मोदी ने भारत को बना दिया है 'हिंदू राष्ट्र'

Ram Gopal Jat
दुनिया की 100 करोड़ से अधिक जनसंख्या वाले हिंदू समाज को भारत में ही लंबे समय से नेपथ्य में धकेल दिया गया था। देश के पहले शिक्षामंत्री अबुल कलाम आजाद से लेकर 2014 तक शिक्षा के माध्यम से ना केवल ​इस्लाम को ग्लोरिफाई किया गया, बल्कि हिंदू धर्म की कुरितियों को खूब प्रचारित किया गया, ताकि देश दुनिया में रह रहे हिंदू इस धर्म को सबसे खराब मानकर छोड़ते चले जायें, इसका परिणाम भी सामने आया। स्वतंत्रता के समय देश में 87 प्रतिशत हिंदू थे, जो आज के समय में केवल 79 फीसदी रह गये हैं, जबकि आजादी के समय इस्लाम को मानने वालों की तादात केवल 6 फीसदी थी, जो आज के वक्त 14 फीसदी से भी ज्यादा हो गई है। ऐसा नहीं है कि शासन के स्तर पर और शिक्षा के द्वारा ही हिंदू धर्म को कमजोर और इस्लाम को ताकतवर बनाने का अभियान चलाया गया है, बल्कि सत्ता में बैठे प्रधानमत्री से लेकर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों ने भी इस्लाम को प्रचारित करने का खूब काम किया है।
जिस फिल्म जगत पर देश की सभ्यता और संस्कृति को आगे बढ़ाते हुये मनोरंजन करने का जिम्मा था, उसने भी बीते पांच दशक में हिंदूओं को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बॉलीवुड अभिनेता दिलीप कुमार उर्फ यूसूफ खान से लेकर अमिताभ बच्चन और आमिर खान जैसे सुपर स्टार कहे जाने वाले बॉलीवुड के कलाकारों ने बकायदा मिशन मोड में हिंदू धर्म को अविश्वसनीय, दीन—हीन और बिलकुल ​बैकार साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सबसे अधिक जनसंख्या होने के बावजूद हिंदू खुद को बॉलीवुड से ठगा ​गया, लेकिन मन मसोसकर रह गया। यहां तक कि 90 के दशक में कश्मीर के इस्लामिक नरसंहार को भी इस बॉलीवुड की गैंग ने कभी उजागर करने का प्रयास नहीं किया, जबकि इस्लाम से आतंकवाद की उपज होने के बाद भी आतंकियों को मजबूर में बंदूक उठाने, बम फोड़ने वाला और इस्लाम की रक्षा व प्रचार के लिये जरुरी होने का चौला ओढ़ाकर जनता को परोस दिया।
जिस 100 करोड़ हिंदू समाज के वोट पर सरकारें बनीं, वो भी हिंदूओं के उत्थान और उसके खिलाफ किये जाने दुष्प्रचार को रोकने का काम नहीं किया। ऐसे में जब साल 2002 में गुजरात दंगे हुये और कांग्रेस समेत विपक्ष ने मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को खलनायक साबित करने का प्रयास किया, तब हिंदूओं की चेतना जागी और 100 करोड़ आबादी ने मोदी को अपना नायक बना लिया। नतीजा यह हुआ कि 2014 के आम चुनाव में जहां भाजपा ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो जनता ने भाजपा की झोली भरते हुये पहली बार पूर्ण बहुमत देते हुये मोदी की सरकार बना दी। नरेंद्र मोदी इस बात को भली भांति जानते थे कि जनता ने उनको किस उम्मीद के सहारे वोट दिया है। भष्ट्राचार के चरम को तोड़ना और मानसिक रुप से कुंठित हो चुके हिंदु समाज को फिर से मान सम्मान दिलाना मोदी का दायित्व था। एक ओर राम मंदिर का निर्माण था तो दूसरी तरफ देश का विकास और आतंकवाद को समाप्त करना था। मोदी सरकार ने भी मिशन मोड़ में काम किया और जनता को अपने कर्मों से यह विश्वास दिलाया कि वही हिंदूओं के सबसे बड़े नायक और भ्रष्टाचार मुक्त विकास के अगुवा हो सकते हैं। नतीजा यह हुआ कि पांच साल बाद 2019 में जनता ने मोदी को पहले के मुकाबले बड़ा बहुमत दिया।
मोदी देश की भावनाओं को समझते हैं। एक समय ऐसा था, तब देश का राष्ट्र प्रमुख से लेकर राष्ट्र प्रधान मस्जिद और मजार पर जाये बिना खुद को परिपूर्ण नहीं मानता था, जबकि टॉपी लगाये मन्नत मांगने से ही वह खुद को पूरा सेक्यूलर साबित करने में जुटा रहता था। सर्वाधिक जनसंख्या की भावनाओं को ना तो कभी तवज्जो दी गई और ना ही मान सम्मान की परवाह की। मोदी ने अपने पहले ही कार्यकाल में इस परंपरा को पूरी तरह से बदल डाला। इससे पहले भी मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते इस्लामिक टॉपी पहनने से इनकार कर दिया था। मोदी का मानना है कि राष्ट्र प्रधान अपनी जगह है और धर्म व्यक्तिगत आस्था है।
