अशोक गहलोत बजट के द्वारा सचिन पायलट और भाजपा को रोकने का आखिरी प्रयास करेंगे

Ram Gopal Jat
राजस्थान का चुनावी बजट तैयार हो गया है। इसको फाइनल टच देने का काम किया जा रहा है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपना आखिरी बजट पेश करने जा रहे हैं। इस बजट को पूरी तरह से चुनावी मोड में लाया जायेगा। दस महीने बाद चुनाव हैं और उससे पहले राज्य में ऐसी घोषणाएं होंगी, जो या तो सरकार रिपीट करवा देगी या फिर सचिन पायट अथवा भाजपा की सरकार उनको पूरा कर ही नहीं पायेगी। ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई सरकार बजट पेश होने से पहले ही उसके गुणगान कर रही है। शहरों में बड़े बैनर बजट का स्वागत करने को आतुर दिखाई दे रहे हैं, तो मीडिया को विज्ञापन देकर बजट के लिये सकारात्मक खबरें लिखने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। उद्देश्य केवल यही है कि सत्ता रिपीट नहीं होने का 30 साल का रिकॉर्ड तोड़ा जाये तो साथ ही सचिन पायलट का सपना भी तोड़ा जाये।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शुक्रवार को सुबह 11 बजे विधानसभा में अपना अंतिम बजट पेश करेंगे। गहलोत ने दावा किया था कि पिछला बजट किसानों पर था, अब दावा किया जा रहा है कि यह बजट युवाओं पर फोकस होगा। करीबी टीवी—अखबरों द्वारा प्रचारित किया जा रहा है कि बजट में अलग-अलग विभागों में करीब एक लाख नई भर्तियों की घोषणा होगी। सरकार नए रोजगार शुरू करने के लिए भारी भरकम छूट और पैकेज देने की योजना लाएगी। चुनाव नजदीक है और माना जा रहा है कि अशोक गहलोत इस बार केजरीवाल से खासे प्रभावित हैं, इसलिये बजट में फ्री स्कीम्स पर भी खासा फोकस रहने वाला है। गहलोत के इस बजट में युवाओं, किसानों, सरकारी कर्मचारियों, प्रदेश के बुजुर्गों और महिलाओं के लिए बहुत सी योजनाओं की घोषणाएं होंगी। महिलाओं के लिए उज्जवला योजना में पात्र परिवारों को 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने की घोषणा का बजट देना तय है, जिसकी पहले ही घोषणा हो चुकी है। इसी तरह से हर परिवार को लुभाने के लिए फूड किट देने की योजना आयेगी।
गहलोत के इस आखिरी बजट में सरकारी कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा के लिए नई योजना की घोषणा होगी। अशोक गहलोत की पार्टी के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान अलवर की रैली में ओला, उबर, अमेजन जैसे मोबाइल ऐप बिजनेस में काम करने वाले वर्कर्स की सामाजिक सुरक्षा के लिए योजना लाने को कहा था, तो यह कैसे संभव है कि गहलोत इसकी घोषणा नहीं करें। राजस्थान की राजधानी जयपुर में मेट्रो चल रही है, भले ही भयंकर घाटे में चल रही हो, लेकिन अब जयपुर के बाद जोधपुर, कोटा में मेट्रो ट्रेन चलाने की घोषणा होगी, दोनों जिले गहलोत और धारवाल के गृह नगर हैं। इसके साथ ही इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाने के लिये पिछली सरकार के अंतिम दिनों में फीता काटकर शुरू की गई जयपुर मेट्रो को भी अब सीतापुरा से अंबाबाड़ी तक नए मेट्रो प्रोजेक्ट की घोषणा की संभावना है। खुद अशोक गहलोत ने ही मेट्रो के दूसरे चरण के के लिये पिछले बजट में डीपीआर बनाने की घोषणा की थी।
