ओबीसी आरक्षण खत्म करने की चल रही है साजिश

Ram KIshan Gurjar
इन दिनों प्रदेश में ओबीसी आरक्षण में विसंगतियों को लेकर एक बड़े आंदोलन की आहट सुनाई दे रही है..... इस मामले में विपक्ष से ज्यादा सत्तारूढ़ दल के कई बड़े नेता लगातार हमलावर हैं.... आप भी सोशल मीडिया पर "जागो ओबीसी जागो, अपना हक मांगों" इस स्लोगन से जुड़े पोस्टर लगातार देख रहे होंगे..... आगे के वीडियो में हम आपको बताएंगे कि आखिर यह पूरा मामला क्या है? इसके पीछे कौन जिम्मेदार है..... साथ ही वर्टिकल और होरिजेंटल आरक्षण नियम क्या है..?
लिहाजा ओबीसी आरक्षण विसंगतियों के मामले में पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी सहित कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने इन दिनों अपनी ही सरकार की घेराबंदी कर रखी है। आरक्षण की विसंगतियों को दूर करने के लिए हरीश चौधरी सहित प्रदेश के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है। पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी से लेकर ओबीसी आरक्षण संघर्ष समिति राजस्थान ने आन्दोलन की चेतावनी भी दे दी। पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में भूर्तपूर्व सैनिकों के आरक्षण से जुड़ा नियम अब गहलोत सरकार के लिए मुसीबत बनता जा रहा है।
पोस्टर में लगातार होरिजेंटल नियम का जिक्र किया गया है। आखिर वर्टिकल और होरिजेंटल आरक्षण क्या है...? आइए आपको समझाते हैं.... पहले बात करते हैं वर्टिकल आरक्षण की, जिसका अर्थ जन्मजात दिए जाने वाले आरक्षण से है। यानी कोई व्यक्ति जिस जाति में जन्म लेता है, उसे राज्य सरकार की ओर से दिए गए जातिगत आरक्षण में उस जाति को दिए गए आरक्षण के तहत ही आरक्षण का लाभ मिलता है। जैसे कोई व्यक्ति जाट, सैनी, यादव, कुमावत, विश्नोई आदि जाति में जन्म लेता है, तो उन्हें आरक्षण व्यवस्था के तहत ओबीसी वर्ग का लाभ मिलेगा।
अब बात करते हैं हालिया जिस नियम का लगातार जिक्र हो रहा है.... होरिजेंटल आरक्षण का तात्पर्य आरक्षण में दिए गए आरक्षण से है। यानी आरक्षण में आरक्षण। सरकारी नौकरियों में भूतपूर्व सैनिक, दिव्यांग, विधवा, परित्यक्ता और उत्कष्ट खिलाड़ियों को होरिजेंटल आरक्षण प्राप्त है। इन्हें होरिजेंटल आरक्षण के तहत आरक्षण का दोहरा फायदा मिलता है। अर्थात पहले भूतपूर्व सैनिक या उत्कष्ट खिलाड़ी होने का लाभ मिलेगा। साथ ही उन्हें अपनी जाति के आरक्षण का भी लाभ मिलेगा।
दरअसल, 17 अप्रेल 2018 को पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के दौरान भूतपूर्व सैनिकों के होरिजेंटल आरक्षण नियमों में बदलाव किया था। इस बदलाव से ओबीसी वर्ग के भूतपूर्व सैनिकों का चयन 12.5 प्रतिशत के स्थान पर ओबीसी वर्ग के सामान्य पदों पर भी चयन होने लगा। उदाहरण के तौर पर राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2019 में कुल पदों की संख्या 5500 थी, इनमें से जिला पुलिस के ओबीसी पुरुषों के पदों की संख्या 247 थी। इन सभी 247 पदों पर भूतपूर्व सैनिकों का चयन हुआ। ओबीसी सामान्य वर्ग के एक भी अभ्यर्थी का पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2019 में चयन नहीं हो पाया।
नए आरक्षण रोस्टर नियम के मुताबिक भूतपूर्व सैनिकों को 12.5 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। इस लिहाज से उन्हें ओबीसी वर्ग के 247 पदों के 12.5 प्रतिशत के हिसाब से 30 पद ही मिलने चाहिए थे, जबकि उनका सभी 247 सीटों पर चयन कर लिया गया। पूर्ववर्ती सरकार द्वारा बदले गए नियमों के कारण वर्ष 2018 के बाद हुई सभी सरकारी भर्तियों में ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। गौर करने वाला तथ्य यह है कि प्रदेश में 90 प्रतिशत भूतपूर्व सैनिक ओबीसी वर्ग से आते हैं। इसलिए आरक्षित वर्ग के पदों की तय संख्या सीमा को खत्म करने से ओबीसी के भूतपूर्व सैनिक 12.5 प्रतिशत पदों के साथ ओबीसी वर्ग के अन्य पदों पर भी चयनित होने लगे। जिससे ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों का अपने वर्ग के पदों पर चयन होना मुश्किल हो गया। राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों में हुई भर्तियों में ओबीसी वर्ग के सभी पदों पर भूतपूर्व सैनिकों का चयन हुआ।
अब सवाल यह खड़ा होता है कि ओबीसी वर्ग इस नियम में बदलाव के बाद आंदोलन की चेतावनी क्यों दे रहा है.....? दरअसल कार्मिक विभाग की ओर से 17 अप्रेल 2018 में बनाए गए इस नियम के बाद ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के सामने नौकरी का भंयकर संकट खड़ा हो गया। इस नियम के बनने के बाद सरकारी नौकरियों के लिए जारी नई विज्ञप्तियों में ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थियों के पदों की संख्या घटने के साथ शून्य तक पहुंचने लगी। राजस्थान में भले ही ओबीसी को 21 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद भी कई भर्तियों में ओबीसी वर्ग पदों की संख्या शून्य रह जाती है।
बहरहाल, राजस्थान की राजनीति में सरकार चाहे जो दल बनाए.. लेकिन ओबीसी वोट बैंक को नजरअंदाज करके कोई भी सरकार नहीं बना पाता.... अगर कोई गलती से सरकार बना ले, तो सरकार चला नहीं पाता... ऐसे में उम्मीद है कि सरकार जल्द ओबीसी भर्ती प्रक्रिया के आरक्षण में जो विसंगतियां हैं, उन्हें दूर करेगी.... अन्यथा प्रदेश में एक बड़े ओबीसी वर्ग के आंदोलन की दस्तक सुनाई दे रही हैं. ब्यूरो रिपोर्ट सियासी भारत

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