हिंदू आस्था के सबसे बड़े राम मंदिर निर्माण के मार्ग को 550 साल बाद प्रधानमंत्री मोदी ने परसस्त किया तो हिंदूओं की छाती 56 इं​च की हो गई। मोदी ने बीते 8 साल में ना केवल मंदिरों में पूजा अर्चना की, बल्कि गंगा आरती से लेकर दुनिया के कई देशों में बन रहे हिंदू मंदिरों के लिये भी अपने प्रयास जारी रखे। मजार पर चादर चढ़ाने की परंपरा को दरकिनार कर मोदी ने शिव मंदिर में जलाभिषेक किया तो राम मंदिर की नींव रखते हुये अपने कनिष्ठ और उत्तर प्रदेश के संत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ पूरे मनोयोग से सनातन परंपराओं का पालन किया। मोदी के पदचिन्हों पर चल रहे योगी उनसे भी आगे निकल गये। योगी ना केवल भगवा वस्त्र धारण करते हैं, बल्कि इस्लामिक दंगाइयों के घरों पर बुल्डोजर चलाकर दिखा दिया है कि हिंदूओं के खिलाफ कुछ भी बर्दास्त नहीं किया जायेगा।
मोदी—योगी के प्रयासों का ही नतीता है कि आज ना केवल भारत में हिंदू गर्व से रहता है, ​बल्कि दुनिया के कई देशों में बसे हिंदूओं को भी अब अपने धर्म पर गर्व महसूस होता है। इस परिणाम अब बॉलीवुड को भी समझ आ गया है, तो बीते कई बरसों से एक अदद सुपरहिट फिल्म को तरस गया है। दूसरी ओर दोयम दर्जे का समझे जाने वाला दक्षिण भारतीय सिनेमा एक के बाद एक सुपर डूपर हिट फिल्म दे रहा है। यहां तक कि बॉलीवुड के कलाकर भी अब दक्षिण भारतीय फिल्मों का हिस्सा बनने को तरस रहे हैं। हिंदूओं ने इस्लामिक एजेंडे का नशा उतार दिया है, जिसके चलते मनोरंजन उद्योग मुंबई से शिफ्ट होकर दक्षिण भारत और उत्तर प्रदेश में केंद्रित हो गया है।
अब शाहरुख खान की पठान और आमिर खान की लालसिंह चड्डा रिलीज होने से पहले पिटनी तय हो जाती है, तो आरआरआर में राम अवतार में दिखने वाले नायक को हिंदूओं ने अपना नायक बना लिया है। भले ही लोग भारत को बहुसंख्यक होने के कारण हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग करते हैं, लेकिन मोदी ने बिना किसी कानून के पारित किये ही देश को सनातन राष्ट्र बना दिया है। आज एक आंतकी पकड़े जाने पर अजमेर की दरगाह की कमाई खत्म हो रही है, तो देश राम मंदिर के निर्माण की हर खबर को चाव से देख रहा है। जो नेता टॉपी पहनकर मस्जिद जाये बिना अपना जीवन अधूरा समझता था, वो आज मंदिर—मंदिर घूम रहे हैं और अपना धर्म हिंदू बताने में गर्व जता रहे हैं।
जिस कांग्रेस के मुखियाओं ने कभी रामायण को काल्पनिक ग्रंथ बताकर सुप्रीम कोर्ट में रामसेतु के खिलाफ हलफनामा दायर किया था, वही कांग्रेसी राहुल गांधी, प्रियंका गांधी माथे पर त्रिपुंड लगाकर मंदिरों में जलाभिषेक कर वीडियो वायरल करावते हैं। आज उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री भगवा को शान से पहनता है तो महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री माथे पर तिलक लगाकर गर्व महसूस करता है। जो लोग कल तक इंग्लिश में शपथ लेते थे, वो आज हिंदी और संस्कृत में शपथ ग्रहण कर रहे हैं। ये मोदी के हिंदू राष्ट्र का ही परिणाम है कि प्रथम नागरिक से लेकर प्रथम प्रधान और प्रथम राज्य प्रधान भी हिंदू होने पर गर्व कर रहा है। पिछले दिनों जब द्रौपदी मुर्मू् को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया तो उन्होंने सबसे पहले मंंदिर में जाकर झाडू लगाकर जताया कि उनकी आस्था क्या है और देश की जरुरत किस धर्म में हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि राष्ट्र प्रमुख, यानी राष्ट्रपति मंदिर में शिव को जलाभिषेक करते हैं, तो निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नये राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को मंदिर में पूजा—अर्चना कर कार्यभार सौंप रहे हैं।
अपने दोनों कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी ने मंदिरों, गंगा आरती और गुफा में ध्यान लगाकर हिंदूओं के लिये ऐसा अभेद धार्मिक रास्ता बना दिया है, जिसपर चलकर हर हिंदू को अपने धर्म पर गर्व है तो देश के विकास में भागीदार बन रहा है। आज देश के लोगों को तिलक लगाकर निकलने और भगवा धारण करने में सम्मान मिलता है, तो टॉपी लगाकर मजारों पर जाने वाले नेताओं की प्रजाति विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है। मोदी के 8 साल के सनातन विश्वास का ही परिणाम है कि महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से लेकर विपक्षी दुष्प्रचार के बावजूद देश की 100 करोड़ जनसंख्या को आज मोदी और भाजपा पर अटूट भरोसा है।
यह तो भविष्य के गर्भ में है कि भारत संवैधानिक तरीके से औपचारित तौर पर हिंदू राष्ट्र बनेगा या नहीं, लेकिन इतना तो तय है कि भारत अब अनौपचारिक रुप से सनातन धर्म को अंगीकार करके खुश है। यानी कुल मिलाकर देखा जाये तो मोदी ने अपने प्रयासों से हिंदूओं की खोई हुई चेतना जगाकर उनके मन में हिंदू होने का गर्वीला भाव भर दिया है, तो हिंदू राष्ट्र की नीवं मानी जा सकती है।

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