मोदी सरकार पाकिस्तान के टुकड़े कर बचायेगी कश्मीर

Ram Gopal Jat
इन दिनों कश्मीर में फिर से पलायन शुरू हो गया है। करीब 32 साल पहले भी इसी तरह से पलायन हुआ था, तब कश्मीरी पंड़ितों को भागने के लिये मजबूर किया गया था, अब भी इसी तरह से डराया जा रहा है, ​फर्क सिर्फ इतना है कि अभी वहां पर बहुत कम हिंदू हैं, जिनको चुन चुनकर टारगेट किया जा रहा है। बीते एक माह में 8 हिंदूओं को टारगेट किया गया है। सरकार ने इसके चलते कश्मीर में काम करने वाले हिंदू अधिकारियों व कर्मचारियों को हैडक्वार्टर ट्रांसफर कर दिया है। पूरी घाटी में एक बार फिर से दहशत का माहौल है। अधिकांश लोग या तो घाटी से निकल गये हैं, या निकलने का काम कर रहे हैं। मोदी सरकार में गृहमंत्री अमित शाह से लेकर एनएसए अजीत डोभाल, सेना प्रमुख की और रॉ प्रमुख की कई दौर की बैठक हो चुकी हैं, लेकिन अभी भी रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जो मोदी सरकार कश्मीर से बिना किसी खून खराबे के धारा 370 को हटा सकती है, वह इतनी कमजोर कैसे साबित हो रही है? आखिर क्या वजह है कि अचानक से कश्मीर में फिर से हिंसा अपना उग्र रुप दिखाने लगी है? क्या पाकिस्तान से भारत में आने वाले आंतकी फिर से शुरू हो गये हैं? आखिर क्या है कश्मीर पर मोदी सरकार का प्लान? क्या अमित शाह, अजीत डोभाल जैसे चाण्क्य मोदी सरकार को विफल साबित होने से बचा पायेंगे। इन्हीं सवालों के जवाब जानने का प्रयास करते हैं।
अब से करीब 32 साल पहले जब कश्मीर में पंड़ितों पर इस्लामिक अत्याचार हुये तो केंद्र में ढुलमुल सरकार थी, जम्मू कश्मीर में इस्लामिक सोच वाले फारुख अब्दुलाह की सरकार थी, जो हिंदूओं को सुरक्षा नहीं दे पाई। मजबूरन रातों रात करीब 5 लाख हिंदूओं को अपनी संपत्ति छोड़कर वहां से भागना पड़ा। इस जिहाद में करीब 3500 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया और फिर तीन दशक तक उनके अनवरत संघर्ष की दास्तां शुरू हुई। उनकी ना केंद्र सरकार ने सुनी, ना सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की और ना ही किसी राजनीतिक दलों ने आंसू पौंछने का काम किया। भाजपा लगातार कहती रही कि सरकार बनेगी तो धारा 370 हटायेंगे और कश्मीरी पंड़ितों को फिर से अपने घरों में बसायेंगे। साल 2014 मेें भाजपा पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई तो कश्मीरी पंड़ितों को न्याय की उम्मीद जगी, लेकिन पांच साल में भाजपा ने कभी भी इसको लेकर काम नहीं किया, उल्टा पीडीपी के साथ सरकार बनाकर बेघर पंड़ितों के घावों पर नमक छिड़कने का काम किया। इसके बाद 2019 में मोदी की दूसरी लहर आई और भाजपा ने पहले के मुकाबले 21 सीटें ज्यादा पाकर दुबारा सत्ता प्राप्त की। इस बार कड़ी आलोचना वाले राजनाथ सिंह के बजाये कड़क मिजाज अमित शाह देश के गृहमंत्री बने और शुरुआत में ही दिखा दिया कि सरकार कुछ बड़ा करने वाली है। पहले तीन तलाक को निपटाया, फिर धारा 370 को जमींदोज किया और सीएए कानून में संशोधन कर अपनी ताकत का अहसास करवाया। लोगों ने अमित शाह को सरदार पटेल का अवतार घोषित कर दिया, लेकिन अमित शाह और मोदी सरकार की असली परीक्षा होनी बाकी थी। सरकार ने तीसरा बड़ा कदम उठाते हुये तीन कृषि कानून बनाकर किसानों को राहत देने का प्रयास किया, लेकिन पंजाब में खालिस्तानी समर्थकों की लगाई आग से किसानों को आंदोलन शुरू हो गया। दिल्ली की सीमाओं पर लगातार 13 महीने तक आंदोलन चला और आखिर सरकार को देश सुरक्षा को ध्यान में रखते हुये तीनों कानून वापस लेने पड़े। मोदी ने इशारों ही इशारों में बता भी दिया कि कानून वापस लेने का कारण किसान आंदोलन नहीं है, बल्कि इस आंदोलन की आड़ में देश तोड़ने की साजिश है, जिसके कारण एक मजबूत सरकार को मजबूर होना पड़ा है। और यहीं से वह सिलसिला शुरु हुआ, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। सरकार एक ओर मोटा निवेश कर कश्मीर को फिर से स्वर्ग बनाने का काम कर रही थी, तो दूसरी तरफ पाकिस्तान परस्त आतंकी तीन कृषि कानूनों की वापसी की तरह ही धारा 370 फिर से लागू करने के सपने देखते हुये अपनी साजिश में लगे थे।
