यूएई, सिंगापुर, भूटान के बाद फ्रांस ने भी यूपीआई और रुपे कार्ड को स्वीकारा

Ram Gopal Jat
भारत सरकार के यूपीआई सिस्टम और रुपे कार्ड को अब फ्रांस जैसे शक्तिशाली और सुरक्षा उपकरण बनाने वाले तकनीकी देश ने भी स्वीकार किया है। इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात, सिंगापुर और भूटान भारत के इस सबसे बेहतरीन डिजीटल सिस्टम को काम ले रहे हैं। भारत सरकार और फ्रांस के बीच इसको लेकर एमओयू हो गया है, अब आप यदि फ्रांस जाते हैं, और वहां की मुद्रा आपके पास नहीं है, तो चिंता करने की जरुरत नहीं, क्योंकि आपके मोबइल एप्प या फिर आपको बैंक के रुपे कार्ड से ही भुगतान हो जायेगा। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, यानी UPI और रुपे कार्ड जल्द ही फ्रांस में स्वीकार किए जाएंगे, क्योंकि एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड, यानी NPCIL ने है कि उसने फ्रांसीसी भुगतान सेवा कंपनी लाइरा नेटवर्क के साथ समझौता, यानी एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं।
इससे पहले एनपीसीआई ने अमेरिका की डिस्कवर फाइनेंशियल सर्विसेज, भूटान की रॉयल मॉनेटरी अथॉरिटी, जापान के जापान क्रेडिट ब्यूरो और सिंगापुर के नेटवर्क फॉर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर सहित फर्मों के साथ साझेदारी के बाद भारत के बाद रुपे कार्ड और यूपीआई का नया विकास किया है। एनपीसीआई इंटरनेशनल ने फ्रांस में यूपीआई और रुपे कार्ड लॉन्च करने के लिए लाइरा नेटवर्क के साथ साझेदारी की है। भुगतान विभाग की मूल कंपनी ने ट्विटर पर खुलासा किया। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि भारत को प्रति माह 5.5 बिलियन यूपीआई लेनदेन करने पर विचार करते हुए यह रणनीतिक साझेदारी निश्चित रूप से डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में गेम-चेंजर साबित होगी।
भारत और फ्रांस के बीच यह साझेदारी यूपीआई को दुनिया के लिए उपलब्ध कराने की दिशा में एक कदम होगा। एनपीसीआई बोर्ड और भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2020 में देश के बाहर यूपीआई और रुपे से लेने देने के विस्तार करने के लिए एनपीसीआई की सहायक कंपनी के रूप में एनआईपीएल की स्थापना की थी। तब से वैश्विक इकाई ने एनपीसीआई के डिजिटल भुगतान उत्पादों को विकसित करने के लिए विभिन्न देशों में विभिन्न संगठनों भुगतान नेटवर्क और बैंकों के साथ करार किया है। पिछले साल जुलाई में एनआईपीएल ने देश में क्यूआर आधारित यूपीआई लेनदेन को सक्षम करने के लिए भूटान के केंद्रीय बैंक आरएमए के साथ भागीदारी की थी। यह भूटानी बाजार में एनआईपीएल का विस्तार था, क्योंकि यह पहले रुपे कार्ड स्वीकार और जारी कर रहा था।
इसका मतलब यह है कि अब अगला कदम रूस में होगा। क्योंकि रूस काफी समय से इस प्रयास में है कि भारत का यूपीआई सिस्टम उनको मिले, ताकि वैश्विक लेनदेन में आसानी हो सके। खासकर जब से यूक्रेन के साथ विवाद हुआ है और अमेरिका ने उसपर प्रतिबंध लगाये हैं, तब से यूपीआई की अधिक जरुरत पड़ी है। असल में यूपीआई जैसा सिस्टम दुनिया में केवल भारत के पास ही है, जिससे विश्व का सबसे बड़ा डिजिटल भुगतान हो रहा है। भारत में जिस तेजी से डिजिटल भुगतान हो रहा है, उससे ऐसा लगता है कि आने वाले एक दशक में नोटों की जरुरत ही खत्म हो जायेगी।
यही वजह है कि दुनिया के विकासित और तकनीकी तौर पर काफी मजबूत कहे जाने वाले देश आज भारत के यूपीआई को लेने के लिये लालायित नजर आ रहे हैं। भारत ने साफ कर दिया है कि जिसको भी इस सिस्टम की जरुरत होगी, भारत उसके लिये तैयार रहेगा। भारत ने कहा है कि दुनिया की भलाई के लिये वह आगे बढ़कर मदद करने को तैयार है। अमेरिका, यूरोप और दक्षिण एशिया में इस सिस्टम को जल्द ही लॉन्च किया जायेगा।

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