भारत में टेक कंपनियों पर लगेगा 250 करोड़ का जुर्माना

Ram Gopal Jat
भारत की नरेंद्र मोदी सरकार ने बिना अनुमति के उपभोक्ताओं के डेटा का इस्तेमाल करने वाली टेक कंपनियों पर लगाम कसने के लिये डिजिटल पर्सनल बिल 2022 का ड्राफ्ट शुक्रवार को दूसरी बार जारी कर दिया है। इससे पहले सरकार ने 2019 के मानसून सत्र में भी बिल को संसद में पेश किया था, जिसका विरोध होने के कारण कई जरुरी संसोधनों के लिये वापस ले लिया था। केंद्र सरकार ने इस ड्राफ्ट को सार्वजनिक करने के साथ ही नियम और शर्तों के बारे में बता दिया है। भारत में जो भी कंपनी बिना अनुमति के डेट का इस्तेमाल करती है, या डेटा चोरी के मामले की घटनाओं को यूजर्स व सरकार को रिपार्ट करने में विफल रहती है, तो उसपर 250 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जायेगा। केंद्र सरकार ने कहा है कि अन्य प्रावधानों का का पालन नहीं करने पर भी कंपनी पर दस हजार रुपये से 150 करोड़ तक का जुर्माना लगाने पर विचार किया जा रहा है।
इस बिल की जरुरत के बारे में विस्तार से समझेंगे, लेकिन उससे पहले आप यह जान लीजिये कि आपका डेटा, जिसमें फोटो, वीडियो और अन्य जानकारी कोई भी कंपनी बिना अनुमति के इस्तेमाल नहीं कर सकती है। फिर भी उपभोक्ताओं को इसके बारे में पता नहीं होता है​ कि उनके डेटा का कोई भी कंपनी कितना दुरुपयोग करती है। सिलिकोन वैली में सभी बड़ी कंपनियों के डेटा सेंटर स्थापित हैं, जहां पर दुनियाभर की सोशल मीडिया कंपनियों और डिजीटल सेवाओं में शामिल कंपनियों का डेटा एकत्रित होता है, जहां से किसी भी देश के उपभोक्ताओं का डेटा बिना अनुमति के इस्तेमाल किया जाता है। केंद्र सरकार का मकसद बिल के जरिये भारत के नागरिकों का निजी डेटा की सुरक्षित करना है। साथ ही भारत के बाहर डेटा ट्रांसफर करने पर नजर रखना और डेटा से जुड़े उल्लंघन पर जुर्माने का प्रावधान करना है।
असल में यह बिल किसी भी तरह के डेटा को सुरक्षित करने के लिये लाया जायेगा, जिसमें लोगों के फोटो, वीडियो, टेक्ट मैसेज इत्यादी शामिल हैं। इस बिल के कानून बनने के बाद कोई भी कंपनी उपभोक्ता की अनुमति के बिना इस्तेमाल नहीं कर सकेगी। इस बिल का नाम डिजि​टल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 रखा गया है, जिसपर केंद्र सरकार सभी पक्षों की राय लेगी। यदि आपको भी इस ड्राफ्ट को लेकर अपनी राय देनी है, तो आप भी 17 दिसंबर तक अपनी राय ओनलाइन भेज सकते हैं। पूरा ड्राफ्ट सूचना प्रोधोगिकी मंत्रालय की अधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है, जहां आप भी अपनी राय दे सकते हैं। ड्राफ्ट के अनुसार प्रत्येक सोशल मीडिया या डिजीटल मीडिया कंपनी को आम नागरिकों को सारी जानकारी आसान भाषा में देना अनिवार्य होगा। ग्राहक चाहे तो कभी भी कंपनी से अपना डेटा वापस ले सकता है, उसके लिये कंपनी आनाकानी नहीं कर सकती है। इस बिल के कानून बनने के बाद केंद्र सरकार की ओर से डेटा सुरक्षा के लिये एक बोर्ड बनाया जायेगा। यह बोर्ड स्वतंत्र निकाय और डिजीटल कार्यालय के रुप में काम करेगा। इस बोर्ड को संंबंधित कंपनी को दण्ड देने का अधिकार होगा, हालांकि, कंपनी हाईकोर्ट में अपील कर सकेगी।
सरकार का मानना है कि सोशल मीडिया और तकनी​की कंपनियों से जुडे बदलाव किये जा रहे हैं। इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि डेटा एकत्र करने वाली कपंनी को पर्सनल डेटा को जमा करना बंद करना होगा, या उन साधनों को हटाना होगा, जिनसे पर्सनल डेटा को विशेष डेटा से जोडा जा सकता है। कानूनी या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिये जरुरी नहीं होने पर यूजर्स का डेटा जमा नहीं किया जा सकेगा। किसी व्यक्ति के पर्सनल डेटा के उल्लंघन का मतलब अनाधिकृत डेटा प्रोसेसिंग से होगा। किसी व्यक्ति के पर्सनल डेटा के साथ छेड़छाड़ या नुकसान पहुंचाने पर भी कार्यवाही की जायेगी। अगर