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अक्टूबर के महीने में ही आईएसआई, आतंकी और पाकिस्तानी आर्मी ने एक अहम मीटिंग की थी, जिसमें तय हुआ था कि कश्मीर में दहशत फैलाने के लिये 200 लोगों की हत्या की जायेगी। कहा जाता है कि इससे पहले 90 के दशक में भी इसी तरह से 300 लोगों की हत्या का टारगेट था, जिसमें वो कामयाब हुये। इस बार अब तक 20 लोगों जान जा चुकी है और ताकतवर सरकार के प्रधानमंत्री और आधुनिक सरदार पटेल के उपर सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में क्या मोदी सरकार कोई बड़ा प्लान करने जा रही है, यही सबसे बड़ा सवाल है? सरकार लगातार कश्मीर में विश्वास और रोजगार के साथ विकास करने पर जोर दे रही है, लेकिन उसको कहां पता था कि पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आयेगा। कुत्ते की पूंछ सीधी हो तो पाकिस्तान सुधरे? आज पाकिस्तान में खाने को दाने नहीं हैं, गाड़ी में डालने को पेट्रोल नहीं है, विदेश से सामान खरीदने के लिये पैसे नहीं है, लेकिन वह अपनी आतंकी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान के वर्तमान हालात और भविष्य की तस्वीर को पिछले दिनों एक टीवी इंटरव्यू में पूर्व पीएम इमरान खान साफ कर चुके हैं। फिर भी ऐसा क्या कारण है कि वह सुधरना नहीं चाहता है। असल बात यह है कि पाकिस्तान में ऐसा नेरेटिव सेट कर दिया गया है कि जो भी पार्टी सत्ता में रहेगी, उसको भारत के टुकड़े करने की शपथ लेनी ही होगी, उसको इसके लिये प्रयास करने ही होंगे। वहां के लोगों की मानसिक भूख तभी शांत होती है, जब पाकिस्तान का नेता भारत को कोसते हुये भाषण देता है।
हालांकि, भारत को तोड़ने का सपना देखते देखते पाकिस्तान खुद टूटने पर आ गया है। इमरान खान ने वास्तविक तस्वीर दिखाई है कि भारत, अमेरिका व इस्राइल मिलकर पाकिस्तान के तीन टुकड़ करने का प्लान तैयार कर चुके हैं। इस बात में सच्चाई इ​सलिये दिखाई दे रही है, क्योंकि पाकिस्तानी आर्मी के पास पैसे खत्म् हो गये हैं, बलूच प्रांत में सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज होते जा रहे हैं, वहां के लोग अलग देश की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी ओर गिलगिट के लोग भी खुद को पाकिस्तानी कहलवाना पसंद नहीं करते हैं। उपर से भारत की पीओके लेने की शपथ के कारण पाकिस्तान की हालत जरजर हो गई है। आर्थिक बदहाली इतनी खतरनाक है कि पेट्रोल खरीदने को पैसे नहीं है, बिजली के बिल भरने के लिये रुपये उधार लेने पड़ते हैं, और उपर से चीन ने सीपेक में निवेश के नाम पर पाकिस्तान को आर्थिक रुप से तकरीबन हड़प ही लिया है। भारत सरकार की मजबूती यह है कि वह तीन मोर्चों पर बराबर जीत हासिल कर रही है। देश में शांति कायम कर रिकॉर्ड विदेशी निवेश ला रही है, तो वैश्विक समुदाय में सबसे बड़े पंच बने फिर रहे अमेरिका को उसी की भाषा में जवाब दिया जा रहा है, जबकि चीन को भी सीमापार से हरकत करने से पहले सात बार सोचना पड़ रहा है। अमेरिका के बार—बार आंख दिखाने के बाद भी भारत ने रूस से करीब 2 बिलियन डॉलर का सस्ता कच्चा तेल खरीदा है, जिसके पाकिस्तान आज भी सपने देख रहा है, जबकि रूस ने साफ कर दिया है कि वह भारत को सहायता देने के लिये आधी रात को भी तैयार बैठा है। दूसरी ओर वही अमेरिका, जो कभी भारत पर प्रतिबंध लगाता था, आज भारत को धरती पर सबसे अच्छा दोस्त बनाने के दावे कर रहा है, तो चीन भी भारत के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल पा रहा है।
ऐसे में कुछ हत्यायें कर आतंकी या पाकिस्तानी यह समझ रहे हों, कि कश्मीर में फिर से 90 को दौर शुरू कर देंगे, तो यही उनकी सबसे बड़ी भूल साबित होने वाली है। क्योंकि मोदी सरकार जब कुछ बड़ा करती है, तो उससे पहले इसी तरह से पीछे हटती हुई नजर आती है। इस वक्त भी कुछ बेगुनाहों की हत्याएं कर पाकिस्तान परस्त और आतंकी यही सोच रहे हैं कि वो जीत गये हैं, जबकि असली खेल तो अभी बाकी है। आश्चर्य में मत करना कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान में कोई बड़ा धमाकेदार उलटफेर हो जाये और आतंकियों के साथ भारत में बैठे उनके दोस्त भी हत्प्रभ रहे जायें।

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