मोदी ने 2024 के लिये तय किया 400 सीटों का लक्ष्य, इस तरह साधेंगे समीकरण

Ram Gopal Jat
कहते हैं भाजपा अपने विपक्षी दलों से पांच साल आगे की प्लानिंग बनाकर चलती है। यही कारण है कि जब भाजपा मोदी सरकार कोई कानून बनाकर देश के सामने रखती है, तो उससे पहले उसको लागू करने की योजना को भी मूर्त रुप दे चुकी होती है। जब तब विपक्ष योजना या कानून को समझ पाता है, तब तक सारा खेल खत्म हो चुका होता है। इसलिये आज भाजपा देश में साल दर साल और मजबूत होती जा रही है। चार दशक पहले जन्मी भाजपा को कभी गांवों में तो कभी दक्षिण भारत में और कभी उत्तरी—पूर्वी राज्यों में अछूत माना जाता था, लेकिन आज यह भगवा पार्टी देश के कोने—कोने में छाई हुई है। यहां तक कि उत्तर—पूर्व के इसाई राज्यों में भी भाजपा की सरकारें हैं, तो वामपंथियों का गढ़ रहे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी को टक्कर दे रही है।
मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2014 का चुनाव लड़ा था, तब शायद कांग्रेस ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि ब्रांड मोदी के आगे डेढ सौ साल पुरानी पार्टी दम तोड़ती नजर आयेगी। याद कीजिये जिस दिन उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पजांब के चुनाव का परिणाम आया था, तब जीतने वाले जश्न में डूबे थे और हारने वाले गमगीन थे, तब अगली सुबह ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में रोड शॉ करके अपनी योजना का ट्रेलर दिखा दिया था। वैसे तो गुजरात मोदी—शाह का गढ़ है, लेकिन फिर भी भाजपा यहां पर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। शायद कांग्रेस इस बात को अच्छे से समझ चुकी है कि मोदी का विरोध करके हार को पुख्ता करने का काम किया जाता है, इसलिये गुजरात के आगामी चुनाव में कांग्रेस ने मोदी का विरोध नहीं करने की कसम खाई है।
मोदी ने भाजपा को 2014 के आम चुनाव में 282 सीटों के बहुमत तक पहुंचाया, तो 2019 के चुनाव में तीन सौ पार कर अपनी ताकत और काम का लोहा मनवाया। अब एक ओर जहां राष्ट्रपति चुनाव के दौरान विपक्ष की एकता तार—तार हुइ्र है, तो मोदी ने प्रचंड जीत के साथ ही 2024 में 400 पार करने के मिशन पर काम शुरू कर दिया है। भाजपा का 2024 में मिशन 400 का प्लान चल रहा है, तो विपक्ष को अभी इस बात की चिंता ही नहीं है कि पौने दो साल बाद होने आम चुनाव में भाजपा और मोदी का सामने कैसे किया जायेगा? पार्टी मिशन 400 पार को एग्जिक्यूट करने के लिये तीन दिन का महामंथन किया है, जिसमें ना केवल पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर अमित शाह और खुद नरेंद्र मोदी शामिल हुये हैं, बल्कि आरएसएस से जुड़े कई पदाधिकारियों ने भी इसमें अपनी राय रखी है।
हालांकि, भाजपा का मिशन 400 पार तो दक्षिण भारत के आदिवासी परिवार से आने द्रौपदी मुर्मू की राष्ट्रपति उम्मीदवारी के साथ ही दिख गया था कि पार्टी कैसे एक साल पूरे देश पर अपना जादू चलाने जा रही है, बल्कि पिछले दिनों जब उपराष्ट्रपति के लिये किसान के बेटे जगदीप धनकड़ के नाम की घोषणा की गई, तब यह भी साफ हो गया कि तीन कृषि कानूनों से नाराज हुये किसानों को साधने में भी भाजपा ने देर नहीं की है। दक्षिण के जिन राज्यों में भाजपा कमजोर मानी जाती है, वहीं पर द्रौपदी मुर्मू के जरिये फायदा लिया जायेगा, तो पंजाब, उत्तर प्रदेश हरियाणा से लेकर मध्य प्रदेश तक किसान परिवारों को साधने के लिये जगदीप धनकड़ का चुनाव काफी महत्वपूर्ण हो गया है।
