लगने के बाद युवा अपना रोजगार करने जैसा नहीं रहेगा, क्योंकि उसके अंदर सैनिक के भाव पैदा हो जायेंगे। सेना के लिये अभी जो मान सम्मान है, वह अग्निवीरों की वजह से कम हो जायेगा। सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि जब अडानी को एयरपोर्ट 50 साल के लिये दिया जा सकता है, तो सैनिक को नौकरी केवल 4 साल क्यों? लोगों का यह भी कहना है कि सेना की ट्रेनिंग लेकर निकलने वाला युवा अपराध की दुनिया में चला गया तो बहुत घातक साबित होगा। कोई आतंकी रास्ते पर चला गया तो सेना के लिये मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
इसके साथ ही सोशल मीडिया के जरिये लोगों ने इस योजना के फायदे भी बताये हैं। कुछ लोगों का कहना है कि जब बच्चा तैयार होता है, तब तक उसकी सेना में जॉब लग जायेगी, जब वह शादी के योग्य होगा, तब उसके हाथ में 12 लाख रुपये होंगे और सेना के प्रमाण पत्र होगा, जिससे वह अर्दसैनिक या पुलिस भर्ती में वरियता पा सकेगा। सेना में जाने के कारण जो युवा बेरोजगार होकर गलत संगत में लग जाते हैं, उनको शरीरिक फिटनेश का महत्व पता चलेगा, जीवन में यही फिटनेस उसके काम आयेगी। अग्निवीरों को बैंक लोन देंगे, जिससे वो अपना बिजनेस बढ़ा सकेंगे। जब युवा काम करने या शादी की उम्र में आयेगा तब उसको अपना काम करने के लिये हाथ में पैसा होगा, अन्य नौकरी के लिये सर्टिफिकेट होगा और काम करने का अनुभव होगा, जिससे वह पुलिस सेवा या अर्दसैनिक बलों में भर्ती हो सकेगा। सरकार का कहना है कि वर्तमान सैनिक भर्ती की संख्या को बढ़ाकर चार गुणा किया गया है, पद कम नहीं किये गये हैं। कुछ लोगों की प्रतिक्रिया है सरकार इस योजना के जरिये लोगों को घर से उठाकर सैनिक नहीं बनायेगी, जिसको सेना में जाना है, जाये, जिसको नहीं जाना है, नहीं जायें। इसके साथ ही लोगों का यह भी मानना है कि सेना हर साल 50 हजार युवा तैयार करेगी, जो कभी गृहयुद्ध या सीमा पर किसी दुश्मन देश से युद्ध के समय आसानी से अपनी सेवाएं दे सकेंगे। स्थानीय पुलिस को प्रशिक्षित युवा मिलेंगे, जो बेहतर तरीके से सेवा दे पायेंगे। इसी तरह से देश में युवा बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण के जरिये दूसरी सेवाओं में जायेंगे, तो कभी भी उनको शरीरिक समस्याओं की दिक्कत नहीं आयेगी। सबसे अच्छी बात यह है कि सेना में ड्यूटी करते हुये अग्निवीर आगे की पढ़ाई भी कर पायेंगे, जो कई बार आर्थिक रुप से कमजोर होने के कारण नहीं कर पाते हैं। वैसे भी युवा 24 साल की उम्र में तो सामान्यत: राज्यों की नौकरियों के लिये आवेदन करने योग्य होते हैं, तो फिर इसका विरोध करने का क्या औचित्य है?
अब इसके दूसरे पहलू पर भी विचार करने की जरुरत है। इस वक्त भारतीय सेना का सालाना बजट करीब 5 लाख करोड़ रुपये है। भारत सरकार हर साल अपनी जीडीपी का करीब 2.5 फीसदी सेना पर खर्च करती है। भारत बीते आठ साल से विदेशी आयात कम कर रहा है, तो साथ ही भारत में ही सेना के लिये अत्याधुनिक हथियार बनाने के कारखाने स्थापित किये जा रहे हैं। भारत बीते चार साल में करीब 11 फीसदी आयात कम कर चुका है, जो आने वाले एक दशक में 50 फीसदी से नीचने लाने का लक्ष्य है। इसके लिये बजट की जरुरत है, जबकि भारत के पास निष्क्रिय सेना बड़े पैमाने पर मौजूद है, जिनमें से हजारों सैनिक हर साल बिना कुछ किये ही रिटायर हो रहे हैं।
इस समय दुनिया की सबसे शक्तिशाली सेना अमेरिका की मानी जाती है, जिसकी संख्या भारत से आधी भी नहीं है। भारत के पास दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्मी है। संख्या के हिसाब से चीन की सेना सबसे बड़ी आर्मी है। वैसे इजराइल अपने सभी नागरिकों को सेना की ट्रेनिंग देता है, तो लोगों का यह भी मानना है कि भारत सरकार अपने युवाओं को बाहरी आक्रमण या फिर गृहयुद्ध जैसे हालात से निपटने के लिये तैयारी की जा रही है। चाहे जो भी हो, लेकिन जिस तरह से हिंसात्मक प्रदर्शन किया जा रहा है, उससे उन्हीं युवाओं पर पुलिस केस लगाने का काम करेगा, जो सेना में जाने के इच्छुक हैं, लेकिन इस मुकदमों की वजह से कभी नहीं जा पायेंगें सरकार का कहना है कि जिस तरह से किसान आंदोलन में, उससे पहले सीएए के विरोध में विदेशी टूल किट ने देश में हिंसा फैलाने का काम किया है, उसी तरह से इस योजना के बहाने देश को हिंसा की आग में धकेलने का काम किया जा रहा है।

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