केजरीवाल के पद चिन्हों पर चल पड़े गहलोत भी घरेलू पानी उपभोक्तओं के लिए 30 हजार लीटर पानी पर जीरो बिल की घोषणा कर सकते हैं। हालांकि, 15 हजार लीटर तक अभी पानी का पैसा नहीं है, लेकिन इस पर अभी सीपेज चार्ज और सरचार्ज के तौर पर 49 रुपए वसूला जाता है, इसे अब पूरी तरह फ्री करने का प्रस्ताव है। यह मुद्दा शहरों में काफी चर्चित रहता है। गहलोत का फॉकस इस बार शहरों पर अधिक रहने ​की संभावना है। इस बजट में सरकारी महिला कर्मचारियों के लिए पीरियड्स के दौरान वर्क फ्रॉम होम की सुविधा की घोषणा होगी, जो कई दिनों से चर्चा में है। इसके लिए सरकारी सेवा नियमों में बदलाव किया जायेगा। राज्य के समाज कल्याण बोर्ड ने पिछले दिनों राज्य सरकार को इसका प्रस्ताव भेजा था। चुनावी साल में महिला कर्मचारियों के लिए यह घोषणा की जायेगी। साथ ही राजस्थान रोडवेज की बसों में महिलाओं को किराए में 50 फीसदी की छूट की घोषणा होने की संभावना है, जो अभी 30 फीसदी है। यह बात और है कि रोडवेज बसों की संख्या आधी रह गई है, तो बसों की घटती संख्या के साथ ही उनमें ​फ्री घोषणाएं करके सरकार केवल वाहवाही लूटना चाहेगी।
बजट में धार्मिक स्थलों को पानी कनेक्शन की नई पॉलिसी की घोषणा के आसार हैं। मंदिरों, मस्जिदों और दूसरे धार्मिक स्थलों को जीरो बिल पर पानी उपलब्ध करवाने का प्रस्ताव है। जलदाय विभाग ने पिछले दिनों प्रदेश भर के धार्मिक स्थलों का सर्वे करवाया था, जिसमें सामने आया कि बहुत सारे धार्मिक स्थलों में पानी कनेक्शन नहीं है। राज्य के धार्मिक स्थलों पर जहां पानी कनेक्शन नहीं है, उन धा​र्मिक स्थलों को नए कनेक्शन देने के साथ फ्री पानी देने का प्रस्ताव है। धार्मिक मामले कांग्रेस पार्टी और अशोक गहलोत के पसंदीदा विषयों में से एक है। पिछली बार देश में पहली बार अशोक गहलोत ने ओपीएस, यानी ओल्ड पेंशन स्कीम शुरू की थी जिसको इस बार वंचित बोर्ड, निगम, यूनिवर्सिटी और सरकारी सहायता से चलने वाली स्वायतशाषी संस्थाओं के कर्मचारियों को भी ओपीएस का लाभ दिया जा सकता है। इसी तरह से किसानों को पेंशन देने की योजना का विस्तार होगा। सभी छोटे किसानों के लिए पेंशन योजना की घोषणा होने के आसार हैं। इस पेंशन योजना से लाखों किसानों को फायदा पहुंचाने का टारगेट है। हालांकि, सामाजिक सुरक्षा में कवर होने के कारण इसका लाभ नहीं के बराबर मिलेगा, लेकिन ऋणमाफी नहीं होने से परेशान किसानों को राजी करने के लिये वाहवाही खूब लूटी जा सकती है।
काफी समय से नये जिले बनाने की मांग की जा रही है। इसलिये आखिरी बजट में गहलोत बजट में नए जिलों की घोषणा करेंगे। क्योंकि नए जिलों के गठन के लिए रामलुभाया की अध्यक्षता में कमेटी बना रखी है, जिसकी रिपोर्ट आना बाकी है। ऐसे में हो सकता है बजट में यह घोषणा नहीं हो, लेकिन जब बजट पर चर्चा के बाद सीएम का रिप्लाई आयेगा तब घोषणा कर दें। हालांकि, जिले बनाने से कुछ नहीं होगा, उनमें सुविधाएं नहीं मिलेंगी तो क्या फायदा होगा? केवल राजनीतिक लाभ के अलावा कुछ नहीं होना है। जनता को तो वैसे भी जिलों में न्याय मिलता, तो लोग राजधानी में सेंकड़ों किलोमीटर क्यों आते? पिछले दिनों विधानसभा स्पीकर्स के सम्मेलन में स्पीकर सीपी जोशी ने सीएम अशोक गहलोत से विधानसभा को वित्त स्वायत्ता की मांग की थी। गहलोत ने इस मांग को पूरा करने की घोषणा की थी। इसलिये बजट में विधानसभा को वित्त स्वायत्ता देने की घोषणा होगी। विधानसभा का बजट सरकारी ऑडिट के दायरे से बाहर रखा जायेगा।
अशोक गहलोत के ड्रीम प्रोजेक्ट वाली महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूलों के शिक्षकों का अलग से कैडर बनेगा, इनकी पूरी भर्ती प्रक्रिया और ट्रांसफर पोस्टिंग का अलग से सिस्टम होगा, यानी एक नया ट्रांसफर उद्योग विकसित किया जायेगा। अंग्रेजी स्कूलों के शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में नहीं लगाया जाएगा। अंग्रेजी स्कूलों के लिए शिक्षकों की भर्ती अलग से होगी, जो संविदा पर शुरू की जा चुकी है, जिनका 9 साल प्रोबेशन पीरियड रखा गया है। मतलब यही है