भाजपा ने तय किया है कि जगदीप धनकड़ के जरिये इस क्षेत्र की 60 उन सीटों पर फोकस किया जा रहा है, जहां पर भाजपा कमजोर है, या फिर जीत नहीं पाई है। इन सीटों में राजस्थान की भी नागौर और दौसा सीट शामिल हैं, जहां पर पार्टी ने दो केंद्रीय मंत्रियों को लगा दिया है। पार्टी इस बार विपक्ष को कोई भी मौका नहीं देना चाहती है, इसलिये पौने दो साल पहले ही अपने मिशन को अंजाम देने के लिये निकल पड़ी है। दूसरी ओर कांग्रेस में अभी तक कप्तान, यानी अध्यक्ष ही तय नहीं हुआ है, जबकि गठबंधन किसके साथ होगा, कब होगा, कैसे होगा और होगा भी या नहीं, इसको लेकर कोई प्लानिंग नहीं है।
संभवत: 2024 का आम चुनाव मोदी के जीवन का आखिरी चुनाव होगा, जिसको वह रिकॉर्ड तोड़कर जीतना चाहते हैं, तो इसी चुनाव के जरिये पार्टी को 400 पार पहुंचाकर अभेद किले की तरह बनाना चाहते हैं, तो बरसों—बरस कोई विपक्ष फतह ही नहीं कर पाये। मोदी यह भी चाहते हैं कि उनकी सत्ता रहते इतने काम कर जायें कि भारत के इतिहास में मिसाल बन जाये। साथ ही पार्टी में अपने साथी अमित शाह या योगी आदित्यनाथ की पीएम उम्मीदवारी के समय जीतने की चिंता नहीं रहे। वैसे तो मोदी सरकार हर काम ही मिशन मोड में करती है, लेकिन दुनिया सबसे बड़ी पार्टी ने अपने संगठन को भी मिशन मोड पर ला दिया है, जो सालभर ताबडतोड काम करता है।
राजस्थान, गुजरात, हरियाणा की सभी लोकसभा सीटों पर दो—दो बार जीत हासिल कर इन राज्यों में भाजपा अपनी मजबूत पकड़ बना चुकी है, ठीक इसी तरह से मध्य प्रदेश की अधिकांश सीटों पर जीती है, दिल्ली की सभी सीटों पर जीती तो पंजाब के लोकसभा चुनाव में भाजपा सबसे मजबूत है। उत्तर प्रदेश में 80 में से 62 जीती थी, जबकि उससे पहले 71 सीटों पर जीत चुकी है, यहां पर भी पार्टी मिशन 75 का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसी तरह से जम्मू—कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड, झाडखंड, छत्तीसगढ़ और उडिसा की सभी सीटों को जीतकर अपने मिशन को अंजाम देना चाहती है। महाराष्ट्र में सरकार बन चुकी है, जहां पर भी अधिकांश सीटों पर भाजपा अपना कब्जा रखना चाहती है। बचे राज्यों में कर्नाटक, पश्चिम ​बंगाल, तमिलनाडू, केरल, आंद्र प्रदेश, गोवा की सीटों का अलग से प्लान बनाया गया है, जहां पर भाजपा कुछ कमजोर मानी जाती है। इसी तरह से उत्तर—पूर्व के राज्यों के पार्टी का एक्शन प्लान बन चुका है, जो रणनीति के तहत लागू किया जा रहा है।
इस तरह से पार्टी अपने मिशन 400 पार को अंजाम तक पहुंचाने के लिये कमर कस चुकी है। मोदी का एक ही मंत्र है, ना रुकना है, ना थकना है। इसी मंत्र पर काम करते हुये पार्टी दिनरात अपने लक्ष्य को अर्जित करने में जुट गई है। इस साल के अंत तक गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव है, जहां पर सरकार बनाना चाहेगी, साथ ही कर्नाटक चुनाव पर भी फोकस है, तो अगले साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ के चुनाव की तैयारी तेज चल रही है। इन राज्यों के चुनाव को पार्टी आम चुनाव के सेमिफाइनल की तरह लड़ने जा रही है। कुल मिलाकर पार्टी ने अपने 400 पार के लक्ष्य को हासिल करने के लिये पूरी तैयारी कर ली है, जबकि विपक्ष पूरी तरह से बिखरा हुआ है, जो कैसे मुकाबला कर पायेगा, यही सोचनीय है।

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