गहलोत सरकार ने अधिकारियों को भगाने में फूंक दिये 300 करोड रुपये

Ram Gopal Jat
आमतौर पर यह माना जाता है कि सरकार अपने अधिकारियों को कभी भी और कहीं भी स्थानांतरित कर सकती है, सरकार को जब लगता है कि किसी अधिकारी को दूसरी जगह भेजना जरुरी है, तब तबादला किया जाता है। यदि लगता है कि कोई अधिकारी काम नहीं कर रहा है, तो उसको हटाकर दूसरे स्थान पर भेजा जाता है। किंतु कई बार जनता के मुद्दों के बजाये मंत्रियों—विधायकों और सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं की मंशा के अनुसार भी अधिकारी बदले जाते हैं। जैसे जैसे समय गुजर रहा है, वैसे वैसे सरकारों का तबादला रवैया भी तेजी से बदल रहा है। अब यह माना जाता है कि जो अधिकारी तीन साल तक एक जगह रह लेता है, उसकी बहुत बड़ी जीत मानी जाती है, अन्यथा अधिकारी कुछ माह में भी हटा दिया जाता है।
राजस्थान सरकार ने 5 दिन पहले देर रात 27 आईएएस अधिकारियों के तबादले किए थे और दूसरे दिन ही शाम को 500 आरपीएस अधिकारियों के और तबादले कर दिये। वैसे तो सरकारी कामकाज का यह हिस्सा होता है कि अधिकारियों के ट्रांसफर होते रहते हैं, लेकिन लगता है कि साढे 3 साल पहले सत्ता में आई कांग्रेस सरकार इस बार तबादलों का रिकॉर्ड बनाने में जुटी हुई है। यही कारण है कि साढ़े 3 साल में ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार ने 450 से ज्यादा तबादला सूचियां निकालते हुए करीब 5000 अधिकारियों को इधर-उधर किया है।
मतलब साफ है कि सरकार ब्यूरोक्रेसी के साथ ना तो खुद को एडजस्ट कर पाई है और ना ही ब्यूरोक्रेसी को किसी एक जगह एडजस्ट होने दिया गया है। कारण कुछ भी बताए जाएं, लेकिन लगातार अधिकारियों के तबादलों का असर यह हो रहा है कि सरकार के कामकाज में जो गति देखनी चाहिए थी, उसपर भी ब्रेक लगते रहे हैं। बात सिर्फ यह नहीं है कि अधिकारियों के तबादले हो रहे हैं, बल्कि दूसरी बात यह भी है कि जिस राज्य में बजट को लेकर कई जगह समस्या बताई जाएं, उस राज्य में यदि इस तेजी के साथ तबादले होते हैं तो सरकार का बजट इन तबादलों पर भी खर्च होता है।
एक मोटे अनुमान के मुताबिक एक जगह से दूसरी जगह जाता है तो उसमें 50 हजार से सवा लाख रुपये तक खर्च होते हैं। अधिकारी यदि भारतीय प्रशासनिक सेवा का है तो लगभग एक लाख रुपये उसके स्थानांतरण पर खर्च होते हैं, जिसमें उसके आने-जाने का खर्च और इस दौरान वह छुट्टी लेता है तो छुट्टियों के वेतन का खर्च सरकार का होता है। वहीं राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी के मामले में यह खर्चा 50 से 60 हजार रुपयों के लगभग होता है। कई मामलों में यह खर्चा कम ज्यादा भी हो सकता है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार ने साढ़े तीन साल के दौरान 450 से अधिक तबादला सूचियां निकाली हैं और इन सूचियों के जरिए 5000 छोटे बड़े अधिकारियों को इधर-उधर किया गया है तो उसमें मोटे तौर पर सरकार का 300 करोड़ खर्च हुआ है।
वैसे तबादलों का कारण यही होता है कि कभी सरकार के मंत्री की अधिकारी से नहीं बनी तो कभी अधिकारी मंत्री के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाए। कभी विधायक नाराज हुए तो कभी अन्य राजनीतिक कारण बने। सरकार की इन स्थानांतरण सूचियों में आईएएस, आईपीएस, आईएफएस, आरएएस और आरपीएस जैसे सभी अधिकारी शामिल हैं। सरकार बदलने के साथ ही अधिकारियों को बदलना तो इसलिए ठीक माना जाता है कि सरकार नहीं बनती है तो वह अपने हिसाब से ब्यूरोक्रेसी को बदलती है, लेकिन यह बदलाव यदि एक प्रक्रिया का हिस्सा बन जाए और सरकार लगातार सिर्फ तबादला सूची निकालने में लगे रहे तो सवाल उठना लाजमी है।
जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी थी तो उस दौरान कई मंत्रियों का अधिकारियों के साथ विवाद सामने आया था। उस विवाद के चलते कई अधिकारियों को बदला गया था, लेकिन लगातार होते ट्रांसफर के आंकड़े देखे जाएं तो चौंकना लाजमी है। अशोक गहलोत सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में हुए तबादलों पर नजर डाली जाए तो 109 बार अधिकारियों की तबादला सूची में 360 आईएएस अधिकारियों के ट्रांसफर हुये हैं। इसी तरह से 31 आईएफएस अधिकारियों की सूची में 286 अधिकारियों के तबादले हैं। ऐसे ही 65 आईपीएस सूची में 635 अफसरों का तबादला किया गया है। साथ ही 157 सूचियों में 2093 आरएएस अधिकारियों के तबादले हुये हैं। पुलिस मुख्यालय से 120 सूचियां जारी हुईं, जिसमें 1250 अधिकारियों के तबादले किये गये।
ऐसा नहीं है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार में ही तबादला सूचियां निकाली गईं हों। पिछली वसुंधरा सरकार के दौरान भी 5 बरस में 144 बार आईएएस अधिकारी, 58 बार आईएफएस अफसर, 71 बार आईपीएस तो 262 बार आरएएस अधिकारियों के तबादले हुए थे। मतलब यह है कि वसुंधरा राजे सरकार ने अपने 5 साल में कार्यकाल में 335 बार तबादला सूचियां जारी की थीं, ऐसे में लगता है कि अशोक गहलोत सरकार जब अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी, तब तबादलों के मामले में वसुंधरा राजे सरकार के तबादलों की सूचियों का रिकॉर्ड भी तोड़ चुकी होगी।

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