कि सरकार पूरी तरह से संविदा पर फोकस कर रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद कई बार कह चुके हैं कि अंग्रेजी नहीं आने के कारण उनको दिक्कत होती है। सही बात है होती भी होगी, क्योंकि सोनिया गांधी को हिंदी नहीं आती और अशोक गहलोत को अंग्रेजी, फिर भी बीते 25 साल से दोनों के बीच अच्छा तालमेल है, यह भी एक जादू ही है। इसलिये अशोक गहलोत इस बजट में नए अंग्रेजी मीडियम स्कूल खोलने की घोषणा करेंगे। नए खोले गए और प्रमोट हुए स्कूलों की बिल्डिंग बनाने की घोषणा होगी, अलग से बजट दिया जाएगा, स्कूलों में खाली पद भरने के लिए घोषणा होगी।
गहलोत खुद पिछले साल अपनी ह्रदय की समस्या से परेशान थे, उनकी अचानक एसएमएस अस्पताल में सर्जरी हुई थी, इसलिये वह स्वास्थ्य का महत्व जानते हैं। इस वजह से राज्य में नए अस्पताल खोलने की घोषणा होगी, नए पीएसची, सीएचसी खुलेंगे। जिला अस्पतालों भी क्रमोन्नत होंगे, दूर दराज के इलाकों में इलाज की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए मेडिकल वैन की सुविधा मिलेगी तो अस्पतालों में डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ के खाली पदों पर भर्तियों की घोषणा होने की उम्मीद है। बेरोजगारी कांग्रेस का मुद्दा रहा है, यह बात और है कि यह मुद्दा केवल केंद्र के खिलाफ रहा है, राज्य में रोजगार की गंगा बह रही है। इतना अधिक बह रही है कि पिछले साल एक भी सरकार नौकरी नहीं दी। इसलिये इस बार चुनाव जीतने के लिये सरकार के अलग-अलग विभागों में करीब एक लाख नई भर्तियों की घोषणा की जायेगी। क्योंकि सभी को सरकारी नौकरी देना संभव नहीं, इसलिये केंद्र सरकार की पहल पर शुरू योजना के अनुसार युवाओं को स्किल डेवलपमेंट और रोजगार के लिए पैकेज दिया जायेगा। साथ ही खुद का बिजनेस शुरू करने के लिए पैकेज की घोषणा और स्टार्ट अप के लिए अलग से योजना बनेगी।
पिछले साल अशोक गहलोत ने कृषि बजट अलग से पेश किया था, जिसके बाद राज्य के किसान मालामाल हो गये हैं, अब कोई किसान गरीब नहीं है, हर किसी किसान के घर में फॉर्च्यूनर गाड़ी खड़ी है। इस बार भी अशोक गहलोत की सरकार का कृषि बजट अलग से आएगा, जिसमें किसानों को कर्ज से राहत दिलाने के लिए कई घोषणाएं होंगी, केवल घोषणाएं होंगी, उनको पूरा करने की गारंटी नहीं होगी। इसी क्रम में कॉमर्शियल बैंकों के बकाया किसानों के कर्जों की माफी के लिए वन टाइम सैटलमेंट प्लान की घोषणा भी हो सकती है, होगा या नहीं होगा, यह सब बाद की बात है। साथ ही साथ किसानों से जुड़ी मौजूदा योजनाओं में सब्सिडी बढ़ाई जायेगी।
अशोक गहलोत के आधे नाम वाले खेल मंत्री अशोक चांदना का पसंदीदा खेल ही खेल है। वह कई तरह के खेल खेलने में माहिर हैं, इसलिये इस बार फिर से खेल को कुछ मिलने की संभावना है। पदक विजेता खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी और पैकेज की योजना को और प्रभावी किया जा सकता है। यह बात और है कि पदक जीतने वाले खिलाड़ी 6 साल से आज भी अपने इनाम के लिये इंतजार ही कर रहे हैं। खिलाड़ियों को नेशनल और इंटरनेशनल कॉम्पिटिशन की तैयारी के लिए सरकार से विशेष पैकेज और सहायता की बात भी सरकार कह सकती है। वसुंधरा राजे सरकार द्वारा शुरू की गई और पिछले कार्यकाल में आधी बनाई गई जयपुर की रिंग रोड के सेकेंड फेज की घोषणा संभव है। यह रोड अभी अजमेर रोड से दिल्ली रोड और आगरा रोड तक रिंग रोड बाकी है। इसके साथ ही बजट में गिनाने के लिये छोटे—छोटे काम भी घोषित होंगे, जैसे नए आरओबी, अंडरपास और आरयूबी बनाने की बात होगी।