डेटा के जरिये व्यक्ति की प्राइवेसी से किसी तरह का समझौता होता है, तो भी सरकार संबंधति कंपनी के खिलाफ कड़ा एक्शन लेगी। डेटा के गलत इस्तेमाल पर जुर्माना प्रभावित यूजर्स की संख्या के आधार पर तय होगी। डेटा स्टोरेज के लिये सर्वर देश या भारत के किसी मित्र देश में ही हो सकेगा। बिल के कानून बनने के बाद कंपनियों के लिये सरकार इन मित्र देशों की सूची भी जारी करेगी। सोशल मीडिया कंपनियां चीन, पाकिस्तान, तुर्की जैसे देशों में भारतीय उपभोक्ताओं का डेटा सर्वर नहीं रख सकेंगी। इसके साथ ही सरकार ने यह भी प्रावधान किया है कि सरकारी एजेंसियां और संस्थान डेटा को असीमित समय तक रख सकेंगे।
मोटे तौर देखा जाये तो इस बिल का उद्देश्य यह है कि जो कंपनियां उपभोक्ताओं का डेटा बिना अनुमति के इस्तेमाल कर रही हैं, उनपर अंकुश लगाना है। दावा यह भी किया जा रहा है कि यह नया बिल डेटा के दुरुपयोग को रोकने में कारगर साबित होगा। केंद्र सरकार का कहना है कि यह बिल ग्राहक के डेटा के दुरुपयोग को पूरी तरह से खत्म कर देगा। आरोप है कि गूगल जैसी बड़ी कंपनियां विज्ञापनों के लिये यूजर्स के डेटा को ट्रैक करती हैं। इन कंपनियों द्वारा ग्राहकों के डेटा के गलत इस्तेमाल की सरकार को शिकायतें मिल रही थीं। नये बिल के बाद कंपनियां ओनलाइन ट्रेकिंग भी नहीं कर सकेंगी। मतलब अभी जो कंपनी ग्राहक को ट्रेक करके उसके पास किसी भी प्लेटफॉर्म पर पहुंच जाती हैं, वहां तक नहीं पहुंच पायेंगी। इससे पहले पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2021 को संसद से वापस ले लिया गया था। इस बिल को तत्कालीन केंद्रीय आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 2019 में पेश किया था। लेकिन संसद में विपक्ष के विरोध के बाद बिल को जेपीसी, यानी दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेज दिया गया था। दो साल तक मंथन करने के बावजूद इसमें और भी बदलावों की जरूरत को देखते हुए आखिरकार सरकार ने बिल वापस ले लिया था। विपक्ष ने उस बिल पर कड़ी आपत्ति जताई थी। जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी ने उसमें 81 संशोधनों का सुझाव दिया था, साथ ही 12 सिफारिशें की थीं। केंद्र सरकार ने यह कहकर बिल वापस ले लिया था कि जरुरी बदलावों के लिये कानूनी राय लेने के बाद बिल को दुबारा संसद में पेश किया जायेगा।
इस नये बिल का असली मकसद देश के उपभोक्ताओं के डेटा को सुरक्षित रखना है, लेकिन इसके साथ ही अमेरिका के सिलिकोन वैली में जो डेटा सेंटर कंपनियों ने बना रखे हैं, उससे हर साल अरबों डॉलर का कारोबार किया जाता है, उसपर भी भारत सरकार की नजर है। भारत सरकार के नये बिल का मकसद यह भी है कि जो कंपनियां भारत में कारोबार करती हैं, जिनके उपभोक्ता भारतीय हैं, उनका डेटा स्टोर करने के लिये भारत में ही डेटा सेंटर स्थापित किये जाने चाहिये। असल बात यह है कि फेसबुक, ट्वीटर, इस्टाग्राम, व्हाटसअप, लिंडइन जैसी कंपनियां हर साल लोगों का डेटा बिना अनुमति के जमकर इस्तेमाल करती हैं और उससे अरबों डॉलर कमाती हैं। भारत सरकार का मानना है कि इन कंपनियों को ग्राहकों से अनुमति लेकर या उनको भुगतान करके डेटा का इस्तेमाल किया जाना चाहिये। डेटा सेंटर यदि भारत में स्थापित होंगे, तो यहां पर हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा।
तीन साल पहले जब केंद्र सरकार ने बिल को संसद में पेश किया था, तभी से सोशल मीडिया कंपनियां भारत में डेटा सेंटर स्थापित करने के लिये ढांचा तैयार करने में जुट गई थीं। हालांकि, तब बिल के कानून नहीं बनने के कारण उनको रियायत मिल गई थी, लेकिन अब संभवत: सरकार इसी शीतकालीन सत्र में बिल को संसद में पेश कर कानून बनाने का काम करेगी। जिसके बाद कोई भी कंपनी भारत के नागरिकों का डेटा बिना अनुमति के इस्तेमाल नहीं कर पायेंगी।

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