बंद हो जायेगी मुफ्त की बंदरबांट

Ram Kishan Gurjar
क्या हर महीने फ्री मिलने वाला 5 किलो राशन बंद हो जाएगा? क्या राजस्थान, दिल्ली, पंजाब जैसे राज्यों में मिल रही बिजली सब्सिडी भी बंद होने जा रही है? क्या दिल्ली का पानी भी बंद होने वाला है? चौंकिए मत, सुप्रीम कोर्ट के इस एक फैसले के बाद बदल जाएगी देश की राजनीति की दशा और दिशा. सबसे पहले जिनकी राजनीति प्रभावित होगी, उनमें राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान की पॉलिटिक्स खतरे में आ जाएगी. आगे के 3 मिनट के वीडियो में हम आपको बताएंगे कि कैसे केजरीवाल की मुफ्त वाली पॉलिटिक्स की बैंड बजने वाली है....आसान भाषा में समझे तो भारत के श्रीलंका बनने का सपना देखने वालों के होश उड़ जाएंगे. आप चौकिये मत, केजरीवाल तो मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी से लेकर अनाप-शनाप फ्री की योजनाएं चलाते हैं वे सब अब जल्द बंद हो जाएंगी. लगे हाथ राजस्थान के मुख्यमंत्री जो बिजली के बिल पर सब्सिडी दे रहे हैं वह भी बंद हो जाएगी और महिलाओं को फ्री मोबाइल फोन बांटने की स्कीम भी फुट स्टाप लग सकता है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान मुफ्त घोषणाओं के वादों पर रोक लगाने की बात कही है। केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाऐ। बहरहाल, शीर्ष कोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका पर नोटिस जारी किया। याचिका में चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी कि राजनीतिक दलों को सार्वजनिक फंड से तर्कहीन मुफ्त देने या वितरित करने से रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि वित्त आयोग से बात करें और मुफ्त में खर्च किए गए पैसे को ध्यान में रखकर जांच करें। साथ ही चुनाव आयोग ने सुझाव दिया कि सरकार इस मुद्दे से निपटने के लिए एक कानून ला सकती है। सरकार का यह तर्क था कि मामला चुनाव आयोग के क्षेत्र में आता है। सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुये कहा कि केंद्र सरकार इस पर स्टैंड लेने से क्यों झिझक रही है?
सुनवाई के दौरान किसी अन्य मामले को लेकर वकील कपिल सिब्बल भी कोर्ट में मौजूद थे। कोर्ट ने मुफ्त की योजना के इस मुद्दे पर उनसे भी उनके विचार पूछे। इस पर सिब्बल ने कहा कि यह एक गंभीर मामला है, लेकिन राजनीतिक रूप से इसे नियंत्रित करना मुश्किल है। वित्त आयोग को अलग-अलग राज्यों को पैसा आवंटित करते समय उनका कर्ज और मुफ्त योजनाओं को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार से निर्देश जारी करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। वित्त आयोग इस मुद्दे की जांच करने के लिए सही प्राधिकरण है।
आपको बता दें कि भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और हेमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने जाने—माने वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि कई राज्य पहले से ही भारी कर्ज के बोझ का सामना कर रहे थे और इस तरह के मुफ्त उपहार केवल लोगों पर अधिक तनाव डालेंगे, क्योंकि पैसा अंततः उनसे ही आना है। भारतीय रिजर्व बैंक की सालाना रिपोर्ट में राजस्थान सरकार के आर्थिक प्रबंधन में सब्सिडी कल्चर को बेहद गलत बताया गया है, जिसका असर राज्य की आर्थिक हालत पर देखा जा रहा है. आरबीआई की इस रिपोर्ट में पंजाब, कर्नाटक, केरल, झारखंड, राजस्थान और पश्चिम बंगाल समेत 10 राज्यों के बारे में आंकड़े जुटाए गए हैं, जो कर्ज का बोझ झेल रहे हैं.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन राज्यों की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है. आरबीआई ने इन राज्यों की वित्तीय स्थिति और कर्ज प्रबंधन पर चिंता जताते हुए चेतावनी दी है कि अगर यहां की सरकारों ने खर्च और कर्ज का प्रबंधन समय रहते नहीं किया, तो गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता है. यानी कि राजस्थान सरकार को फ्री स्किम बंद करनी होगी और सब्सिडी खत्म करनी होगी. गौरतलब हैं कि अशोक गहलोत सरकार ने अब तक कार्यकाल में रिकॉर्ड एक लाख 91 हजार करोड़ का लोन लिया है, जिसमें गारंटी वाला लोन शामिल नहीं है. अब तक की राज्य की तमाम सरकारों ने जितना लोन लिया है, उसका 30 फीसदी लोन गहलोत सरकार ने पिछले साढ़े तीन साल में ले लिया है. अब राज्य पर कुल 4 लाख 77 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्जा हो चुका है. प्रदेश के के हर एक नागरिक पर जहां साल 2019 में 38,782 रुपये कर्ज था, वो अब बढ़कर करीब 71 हजार रुपये हो गया है.
विशेषज्ञों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह फ्री की स्कीम की रोक के लिए कोई ठोस कदम उठाएं..... अन्यथा 3 अगस्त को अगली सुनवाई होनी है और सुप्रीम कोर्ट कोई अपना ठोस निर्णय सुना सकता है. माना जा रहा है 26 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना रिटायर होने वाले हैं. इसलिए वे फ्री की स्कीम बंद करने को लेकर ऐतिहासिक फैसला दे सकते हैं. बहरहाल, किसी भी विकासशील देश के लिए फ्री स्कीम घातक होती है और समय रहते इनकी रोकथाम जरूरी होती है. मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का मामला भले ही सुप्रीम कोर्ट के जरिये हल हो रहा हो, लेकिन इस फैसले से भारत जिस दिशा में बढ़ रहा है, वह स्वागत योग्य कदम है.

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