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन का दायरा बढ़ाया जा सकता है। क्योंकि बुजुर्ग, विधवा, दिव्यांगों के लिए पेंशन बढ़ेगी तो वोट भी बढ़ेगा। इसमें पेंशन की सीमा बढ़ाई जा सकती है। अभी 500 मिल रहे हैं, उनको 1500 तक किया जा सकता है। गहलोत सरकार के पहले कार्यकाल में सरकारी कर्मचारी बेहद नाराज थे, कई महीनों तक हड़ताल हुई, जिसका मलाल गहलोत को आज भी है। पिछले दिनों उन्होंने इस बात का जिक्र भी किया था कि हमारी ओर से कुछ कम्यूनिकेशन में कमी रह गई थी। इसलिये ओपीएस बहाल करने का काम पिछले साल किया गया, लेकिन इसका पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। क्योंकि साल 2004 के बाद बनी संस्थाओं के कर्मचारी ओपीएस के दायरे से बाहर हैं, अब इन संस्थाओं के 90 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को भी ओपीएस में लिए जाने की संभावना है। इस​के लिये अलग-अलग कर्मचारी संगठनों की मांगों के आधार पर कर्मचारियों की वेतन विसंगतियों को दूर करने की घोषणा होगी।
इसी तरह से उदयपुर, भिवाड़ी में विकास प्राधिकरण बनाने की संभावना है। ये बिलकुल वैसे ही काम करेंगे, जैसे जयपुर और जोधपुर विकास प्राधिकरण कर रहा है। केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी की तरह राज्य के 10 से अधिक शहरों को विकसित करने की घोषणा भी करके वाहवाही लूटी जा सकती है। पिछले साल व्रिप बोर्ड बनाकर ब्राह्णण समाज को खुश किया गया है, इसी तरह से कुछ और समाजों के बोर्ड भी बनाये जा सकते हैं, ताकि वोट की खेती की जा सके। इस बजट में गहलोत की ओर से समाजों के कल्याण और विकास के लिए बोर्ड बनाने की घोषणा संभव है, जिसमें जैन श्रावक कल्याण बोर्ड, वीर तेजा कल्याण बोर्ड, स्वर्णकार विकास कल्याण बोर्ड, चित्रगुप्त बोर्ड बनाने की संभावना है।
जिस योजना का नाम गांधी परिवार ले ले और अशोक गहलोत उसपर काम नहीं करे, तो संभव ही नहीं है। पिछले दिनों राहुल गांधी ने चिरंजीवी योजना की प्रसंशा की थी, इसलिये गहलोत सरकार चिरंजीवी योजना में अब दुर्घटना बीमा 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करेगी, तो डेयरी किसानों को दूध पर बोनस 5 रुपए से बढ़ाकर 8 रुपए किया जा सकता है। पूर्वी राजस्थान में पायलट के आधार वाले क्षेत्र में सेंधमारी के लिये अधूरी डीपीआर वाली ईआरसीपी के लिए बजट और बढ़ाया जाएगा, हालांकि, बजट जायेगा कहां पर यह अब तक किसी को पता नहीं है, क्योंकि केंद्र सरकार ने अभी तक इस योजना को मंजूरी दी नहीं है और राज्य सरकार इसको पूरा कर नहीं सकती। इसी तरह से घोषणा के नाम पर नए औद्योगिक क्षेत्र खोले जाएंगे। लगातार घट रही है, लेकिन हर बार की तरह इस बार भी नई रोडवेज बसें खरीदने की घोषणा की जाएगी। नई कृषि मंडी, गौण मंडी, नई नगर पालिका, कृषि मंडियों में इंदिरा रसोई, जयपुर में नए इंटर स्टेट बस टर्मिनल की घोषणा जैसे काम होंगे।
कुल मिलाकर देखा जाये तो चुनाव में 10 महीनों का समय शेष है, इसलिये कितना भी दम लगा लें तो भी एक दर्जन से अधिक काम नहीं होंगे, लेकिन घोषणाएं कम से कम दस साल जितनी होंगी, ताकि लोगों को गुमराह करके वोट पाया जा सके। बजट पूरी तरह से चुनावी ही होगा और अशोक गहलोत का आखिरी बजट होगा तो उसको ऐतिहासिक बनाने का ही प्रयास रहेगा, क्योंकि इसके बाद अशोक गहलोत शायद इस जन्म में कभी बजट पेश नहीं कर पायेंगे। यह बजट भाजपा और सचिन पायलट को रोकने का आखिरी हथियार होगा, जो कितना कारगर होगा, यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। क्योंकि सत्ता रिपीट होत है तो गहलोत फिर से सीएम बनेंगे और भाजपा को मिलती है तो इन घोषणाओं को पूरा किया जाना असंभव हो जायेगा।

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